कभी भारत से 1000 साल तक युद्ध लड़ते रहने की बात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो किया करते थे , पर जब 1971 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मजबूत नेतृत्व के अधीन भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी तो जुल्फिकार अली भुट्टो हमारी प्रधानमंत्री के पैरों में आ लेटा और अपने 93 हजार गिरफ्तार सैनिकों की रिहाई की भीख मांगने लगा । वही पाकिस्तान अपनी फितरत से फिर भी बाज नहीं आया । उस समय जुल्फिकार अली भुट्टो ने नाक रगड़ कर हमारी प्रधानमंत्री के सामने यह कहा था कि अब वह भारत की ओर कभी झांक कर भी नहीं देखेगा , लेकिन कुछ समय बाद ही पाकिस्तान भारत के साथ अपनी परंपरागत बदतमीजी करने लगा । 1972 में आनंदपुर प्रस्ताव पास करा कर उसने भारत के टुकड़े करने की योजना पर काम करना आरंभ किया ।
उसके बाद से अब तक पाकिस्तान कभी भी अपनी गतिविधियों से रुका नहीं । भारत को खंड खंड करने में उसने अपना जी जान लगा दिया । अब प्रधानमंत्री मोदी के मजबूत नेतृत्व के सामने फिर पाकिस्तान गढ़ गढ़ आने की स्थिति में आ गया है ।
पाकिस्तान ने भारत संग टेंशन कम कराने के लिए मंगलवार को अमेरिका से अपील की है। पाकिस्तान के विदेश सचिव शोहेल महमूद ने अमेरिका के राजनीतिक मामलों के अवर सचिव डेविड हेले से वर्चुअल बातचीत के दौरान कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए भी मदद मांगी। हालांकि, भारत पहले ही दो टूक कह चुका है कि किसी भी द्विपक्षीय मुद्दे पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा पाकिस्तान से बातचीत तब तक नहीं की जाएगी जब तक वह आतंकवाद को अपना समर्थन और संरक्षण बंद नहीं करता है।
पाकिस्तान के अखबार डॉन की एक खबर के मुताबिक शोहेल महमूद ने अमेरिका से कहा, ”तनाव बढ़ने से रोकने और जम्मू-कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए कदम उठाना अनिवार्य है।” आए दिन सीमा में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने वाले पाकिस्तान ने यह भी कहा कि कश्मीर में भारत की सैन्य घेरेबंदी और पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक तेवर शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में पाकिस्तान ने कई बार अमेरिका से हस्तक्षेप की मांग की है। इमरान खान ने भी अमेरिकी दौरे के समय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की अपील की थी। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि यदि दोनों देश चाहें तो वह मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, भारत ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया था। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से बेवजह चिढ़ा पाकिस्तान दर-दर भटक रहा है। कश्मीर पर समर्थन नहीं मिलने की वजह से ही उसका सऊदी अरब से भी रिश्ता खराब हो गया है।
पाकिस्तान के साथ भारत की सीमा विवाद सहित अन्य मुद्दों पर भी बातचीत लंबे समय से बंद है। भारत इस नीति पर अडिग है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर तभी शुरू होगी जब वह पूरी तरह आतंकवादी गतिविधियों को रोक देगा। बातचीत और आतंकवाद दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते हैं।
भारत को पाकिस्तान के ऊपर रहम नहीं करना चाहिए यह रहम करने लायक देश नहीं है। सारी दुनिया के लिए आतंकवाद की सप्लाई करने का गढ़ बन कर इसने पूरे दुनिया को यह संकेत और संदेश दिया है कि वह संसार को मिटाने की किसी भी स्थिति तक जा सकता है।