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कविता

चलो अयोध्या धाम

चलो अयोध्या धाम

चलो अयोध्या धाम,
विराजेंगे अपने श्रीराम।

कभी राम झुठलाये जाते।
नकली चरित बताये जाते।
आतंकी बाबर के सम्मुख-
मनगढ़ंत कहलाये जाते।।
कैसी भी हो रात,
किन्तु होती है सुबह ललाम।

वंशज बहुधा जीते – हारे।
अनुयायी के वारे – न्यारे।
रक्तपात के छद्म खेल में –
रामभक्त तन मन धन वारे।।
हुआ बहुत बलिदान,
साक्ष्य है पावन सरयू धाम।

राम अदालत में भी आए।
साक्ष्य – साक्षी भी थे लाए।
अधिवक्ता बन सच दिखलाए।
न्यायमूर्ति – उर स्वयं समाए।।
जय जय जय श्रीराम,
अवधपति अवध नयन अभिराम।

डॉ अवधेश कुमार अवध

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