5 अगस्त 2020 से हिन्दू सनातन धर्म इतिहास में एक नये अध्याय का प्रारम्भ हुआ है। इस दिन भगवान श्रीराम के अयोध्या स्थित राम मंदिर निर्माण की नींव रखी गई। नींव रखने के साथ ही मंदिर निर्माण जोर शोर से शुरु हो गया है। 1528 से लेकर 2020 तक का यह सफर भगवान राम जी के मंदिर का कोई सहज नहीं रहा है। एक के बाद एक अनेक परेशानियों, विवादों, घटनाओं से होता हुआ यह यहां तक पहुंचा है। भगवान राम को अपना एक स्थायी गृह मिलने में अनेक उतार चढ़ावों का सामना करना पड़ा है। अंतत: विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसी बड़ी न्याय व्यवस्था के निर्णय के बाद यह शुभ दिन आया है। राम मंदिर निर्माण की यात्रा में अनेक तिथियां महत्वपूर्ण रहीं इन तिथियों ने निर्माण कार्य प्रारम्भ होने की दिशा में एक मजबूत सीढ़ी का कार्य किया।
जब भी मकर राशि का संबंध शनि या गुरु ग्रह से होता हैं, दोनों में से कोई एक या दोनों इस राशि पर गोचर करते हैं तो भगवान राम के इस मंदिर से जुड़े विवाद तूल पकड़ते हैं, इससे जुड़े विवादों की एक नई राह खुलती है। उपरोक्त घटनाओं में सबसे महत्वपूर्ण तिथि –
23 दिसम्बर 1949 है। इस तिथि को राम मंदिर की मूर्तियां मस्जिद में प्रकट हुई। इस दिन धर्म कार्यों के कारक ग्रह गुरु मकर राशि में गोचर कर रहे थे।
1 फरवरी 1986 गुरु मकर राशि से बाहर आये ही थे, और भारत की कुंडली की जन्म राशि से चतुर्थ भाव तुला राशि पर शुभ दृष्टि संबंध बना रहे थे।
6 दिसम्बर 1992 को जब बाबरी मस्जिद का कुछ भाग गिराया गया, उस समय शनि मकर राशि में गोचर कर रहे थे।
25 मार्च 2020 को शनि मकर राशि में गोचर कर रहे थे।
5 अगस्त 2020 को भूमि पूजन किया गया। गुरु स्वराशि धनु और शनि स्वराशि मकर राशि में गोचर कर रहे थे।
शनि 23 जनवरी 2020 से लेकर 28 अप्रैल 2022 के मध्य मकर राशि में रहेंगे, इस समयावधि में निर्माण कार्य तीव्र गति से होगा। ग्रह योग यह कहते हैं कि निर्माण कार्य मध्य अवधि में कुछ समय के लिए मंद गति से होगा, उसके बाद गति पकड़ेगा, दिसम्बर माह 2020 में इसे लेकर कुछ विवाद भी उत्पन्न होंगे। जनवरी 2021 में यह दो सम्प्रदायों में तनाव का एक बार फिर से कारण बनेगा। गृहयुद्ध की स्थिति भी इस समय बन सकती है।
10 अप्रैल 2022 चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, नवमी तिथि जिसे हम सभी भगवान राम की जयंती के नाम से भी जानते है। इस दिन से राम मंदिर का उद्घाटन भव्य रुप में होने के योग बन रहे हैं। ग्रह योग कहते हैं कि इस दिन से राम मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण होकर इसका विधिवत शुभारम्भ हो जाएगा, इससे आम भक्तजन अपने आराध्य के दर्शन कर पायेंगे। इस प्रकार 10 अप्रैल 2022 का दिन भी भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में एक बार फिर से अमर हो जाएगा।
आईये अब देखते हैं कि मंदिर निर्माण के बाद शनि राम मंदिर निर्माण करा रहे हैं अगली बार जब मकर में आएंगे तो निर्माण कार्य में पुन संशोधन कराएंगे।
हां ध्यान देने योग्य बात यह है कि हमारा द्वारा किए गए ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन यह कहता है कि को निर्माण कार्य शनि के मकर राशि में गोचर की अवधि में शुरू हुआ हैं , वह शनि के इस राशि में रहते तक चलेगा, शनि दीर्घायु और लम्बी अवधि के निर्माण कार्यों के सूचक है, ऐसे में इस मंदिर के आयु कई सदियों तक रहने के योग है। फिर भी जब जब शनि मकर राशि, गुरु मकर राशि या दोनों अपनी अपनी स्वराशि में गोचर करेंगे, और राहु भी स्वनक्षत्र में गोचरस्थ होंगे तब-तब कुछ विवाद राम मंदिर के साथ जुड़ते चले जायेंगे। ज्योतिष शास्त्र में यह भी पाया गया है कि चर राशि में निर्माण कार्य प्रारम्भ होने से निर्माण कार्य तीव्र गति से होगा और समय समय पर इसमें विस्तार भी होता रहेगा।
अपने इस गोचर काल में शनि राम मंदिर निर्माण करा रहे हैं। अगली बार जब मकर में आएंगे तो निर्माण कार्य में पुन संशोधन कराएंगे। यह भी संभव है कि शनि के मकर राशि में वापसी के समय में इसकी भव्यता को ओर अधिक बेहतर किया जाए, इसका विस्तार किया जाए। बर्लिन की दीवार इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। मकर के शनि में गोचर की अवधि में यह दीवार बनी और अगली बार मकर के शनि के काल में ही इस दीवार को गिरा दिया गया था। राम मंदिर निर्माण स्वयं में विवादित रहेगा, यह निर्माण कार्य सदैव विवादों के घेरे में रहेगा। विवाद राम मंदिर का पीछा छोड़ते नजर नहीं आ रहे हैं, ये इस पर आजीवन लगते रहेंगे।
आचार्या रेखा कल्प देव