देवेन्द्रराज सुथार
साइबर ठग अपनी आवाज और नाम बदलकर खाताधारकों को बैंक बंद होने व एटीएम कार्ड ब्लॉक होने के नाम का झांसा देकर उनकी गोपनीय जानकारी सेंधकर साइबर क्राइम को आसानी से अंजाम दे रहे हैं। खास बात यह है कि सिर्फ अनपढ़ ही नहीं पढ़े-लिखे लोग भी ठगी का शिकार हो रहे हैं।
कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के दौरान देशभर में साइबर ठगी के मामले बढ़ने लगे हैं। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के दशवतपुर गांव में साइबर ठगों ने एटीएम पिन एवं मोबाइल नंबर मांगकर दो लोगों को ठगी का शिकार बनाया। लॉकडाउन में साइबर ठग फर्जी शॉपिंग वेब बनाकर सैनेटाइजर, कोरोना सेव किट, फेस मास्क पर भारी डिस्काउंट ऑफर देकर ग्राहकों की बैंक डिटेल्स प्राप्त कर उनके साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं। साइबर ठगी की घटनाओं को देखते हुए एवं लोगों के बचाव को ध्यान में रखकर बरेली पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है। महाराष्ट्र साइबर सेल के अनुसार, लोगों के मोबाइल और ईमेल पर एक लिंक भेजकर उन्हें धोखाधड़ी का शिकार बनाया जा रहा है। उस लिंक पर क्लिक करते ही लोगों के बैंक अकाउंट से जुड़ी डिटेल्स उन लोगों तक पहुंच रही है, जो ठगी के षड्यंत्र को अंजाम दे रहे हैं। इसी तरह राजस्थान के सीकर जिले में प्रसिद्ध कस्बे खाटूश्यामजी की श्री श्याम मंदिर कमेटी द्वारा वाट्सएप पर लेटर के जरिए सहायता राशि पेटीएम अकाउंट में भिजवाने की मांग की गई है, जिसको लेकर 17 लोगों ने शिकायत दर्ज की है। इस तरह की शिकायतें दिल्ली व कोलकाता में भी दर्ज हुई हैं। अकेले राजस्थान में 200 से अधिक ठगी की शिकायत से जुड़े मामले दर्ज किये जा चुके हैं, जिसमें पीएम केयर के नाम पर 2.39 करोड़ रुपए और एक समान मासिक किश्त माफी के नाम पर 7 करोड़ रुपए का धोखा हुआ है। साइबर ठग अपनी आवाज और नाम बदलकर खाताधारकों को बैंक बंद होने व एटीएम कार्ड ब्लॉक होने के नाम का झांसा देकर उनकी गोपनीय जानकारी सेंधकर साइबर क्राइम को आसानी से अंजाम दे रहे हैं। वहीं मुफ्त डॉटा, घर बैठे नौकरी और मेडिकल उपकरण का लालच देकर भी साइबर ठग लोगों को चूना लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। शातिर साइबर ठग फ्री रिचार्ज, कोरोना उपचार के लिंक व सरकारी कार्मिक वेतन में लाभ दिलवाने के नाम पर ठगी कर रहे हैं। फिशिंग ईमेल के जरिए नौकरी और लॉटरी का लालच देकर भी लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है। इस स्थिति में इंटरनेट पर हैकरों से बचकर काम करना जटिल बनता जा रहा है।
दरअसल, साइबर ठगों के बहलाने, फुसलाने, डराने और ललचाने से न केवल अनपढ़ बल्कि कमोबेश पढ़े लिखे भी इनके जाल से स्वयं को सुरक्षित नहीं कर पा रहे हैं। चूंकि साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले इन ठगों का मकसद किसी भी तरह से लोगों की बैंक डिटेल्स हथियाना है इसलिए ये पूरी प्लानिंग के साथ अपने काम अंजाम देते हैं, ताकि लोग इनके वास्तविक रूप को पहचान नहीं पाए। उल्लेखनीय है कि बढ़ती डिजिटल संस्कृति के साथ साइबर अटैक एक वैश्विक समस्या बन चुकी है। विश्वभर में साइबर अटैक झेलने वाले देशों की सूची में भारत 21वें पायदान पर है। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्ष 2011 से 2014 तक पंजीकृत साइबर अपराध के मामलों में लगभग 350 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साइबर सुरक्षा कंपनी एफ़-सिक्योर के अनुसार, जनवरी से जून 2018 तक करीब 4.36 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं। जिसमे सबसे अधिक अटैक रूस, अमेरिका, चीन और नीदरलैंड जैसे देशों की तरफ से किए गए। इस समय भारत की तरफ से किए गए साइबर अटैक झेलने वाले टॉप 5 देश ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड, ब्रिटेन, जापान और यूक्रेन हैं। साइबर और कानून विशेषज्ञों के अनुसार, घर पर ऑफिस का काम करने के दौरान डाटा लीक होने की आशंका रहती है तथा ऐसी घटनाएं सामने आ सकती हैं। साथ ही साइबर ठगी के मामले अदालतों में पहुंचने पर अधिक समय बर्बाद होगा। इन दिनों लॉकडाउन में देशभर के सभी कर्मचारी घर पर रहकर ही अपने काम कर रहे हैं।
आवश्यकता है कि साइबर क्राइम के प्रति लोगों में जागरूकता लाई जाएं। निजी एवं गोपनीय जानकारी के अनावश्यक रूप से प्रचार-प्रसार पर रोक को लेकर सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। भारत में साइबर ठगी के खिलाफ एक सुरक्षित एवं सुदृढ़ तंत्र विकसित करने की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। विमुद्रीकरण और नकदी रहित अर्थव्यवस्था को अपनाने की दिशा में बढ़ने के कारण भारत में साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। डिजिटल भारत कार्यक्रम की सफलता बहुत हद तक साइबर सुरक्षा पर अवलंबित होगी। अतः भारत को इस क्षेत्र में तीव्र गति से कार्य करना होगा।