विश्व पटल पर स्त्रीत्व की रक्षार्थ कनकावती जैसा बलिदान नहीं , आज की पीढ़ी कनकावती गुर्जरी से सदचरित्र की प्रेरणा ले
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अजय आर्य / नई दिल्ली
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देव चेतना परिवार की ओर से “ कनकावती गुर्जरी का इतिहास में योगदान ” विषय पर आयोजित सेमिनार में इतिहासविदो ने बलिदानी कनकावती गुर्जरी के अनछुए प्रसंगों पर महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई। विद्वत जनों द्वारा आह्वान किया गया कि आज की पीढ़ी को उनके प्रेरणीय बलिदान से चरित्र रक्षा की शिक्षा लेनी चाहिए ।
वरिष्ठ समाजसेवी एवं पत्रकार राकेश छोकर के संयोजन औऱ प्रमुख लेखिका, पर्यावरणविद डॉ संजीव कुमारी के कुशल संचालन में आयोजित वेबीनार में महत्वपूर्ण वक्तव्य रखते हुए वयोवृद्ध इतिहासकार इसमसिंह चौहान ने कहा कि कनकावती गुर्जरी का बलिदान, एक कौम का बलिदान नहीं बल्कि वैश्विक पटल पर सर्व समाज के लिए प्रेरणीय बलिदान रहा है। आज की पीढ़ी उनके स्त्रीतत्व के रक्षार्थ बलिदान से प्रेरणा लेकर स्वम के उज्जवल चरित्र का निर्माण कर सकते हैं।
उन्होंने आह्वान किया कि बलिदानी कनकावती गुर्जरी के देशभर में प्रेरणीय स्थल बनाए जाने चाहिए। खादी ग्रामोद्योग आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉक्टर यशवीर सिंह ने कहा कि सामाजिक स्तर पर शिक्षा के अभाव के कारण गुर्जर इतिहास को जानबूझकर छुपाया गया। गुर्जर इतिहास के बिना भारतीय इतिहास का अस्तित्व ही अधूरा रहता है। उन्होंने वीरांगना कनकावती गुर्जरी के विषय पर देशभर में आयोजनों की महत्ता पर विशेष बल दिया।
प्रमुख पत्रिका देव चेतना के संपादक एवं वरिष्ठ समाजसेवी डॉ मोहनलाल वर्मा ने कहा कि दुनिया के इतिहास में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं जैसा कनकावती गुर्जरी का है। कनकावती गुर्जरी ने राक्षसी प्रवृत्ति के लोगों से युद्ध करते हुए अपने स्त्रीत्व अस्तित्व की रक्षा की और अंत में बलिदान से भी नहीं चुकी । उनके इतिहास पर शोध की आवश्यकता है। वरिष्ठ इतिहासकार एवं उगता भारत के संपादक डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि जिस जाति और देश के इतिहास में कनकावती गुर्जरी जैसी महान बलिदानी वीरांगनाओं के संस्कार निहित हो, निसंदेह वह महान होगा ही। हम उनके जीवन से प्रेरणा लेकर अपने समाज और राष्ट्र की संस्कृति को महान बना सकते हैं। अखंड भारत गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ देवनारायण गुर्जर ने कहा कि कनकावती गुर्जर के अनूठे बलिदान से गुर्जर समाज अपनी संस्कृति पर फ़ख्र महसूस करता है। आज के संक्रमण काल में दुनिया के लिए कनकावती गुर्जरी का इतिहास विशेष सबक बन सकता है।
कार्यक्रम में देशराज गुर्जर, नान जी भाई गुर्जर ने कहा कि काफी प्रयासों के उपरांत जन्मस्थली राजस्थान के खेतड़ी में कनकावती गुजरी के स्मारक स्थल के विकास का रास्ता खुला , लेकिन अब जरूरी है कि सरकार इस विशेष स्थल के सर्वांगीण विकास के लिए पर्याप्त व्यवस्थाओं का प्रबंध करें। यह स्थल करोड़ों जनमानस की आस्था का केंद्र है। अखंड भारत गुर्जर महासभा के जिला अध्यक्ष सतेंद्र गुर्जर ने कहा कि खेतड़ी का नाम बदलकर कनकावती नगर रखा जाना चाहिए, ताकि सहजता के साथ उनके बलिदान से अवगत हो सके। कार्यक्रम में अखंड भारत गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभु चौधरी, अखंड भारत गुर्जर महासभा, मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष श्याम गुर्जर, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य सुरभि भाटी, प्रसिद्ध कवियत्री अनुराधा अच्छवान, वरिष्ठ शिक्षाविद शैतान सिंह, गणेश राम गुर्जर आदि की विशेष उपस्थिति रही।