आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी शैक्षिक योग्यता का प्रमाण मांगने वालों में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी से उनकी शिक्षा का प्रमाण मांगने की हिम्मत है? राजीव गाँधी से शादी करने से पूर्व क्या काम करती थी? है किसी में हिम्मत सोनिया से यह प्रश्न करने की? इन मोदी विरोधियों को फिल्म ‘वक़्त’ के इस संवाद को स्मरण करना चाहिए कि “जिनके घर शीशे को हों, दूसरे पर पत्थर नहीं फेंकते।”
भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी को घेरते हुए उनकी शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाया है। उन्होंने ट्वीट कर सोनिया गाँधी पर आरोप लगाया है कि, सोनिया गाँधी ने 17वीं लोकसभा ‘Who’s Who’ प्रकाशन के लिए अपनी शैक्षणिक योग्यता को गलत बताया है। स्वामी ने यह भी कहा कि इस मामले की शिकायत उन्होंने लोकसभा स्पीकर से भी की है।
सोनिया को मालूम है कि डॉ स्वामी ने पहले भी शिक्षा पर इतना शोर मचाया था, कि तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष से शिकायत करने पर, उन्होंने इसे टाइपिंग गलती कहकर अपना बचाव किया था, जिस पर डॉ स्वामी ने इस भयंकर गलती को Guinness Book of world records तक में भेजने की बात कही थी। लेकिन देश का दुर्भाग्य कहा जाए या कांग्रेस पार्टी का जो एक अल्पशिक्षित के हाथों में खेलते हैं। कभी कॉलेज की शक्ल न देखी हो, वह यूनिवर्सिटी की बात करे, क्या जग-हंसाई होगी की नहीं? क्या कांग्रेस पार्टी अपनी गुलामी मानसिकता का परिचय नहीं दे रही?
सोनिया एवं उनकी कांग्रेस पार्टी यह भी जानती है कि डॉ स्वामी सार्वजनिक मंचों से इस बात को उजागर करने से नहीं चूकते। इतना सबकुछ होने के बावजूद के पार्टी में सोनिया से कहीं अधिक शिक्षित एवं विद्वान भी पता नहीं किस कारण से सोनिया की जी-हजूरी करते रहते हैं। पार्टी में शिक्षित लोगों में इतनी भी बुद्धि नहीं कि विश्व को क्या संकेत दे रहे हैं। शायद यही कारण है कि विश्व ने भारत को कभी उतनी गंभीरता से नहीं लिया, जितनी गंभीरता से आज ले रहा है। यही कारण था कि पाकिस्तान हमारे पर हावी रहा। जिस पार्टी की कमान कम पढ़ी-लिखी के हाथ में होगी, उस पार्टी का भविष्य सब लोग अपनी खुली आँखों से देख भी रहे हैं।
2 अगस्त, 2020 भाजपा सांसद ने सोनिया गाँधी के शैक्षणिक योग्यता को गलत बताते हुए एक ट्वीट किया है। इसके अलावा उन्होंने इस संदर्भ में लोकसभा स्पीकर को भी एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि सोनिया गाँधी ने गलत कहा है कि 1965 में उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी भाषा में प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। सोनिया के इस फर्जी दावे का जिक्र मैंने 20 साल से पहले भी किया था। मैंने उस वक्त कोर्ट के दरवाजे भी खटखटाए थे।
उन्होंने लिखा, “तब जस्टिस बालकृष्णन के नेतृत्व वाली चीफ जस्टिस की बेंच ने इस मसले पर सुनवाई की थी। यह आग्रह किया गया था कि सोनिया गाँधी इस झूठी जानकारी को फिर से प्रस्तुत नहीं करेगी। मैंने भी इस मामले में बड़ा दिल रखते हुए सजा की माँग नहीं की। इस आधार पर मैं सहमत था कि इस मामले का निपटारा हो जाए।
स्वामी ने स्पीकर से इस मामले को लोकसभा की आचार समिति को भेजे जाने का अनुरोध किया और कहा कि उन्हें सबूत पेश करने में खुशी होगी ताकि उन्हें (सोनिया) उनकी शैक्षणिक योग्यता के बारे में इस जानबूझकर और बार-बार बोल जाने वाले झूठे के लिए दंडित किया जा सके।
राज्यसभा सांसद ने स्पीकर से 15वीं और 16वीं लोकसभा के लिए ‘Who’s Who’ के अंतर को खोजने के लिए सोनिया गाँधी की पिछली फाइलिंग की तुलना करने का आग्रह भी किया।
इसके अलावा, स्वामी ने ट्विटर पर अपने द्वारा किए गए दावे को सही ठहराने के लिए कुछ डॉक्युमेंट्स की तस्वीरें भी सबूत के तौर पर साझा किए।