नई दिल्ली । ( संवाददाता ) अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संदीप कालिया ने कहा है कि प्रधानमंत्री नेपाल के प्रधानमंत्री के पी एस ओली जिस प्रकार भारत के विरुद्ध जहर उगलते जा रहे हैं और चीन की गोदी में बैठकर भारत विरोधी बयान देने से बाज नहीं आ रहे हैं , उसके दृष्टिगत भारत सरकार को चाहिए कि पड़ोसी देश के इस प्रधानमंत्री का इलाज किया जाए । उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल की जनता नहीं चाहती कि किसी प्रकार का तनाव पैदा हो और सदियों से चले आ रहे दोनों देशों के मधुर संबंधों पर किसी प्रकार का विपरीत प्रभाव पड़े , परंतु प्रधानमंत्री केपीएस ओली के बिगड़ते हुए बोलों को सुधारने के लिए उनका सही इलाज किया जाना समय की आवश्यकता है।
श्री कालिया ने कहा कि प्रधानमंत्री के पी एस ओली के द्वारा जिस प्रकार अब यह बयान दिया गया है कि भगवान राम की अयोध्या नेपाल में थी और भारत ने एक नकली अयोध्या अपने यहां बनाई , वह बहुत ही निंदनीय है और लगता है कि अब उनके बारे में भारत सरकार को कठोरता का प्रदर्शन करना ही चाहिए ।
याद रहे कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक बार फिर बेतुका बयान दिया है. इस बार के विवादित बयान में ओली ने भारत पर सांस्कृतिक अतिक्रमण का आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री निवास में आयोजित एक कार्यक्रम में ओली ने कहा कि भारत ने ‘नकली अयोध्या’ को खड़ा कर नेपाल की सांस्कृतिक तथ्यों का अतिक्रमण किया है।
ओली ने दावा किया है कि भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि नेपाल के वाल्मीकि आश्रम के पास है। ओली ने कहा कि हम लोग आज तक इस भ्रम में हैं कि सीताजी का विवाह जिस भगवान श्रीराम से हुआ है, वो भारतीय हैं. भगवान श्रीराम भारतीय नहीं बल्कि नेपाल के हैं।
भानु जयंती के अवसर पर बोलते हुए ओली ने कहा कि अयोध्या, जनकपुर से पश्चिम में रहे बीरगंज के पास ठोरी नामक जगह में एक वाल्मीकि आश्रम है. वहां एक राजकुमार रहते थे. वाल्मीकि नगर नामक जगह अभी बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले में है, जिसका कुछ हिस्सा नेपाल में भी है. उन्होंने कहा कि भारत द्वारा दावा किए जाने वाले स्थान पर राजा से शादी करने के लिए अयोध्या के लोग जनकपुर में कैसे आए ?
ऐसे में हिंदू महासभा के नेता का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण है कि अब पड़ोसी देश के नेता के बिगड़े बोलों को सुधारने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की जनता के युगों युगों पुराने संबंधों को किसी को भी बिगाड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती । ऐसे में यदि प्रधानमंत्री ओली ऐसा कर रहे हैं तो निश्चय ही वह दोनों देशों की जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।