manu mahotsav banner 2
Categories
साक्षात्‍कार

साक्षात्कार : त्रिभाषा फार्मूला युक्त नई शिक्षा नीति से नए क्षितिज की संभावना , नई शिक्षा नीति से नए आयाम होंगे स्थापित , नई शिक्षा नीति बहुआयामी ,हितपरक और लोक केन्द्रित

……………………………..
राकेश छोकर / नई दिल्ली
……………………………
भारत सरकार की नई शिक्षा नीति में क्या नए आयाम शामिल है। किस तरह नई क्षिक्षा नीति-2019 देश को व्यापक शैक्षिक सुधारों की ओर लेकर जायेगी, इन्हीं सब मुददों को लेकर लम्बी बातचीत हुई ब्यूरो चीफ रकेश छोकर की युवा समाजशास्त्री डा0 राकेश राणा से। डॉ0 राणा चौ0 चरणसिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध एम0एम0एच0 कालेज गाजियाबाद के समाजशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर है। बातचीत के मुख्य अंश

● डॉ0 राणा आप नई शिक्षा नीति को एक समाजशास्त्री की दृष्टि से कैसे देख रहे हो!
◆” मैं एक समाज-वैज्ञानिक होने के नाते नई शिक्षा नीति को एक नई और व्यापक शुरुआत के तौर पर देख रहा हूं। जिसमें बहुत कुछ नया भी है और सार्थक प्रभाव डालने वाला भी अगर उन सब प्रावधानों पर समय और ईमानदार प्रतिबद्धता के साथ अमल किया गया तो हम अभी नई सदी के शुरुआती दौर में है और संयोग से बहुत सारा घटनाक्रम भी हमारे पक्ष में है ,जिनका लाभ हम अपनी कमजोरियों को दूर करने और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए शिक्षा के जरिए बड़े बदलाव आयोजित कर ला सकते है।”
● नई शिक्षा नीति में आप नया क्या-क्या देख रहे? कौन से नए महत्वपूर्ण आयाम जुड़े है !
◆ “नई शिक्षा नीति में नया बहुत कुछ है वैसे तो पर जो सबसे अहम कदम है वह मातृ भाषा को लेकर लिया गया निर्णय है। त्रिभाषा फार्मुर्ला नयी शिक्षा नीति का नए क्षैतिज प्रदान करने वाला साबित होगा। मातृ भाषा अगर प्रारम्भिक शिक्षण का आधार बनती है तो समाज के सभी वर्गों की सहभागिता देश और समाज के विकास में स्वतः बढ़ेगी।”
● नई शिक्षा नीति में मातृ भाषा में शिक्षण के क्या प्रभाव आप देख रहे है जबकि अंग्रेजी छायी हुई है!
◆ “बेहतर शैक्षिक संवाद के लिए मातृ भाषा बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा को अपने समाज के अनुरुप संचालित करने और अपनी भाषाओं में शिक्षण को करने से ज्ञान के नए क्षैतिजों का विस्तार होता हैं। नवाचार के नए-नए आयाम उभरते है। मातृ भषा में चिंतन सृजन का स्फुरण करता है। वास्तव में भाषाएं विचारों, विचारधाराओं, कल्पनाओं और व्यापक दर्शन की स्पष्टता का माध्यम बनती हैं। भारतीय चिंतन दृष्टि व्यापक और गहन होते हुए भी आधुनिक ज्ञान, विज्ञान और वैचारिकी में कोई सफल योगदान नहीं कर पाया है। भाषाई दृष्टि से पंगु बने रहना हमारी इस विकलांगता की बड़ी वजह है। सरकार की नई शिक्षा नीति-2019 में भाषाई आधार को मजबूत बनाते हुए मातृ भाषा को तरजीह मिलना एक सशक्त राष्टृ के निर्माण की दिशा में बढ़ने का सार्थक कदम है। मातृभाषा हमें दूसरां के विचारों, भावों और भाषाओं को सीखने व समझने में सहज रुप से समर्थ बनाता है।”
● मातृ भाषा से कैसे शिक्षा और समाज का विकास होगा क्या सोचते है आप?
◆”दुनियां के सभी विकसित देशों में शिक्षा का माध्यम अपनी मातृ भाषाएं हैं। विश्व भर के अनुभव बताते हैं कि बच्चा मातृभाषा में शिक्षा को आसानी से ग्रहण करता है। मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा हासिल करने वाले विद्यार्थी की अधिगम क्षमता ज्यादा होती है। अपनी भाषा के साथ जो मजबूत मनोबल जुड़ा होता है उससे भी बच्चे के व्यक्तित्व विकास में इजाफा होता है। तार्किक दृष्टि भी विकसित होती है। अध्ययन बताते है कि मातृ भषा में बच्चे का शिक्षण उसके मानसिक, भावनात्मक और नैतिक विकास को भी प्रभावित करता है। भाषा शिक्षण सरत और सहज बन जाता है। शनैः शनैः अपने रुचिकर क्षेत्रों में दक्षता हासिल करते हुए अपने क्षेत्र में महारत हासिल कर लेते है। बच्चे में यह दक्षता ही नए विचारों को पनपाने में और उसकी अंतर्दृष्टि विकसित करने में काम आती है। दो भाषाओं में हमारा शिक्षण दो नाव की सवारी करने जैसा है। परिणाम बच्चा नी विषय की परिपक्कव समझ विसित कर पाया और नही भाषा की क्योंकि उसके बचपन की पूरी उर्जा और क्ष्मता को सीखने के दबावों ने बिखेर दिया।”
● नई शिक्षा नीति के नए आयामों पर पर आप क्या कहना चाहेंगें।
◆” नई राष्टृय शिक्षा नीति-2019 सहभागिता आधारित, बहुआयामी, हितपरक्, लोक-केन्द्रित ओर समावेशी प्रक्रिया के तहत राष्टृय आकांक्षाओं और उददेश्यों को पूरा करने की मंशा से भारत को एक ज्ञानमय समाज में रुपांतरित करने की दिशा में बड़ा कदम है। आने वाला दशक हमें दुनियां का सबसे युवा देश बनाने वाला है। अपनी इस युवा जनशक्ति का सदुपयोग कर हम महाशक्ति बनने में अपने युवाओं को नये कौशलों और नये ज्ञान से लैस कर सुपरपावर बनने के सपने को साकार कर सकते है। इस महान उददेश्य को पाने की दिशा में विज्ञान, तकनीक और अकादमिक क्षेत्रों में नवाचार और अनुसंधान करने के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का आधार बनने वाली नयी शिक्षा नीति से बड़ी की किरण है। इस नयी नीति की पहली ख़ास बात यह है कि शिक्षा अधिकार कानून के दायरे को व्यापक बनाया है। दूसरी महत्वपूर्ण पहल राष्ट्रीय शिक्षा आयोग बनाने का सुझाव। जो शिक्षा को सतत् विकास और एक ज्ञानवान समाज बनाने की ओ उन्मुख करने का काम करेगा। तीसरा अहम बिंदु हैं प्राथमिक कक्षाओं में भाषा और गणित पर विशेष जोर देने की नीति और बच्चों में लेखन कौशल बढाने वाले नवाचार। इसके लिए सप्ताहन्त, मेले, प्रदर्शनी, दिवार-अखबार जैसी गतिविधियों के आयोजन। चौथी पुस्तकालयों को दुरुस्त बनाने की इच्छा। साथ ही कुछ ऐसी परम्रागत गतिविधियों के पुर्नःप्रयोग की है जैसे कहानी सुनाना, नाटक खेलना, समूह चर्चाएं, लेखन और चित्रों का डिसप्ले बोर्ड, अध्ययन और संवाद की संस्कृति को बढ़ावा देने की बात नई शिक्षा नीति को वाकई नया बनाती है। नई शिक्षा नीति की पांचवीं महत्वपूर्ण बात रेमेडियल शिक्षण को मुख्य धारा में लाने वाली कही जा सकती है। छठवीं तकनीकी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने की पहल का मन। इसके लिए कंप्यूटर, लैपटॉप व फोन आदि के जरिए शिक्षण को रोचक बनाने की पहल प्रभावी होगी। सातवीं खास बात यशपाल समिति की रिपोर्ट ‘लर्निंग विदाउड बर्डन’ और एनसीएफ़-2005 में रुचि दिखाने की है। नई शिक्षा नीति का आठवां सबसे अहम् बिंदु प्राथमिक स्तर पर शिक्षा में बहुभाषिकता की पहल है। यह नीति ऐसे शिक्षकों को अहमियत देती है जो स्थानीय भाषा जानते-समझते हों। ऑलाइन शिक्षण में टैक्नोलॉजी को विशेष उपयोग में लाने की तैयारियां नई नीति में समाहित है।”

Comment:Cancel reply

Exit mobile version