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उगता भारत न्यूज़

हिंदू धर्म पर बौद्धिक आक्रमणों का सामना करने के लिए बौद्धिक क्षत्रियों की नितांत आवश्यकता है : पूज्य स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज

इस समय अयोध्या के ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास’ के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेवगिरी महाराज भी उपस्थित थे । उन्होंने कहा, ‘‘भारत स्वयंभू हिन्दू राष्ट्र है । छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी हिन्दू साम्राज्य की स्थापना की । परंतु स्वतंत्रता के उपरांत सत्ताधारियों ने हिन्दूविरोधी विचारधारा अपनाई; अब आगे हिन्दू राष्ट्र अबाधित रखना, प्रत्येक हिन्दू का दायित्व है । इसके लिए वीर सावरकर द्वारा बताए अनुसार राजनीति का हिन्दूकरण होना आवश्यक है । देश का कार्यभार करते समय हिन्दूहित का दृष्टिकोण होना चाहिए; क्योंकि हिन्दू किसी पर आक्रमण नहीं करता । उसका मूल स्वभाव ही न्यायप्रिय और समानता का पालन करनेवाला है; परंतु वीर सावरकर के कथनानुसार वे ‘सद्गुण विकृति’ दोष की बलि चढ गए । आक्रमकों ने इसी का लाभ उठाकर देश पर आक्रमण किया । केवल ‘हिन्दुत्व’ ही समानता रखनेवाला है । जिस पद्धति से आक्रमण होगा, उस अनुसार उत्तर देने में हमें समर्थ होना चाहिए । आज हिन्दुआें पर बौद्धिक आक्रमण भारी मात्रा में हो रहे हैं । इस हेतु आज बौद्धिक क्षत्रियों की आवश्यकता है । उनके आक्रमण का उत्तर देने के लिए हमें सावधान और संगठित रहना चाहिए । इसके लिए हिन्दुआें की बौद्धिक क्षमता जागृत करनी होगी । हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था, बौद्धिक क्षमता निर्माण करने का कार्य कर रही है, इसके प्रति मुझे आदर है ।’’

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे जी ने कहा, ‘वर्तमान आपातकाल में संसार तृतीय विश्‍वयुद्ध की दहलीज पर खडा है । कोरोना महामारी के काल में चीन के विरोध में अनेक देश एकजुट हो गए हैं । विश्‍वयुद्ध चालू होने पर, दिल्ली दंगे, शाहीनबाग आंदोलन, सीएए के विरोध में हिंसक आंदोलन की भांति भारतविरोधी शक्ति जातिधर्म के नाम पर गृहयुद्ध भडकाने के षड्यंत्र रचे जाने की पूरी संभावना है । इस भावी अराजक परिस्थिति का सामना करने हेतु हिन्दुत्वनिष्ठ अग्निशमन, प्रथमोपचार, आपातकालीन सहायता, नागरी सुरक्षा (सिविल डिफेंस) आदि आपातकालीन परिस्थिति संभालने का प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता है । कालमहिमा के अनुसार वर्ष 2023 में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना निश्‍चित होगी । इसमें योगदान देना, हमारी साधना ही है ।’

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