महर्षि बाल्मीकि का रामायण महाकाव्य बेजोड़ टाइम कैप्सूल है
राम जन्मभूमि अयोध्या में पुनः निर्मित किए जाने वाले भव्य राम मंदिर को लेकर यह चर्चा जोरों पर है कि इस मंदिर की बुनियाद कि नीचे पृथ्वी की कोख में 200 फीट से लेकर 2000 फीट नीचे राम जन्मभूमि से जुड़े हुए ऐतिहासिक प्रसंग संघर्षों को अंकित कर #टाइम_कैप्सूल में दफन किया जाएगा|
इस समय दुनिया में 10,000 से लेकर 15000 टाइम कैप्सूल पृथ्वी के गर्भ में दफन है| इनमें से कुछ कैप्सूल 50 वर्ष, 100 वर्ष तथा कुछ हजार वर्ष पश्चात खोले जाने के लिए दफन किए गए हैं|
15 अगस्त 1973 तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लाल किले के परिसर में ऐसे ही एक टाइम कैप्सूल को दफन किया था जिसे 1 शताब्दी के बाद खोला जाना था लेकिन 1977 में मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री बनते ही उसे निकलवा दिया आज भी वह टाइम कैप्सूल रहस्य बना हुआ है……………… आखिर उस में इंदिरा ने क्या लिखवाया था ?कुछ जानकार कहते हैं उसमें इंदिरा ने अपना व अपने परिवार का केवल महिमामंडन किया था |
टाइम कैप्सूल इस उद्देश्य से दफन किए जाते हैं जिससे भविष्य में पुरातत्व वेता इतिहासकारों को अनुसंधान में मदद मिले किसी #कालखंड को निर्धारित करने पुरातात्विक उत्खनन ऐतिहासिक शोध में |
हालांकि अधिकांश इतिहासकार टाइम कैप्सूल को ऐतिहासिक मामलों में अनुसंधान की दृष्टि से उपयोगों नहीं मानते|
सही मायनों में महर्षि वाल्मीकि कृत मर्यादा पुरुषोत्तम राम की जीवनी ऐतिहासिक महाकाव्य रामायण ही बेजोड़ अनूठा टाइम कैप्सूल है….. लाखो वर्ष प्राचीन आर्य वैदिक भारत के आदर्श भ्रात प्रेम ,आचरण की मर्यादा , नारी की पवित्रता, तेजस्विता के संस्कार राम को मानने के साथ-साथ ,राम की शिक्षाओं को मानने वालों के मन में विशेष तौर पर अंकित है |
धन्य है महर्षि वाल्मीकि यदि महर्षि ना होते तो रघुनंदन राम भी ना होते| ध्यातव्य है कि सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय राम जन्मभूमि केस में सर्वाधिक प्रमाणित प्रमुख प्राइमरी दस्तावेजी साक्ष्य महर्षि वाल्मीकि रामायण को ही माना है…. अन्य साक्ष्यों secondary evidence माना है|
वाल्मीकि रामायण भारत का ही नहीं विश्व का संस्कृत का पहला अनूठा ऐतिहासिक आदि महाकाव्य है , महर्षि वाल्मीकि आदि कवि हैं, अयोध्या में भारत सरकार ने संस्कृत विश्वविद्यालय की भी स्थापना करनी चाहिए|
आर्य सागर खारी✍