डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा लिखित ‘गुर्जर वंश का गौरवशाली इतिहास’ – पुस्तक का विमोचन संपन्न : गुर्जरों के गौरवशाली कालखंड को इतिहास में गुर्जर कालखंड के नाम से दर्ज कराने की की गई मांग इति
अजय आर्य
ग्रेटर नोएडा। यहां पर एक वेबीनार के माध्यम से इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा लिखित दो पुस्तकों ‘गुर्जर वंश का गौरवशाली इतिहास’ और ‘भारत के स्वर्णिम इतिहास के कुछ पृष्ठ’ – का विमोचन किया गया । उक्त में से प्रथम पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मंत्री एवं गन्ना विकास संस्थान उत्तर प्रदेश के चेयरमैन श्री नवाब सिंह नागर द्वारा किया गया । जबकि दूसरी पुस्तक का विमोचन ‘अपना दल’ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सुप्रसिद्ध समाजसेवी नेपाल सिंह कसाना द्वारा किया गया। कार्यक्रम में पुस्तकों के लेखक डॉक्टर आर्य द्वारा इतिहास में गुर्जरों के गौरवशाली कालखंड को गुर्जर कालखंड के नाम से स्थापित करने की मांग की गई।
पुस्तक के विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री नवाब सिंह नागर ने कहा कि इतिहास को तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया जाना लेखक का प्रथम उद्देश्य होता है ।
जिससे कि हमारी युवा पीढ़ी को इतिहास के सही तथ्यों की जानकारी हो सके। उन्होंने कहा कि श्री आर्य द्वारा इस पुस्तक में तथ्यात्मक आधार पर जो जानकारी दी गई है वह निश्चय ही नई पीढ़ी के लिए उपयोगी होगी । जिससे हमारी युवा पीढ़ी अपने अतीत को समझेगी और उसके गौरवशाली अध्यायों से प्रेरणा लेकर अपने वर्तमान को सुधारकर उज्जवल भविष्य के लिए संघर्ष करेगी।
जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री नेपाल सिंह कसाना ने कहा कि श्री डॉ आर्य ने दोनों पुस्तकों के माध्यम से भारत के अतीत पर महत्वपूर्ण प्रकाश डाला है । उन्होंने कहा कि लेखक ने गुर्जर वंश के विषय में व्याप्त भ्रांतियों का सफलतापूर्वक निवारण करने का प्रयास किया है। जिससे हूण और कुषाणों के बारे में लोगों को सही जानकारी मिल सकेगी। साथ ही प्रतिहार वंश के शासकों के द्वारा किए गए पुरुषार्थ पूर्ण पराक्रम और देशभक्ति की जानकारी भी इस पुस्तक के माध्यम से प्राप्त होगी ।जिसके लिए डॉक्टर आर्य का यह प्रयास बहुत ही सराहनीय है।
पुस्तक के विषय में परिचयात्मक भाषण देते हुए 1857 की क्रांति के अमर शहीद को धनसिंह कोतवाल शोध संस्थान मेरठ के चेयरमैन डॉ तस्वीर चपराना ने अपनी भूमिका में स्पष्ट किया कि लेखक ने गुर्जर वंश के कई विलुप्त अध्यायों को बहुत ही शानदार ढंग से प्रस्तुत किया है । उन्होंने कहा कि नागभट्ट प्रथम नागभट्ट द्वितीय और गुर्जर सम्राट मिहिर भोज जैसे शासकों के समय में जिस प्रकार शुद्धि आंदोलन चलाकर देश की संस्कृति की रक्षा की गई , उसके साथ-साथ अन्य कई ऐसे ही अध्यायों पर लेखक ने महत्वपूर्ण प्रकाश डालकर पुस्तक को उपयोगी बनाने का सराहनीय प्रयास किया है।
कार्यक्रम में अपने प्रकाशकीय संबोधन में डायमंड पॉकेट बुक्स के चेयरमैन श्री नरेंद्र वर्मा ने भी विचार व्यक्त किए। जबकि लेखकीय संबोधन में अपने विचार व्यक्त करते हुए पुस्तकों के लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि हमारे इतिहास का न केवल विकृतिकरण किया गया है बल्कि विलोपीकरण भी किया गया है । जिससे इतिहास के अनेकों सत्य और तथ्य छुपा दिए गए हैं । फलस्वरूप हमारा सारा इतिहास निराशाजनक दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि आज भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता है। जिसके लिए भारतीय इतिहास पुनर्लेखन समिति महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि इस समिति के राष्ट्रीय संयोजक श्री धर्मचंद पोद्दार हैं।
भारतीय इतिहास पुनर्लेखन समिति के राष्ट्रीय संरक्षक श्री देवेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि इतिहास का अर्थ मरे गिरे लोगों का विवरण तैयार करना नहीं है, बल्कि अतीत के गौरव को वर्तमान पीढ़ी के सामने गौरवमयी ढंग से प्रस्तुत करना है । जिसके लिए प्रस्तुत पुस्तकों का लेखन कार्य सचमुच प्रशंसनीय है।
कार्यक्रम में समाज शास्त्र के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर राकेश राणा और वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी राकेश छोकर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से इस बात पर विस्तृत प्रकाश पड़ता है कि गुर्जर समाज ने राष्ट्र निर्माण में सदा बढ़-चढ़कर योगदान दिया है । कार्यक्रम के संयोजक के रूप में समाजसेवी सत्येंद्र आर्य व सुनील नागर ने भी अपने विचार व्यक्त किये । इस अवसर पर कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ समाजसेवी बिट्टू कसाना जावली द्वारा किया गया।
ज्ञात रहे कि उक्त कार्यक्रम दिन में 5:00 बजे से 6:00 तक संपन्न हुआ जबकि ‘पुस्तक समीक्षा’ के रूप में वैबीनार के माध्यम से ही दूसरा कार्यक्रम रात्रि 9:00 बजे से 10:00 बजे तक संपन्न हुआ । उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता भी श्री नेपाल सिंह कसाना द्वारा ही की गई । जबकि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित नंदकिशोर मिश्र और मुख्य वक्ता के रूप में लोनी के युवा विधायक नंदकिशोर गुर्जर रहे।
बाबा पंडित नवल किशोर मिश्र ने कहा कि गुर्जरों का इतिहास बहुत ही गौरव पूर्ण रहा है । उन्होंने कहा कि प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से गुर्जरों के राष्ट्र निर्माण में योगदान पर व्यापक प्रकाश पड़ता है। जिन अध्यायों को कम्युनिस्ट सोच के इतिहासकारों ने जानबूझकर मिटाने का राष्ट्रीय अपराध किया है उन्हें श्री आर्य के द्वारा सफलतापूर्वक स्थापित कर राष्ट्र की बहुत बड़ी सेवा की गई है । जबकि विधायक श्री गुर्जर ने गुर्जरों के गौरवमयी इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनेक युद्धों में गुर्जरों ने विदेशी आक्रमणकारियों का जमकर प्रतिरोध किया । यदि गुर्जर उस समय देश की रक्षा न कर रहे होते तो निश्चय ही भारत बहुत जल्दी गुलाम हो गया होता और फिर कभी भी स्वतंत्र नहीं होता । श्री गुर्जर ने कहा कि इतिहास के साथ की गई छेड़छाड़ एक गंभीर अपराध है । जिसका अब सही स्वरूप हमारे सामने लाया जाना आवश्यक है । श्री गुर्जर ने कहा कि डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा किया गया कार्य निश्चय ही एक मील का पत्थर साबित होगा।
इस सत्र में इतिहासकार डॉ सुशील भाटी ने गुर्जर वंश के हूण , कुषाण और प्रतिहार वंश के शासकों के महान कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रस्तुत पुस्तक जिस प्रकार लिखी गई है उससे इतिहास के एक लंबे कालखंड का यथार्थ स्वरूप हमारे सामने प्रकट हो सका है , जिसके लिए डॉक्टर आर्य धन्यवाद के पात्र हैं।