अजय कुमार
जितिन प्रसाद ने सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस के पदों और सरकार से बर्खास्त किए जाने के बाद उनका समर्थन किया है। जितिन ने जिस अंदाज में पायलट का साथ दिया है, उससे ये अटकलें लगने लगी हैं कि वो भी पायलट के अंदाज में ही कांग्रेस का दामन छोड़ सकते हैं।
राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष ही नहीं युवा जुझारू नेता सचिन पायलट के साथ कांग्रेस आलाकमान ने जिस तरह का व्यवहार किया है, उसका प्रभाव उत्तर प्रदेश कांग्रेस में भी नजर आ रहा है। कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं सलमान खुर्शीद और जितिन प्रसाद ने सचिन पायलट प्रकरण में पार्टी से अलग लाइन लेकर अपने लिए मुसीबत खड़ी कर ली है। सलमान खुर्शीद के बारे में तो नहीं, लेकिन जितिन प्रसाद को लेकर तो यहां तक कहा जा रहा है कि उन पर भी आलाकमान की गाज गिर सकती है। जितिन प्रसाद भी पायलट की तरह की राहुल गांधी खेमे के नेता माने जाते हैं, लेकिन जब से प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी प्रियंका के हाथों में आई है तब से प्रदेश की राजनीति में जितिन प्रसाद साइड लाइन चल रहे हैं। कांग्रेस का ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले जितिन प्रसाद की रूहेलखंड क्षेत्र के जिलों में अच्छी खासी पकड़ है।
यूपी कांग्रेस के युवा चेहरे और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस के पदों और सरकार से बर्खास्त किए जाने के बाद उनका समर्थन किया है। जितिन ने जिस अंदाज में पायलट का साथ दिया है, उससे ये अटकलें लगने लगी हैं कि वो भी पायलट के अंदाज में ही कांग्रेस का दामन छोड़ सकते हैं। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब जितिन के कांग्रेस छोड़ने की चर्चा छिड़ी हुई है। 2019 लोकसभा चुनावों में के दौरान भी बहुत तेजी से अफवाह उड़ी थी कि जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल होने वाले हैं। अफवाह इतनी बड़ी थी कि कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को सामने आकर सफाई देनी पड़ी थी। हालांकि, जितिन प्रसाद उसके बाद भी सामने नहीं आए थे।
गौरतलब है कि जितिन प्रसाद यूपी के कद्दावर नेता हैं, लेकिन जबसे यूपी में प्रियंका गांधी का दखल बढ़ा है तब से उन्हें पार्टी में वह महत्व नहीं मिल रहा है जैसा राहुल गांधी के समय मिला करता था। यूपीए-2 में जिस तरह से सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया की तूती बोलती थी उसी तरह यूपी में जितिन प्रसाद की भी तूती बोलती थी। जितिन केन्द्रीय मंत्री थे और राहुल गांधी के करीबी माने जाते रहे हैं। अब जब 5 महीने में ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर सचिन पायलट तक ने पार्टी से बगावत कर दी है तो सचिन के समर्थन में जितिन प्रसाद के ट्वीट से अब सबकी निगाहें जितिन प्रसाद की ओर लग गई हैं। सब जानना चाहते हैं कि जितिन प्रसाद का आखिर अगला कदम क्या होगा।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राजनीतिक सलाहाकार जितेन्द्र प्रसाद के पुत्र जितिन प्रसाद का सियासी सफर करीब 15 वर्ष पुराना है। जितिन 2004 में शाहजहांपुर से पहला लोकसभा चुनाव लड़े थे। जीत कर मंत्री भी बने फिर 2009 में धौरहरा सीट बनी जिस पर जितिन प्रसाद चुनाव जीते और यूपीए-2 में मंत्री भी बने। फिर जितिन 2014 में लोकसभा चुनाव हार गए। 2017 में तिलहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े, लेकिन यह चुनाव भी नहीं जीते। 2019 में धौरहरा से फिर लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। इसके बाद प्रियंका वाड्रा ने जितिन को महत्व नहीं दिया। इसी से जितिन नाराज हैं और चर्चा यह भी है कि जितिन भी पायलट की तरह उड़ान भर सकते हैं। उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘यह घटनाक्रम दुखद है। मैं आरोप-प्रत्यारोप की बातों में नहीं पड़ना चाहता। मैं उम्मीद करता हूं कि हम इस सब चीजों के बजाय मिलकर चुनौतियों से लड़ेंगे।’ वैसे यह पहला मौका नहीं है जब सलमान खुर्शीद ने पार्टी लाइन से अलग विचार व्यक्त किया है।