आर.कुमार
कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या भारत में मंथर गति से बढ़ रही है। उस तरह से नहीं बढ़ रही है जैसे यूरोप के देशों में अचानक बढ़ी और फिर कम होने लगी। भारत में कोरोना के केसेज कम होने की संभावना अभी कहीं से नहीं दिखाई दे रही है। भारत में जो जानकार इसे ज्यादा बड़ी समस्या नहीं मान रहे हैं वे भी यह स्वीकार कर रहे हैं कि भारत में अभी कोरोना वायरस का पीक नहीं आया है। पीक आएगा तो कितने केसेज होंगे, यह अभी नहीं कहा जा सकता है। ध्यान रहे दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक प्रोजेक्शन पेश किया था, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली में जुलाई के अंत में साढ़े पांच लाख केसेज हो सकते हैं। हालांकि बाद में गृह मंत्री अमित शाह ने उस प्रोजेक्शन को खारिज कर दिया। मौजूदा स्थिति में लग भी नहीं रहा है कि दिल्ली में जुलाई के अंत में कोरोना के केसेज दो लाख भी पहुंच पाएंगे।
पर इसका यह मतलब नहीं है कि दिल्ली में कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म हो गया है और न इस बात की गारंटी है कि जुलाई के बाद संक्रमितों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी नहीं होगी। असल में भारत में कोरोना वायरस का डरावना रूप अब दिखना शुरू हुआ है। जिस बात का अंदेशा था कि जुलाई-अगस्त तक वायरस छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में पहुंचेगा वह आशंका सही साबित होती दिख रही है। अब जितनी संख्या में संक्रमण के नए मामले दिल्ली या मुंबई से आ रहे हैं उतनी संख्या में मामले दूरदराज के इलाकों से आ रहे हैं।
पहले लगता था कि मुंबई कोरोना का इपीसेंटर है, फिर लगा कि अहमदाबाद है, फिर इंदौर और दिल्ली की चर्चा हुई, बेंगलुरू और चेन्नई भी इपीसेंटर बने और अब लग रहा है कि समूचा देश ही कोरोना वायरस का इपीसेंटर बनने वाला है। तेलंगाना से डेढ़ से दो हजार नए मामले औसतन आ रहे हैं। आंध्र प्रदेश में एक से डेढ़ हजार नए केसेज का औसत बना है। हरियाणा जैसे छोटे राज्य में संक्रमितों की संख्या 19 हजार के करीब पहुंच गई। देश के एक राज्य महाराष्ट्र में दो लाख से ज्यादा संक्रमित हैं। दो राज्यों- दिल्ली और तमिलनाडु में एक लाख से ज्यादा केसेज आ चुके हैं। तीन राज्यों- गुजरात, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में 30 हजार से ज्यादा संक्रमित हो गए हैं। राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में 22 से 28 हजार के बीच केसेज हैं। इनके अलावा पांच राज्यों में 10 हजार से ऊपर संक्रमण के मामले पहुंचे हुए हैं। राज्य के 19 बड़े राज्यों में से 12 राज्य ऐसे हैं, जो कोरोना के हॉटस्पॉट में बदल रहे हैं और इनका इपीसेंटर में तब्दील हो जाना महज वक्त की बात है।
देश में हर पांच दिन में एक लाख नए मामले आ रहे हैं। पिछले 13 दिन में दो लाख 70 हजार के करीब मामले आए हैं और शुक्रवार को देश में संक्रमितों की संख्या आठ लाख पहुंच जाएगी। यहीं रफ्तार रही तो जुलाई के अंत में देश में 12 लाख संक्रमित होंगे और अगस्त के अंत तक 18 लाख। कहने को कहा जा सकता है कि अमेरिका और ब्राजील के मुकाबले भारत में कम केसेज आ रहे हैं पर उसका कारण यह है कि अमेरिका के मुकाबले भारत में टेस्टिंग भी कम हो रही है। आज अगर टेस्टिंग बढ़ा दी जाए तो भारत को दस दिन नहीं लगेंगे शीर्ष पर पहुंचने में। भारत संक्रमितों की संख्या के लिहाज से भले दुनिया में तीसरे स्थान पर है लेकिन टेस्टिंग के मामले में वह 138वें स्थान पर है।
भारत के कई राज्य जो कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बन रहे हैं जैसे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, असम आदि इन राज्यों में टेस्टिंग बहुत कम है। बिहार में तो दस लाख की आबादी पर सिर्फ 22 सौ टेस्टिंग हो रही है और झारखंड में दस लाख की आबादी पर चार हजार की टेस्टिंग है। इसके बावजूद बिहार में संक्रमितों की संख्या 13 हजार से ऊपर पहुंच गई और झारखंड में एक मंत्री व विधायक संक्रमित हो गए। मुख्यमंत्री को खुद को क्वरैंटाइन करना पड़ गया। पूरे देश में आठ जुलाई तक एक करोड़ सात लाख सैंपल की टेस्टिंग हुई है। इतने में ही भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया। अगर अमेरिका की तरह चार करोड़, चीन की तरह नौ करोड़ या रूस की तरह दो करोड़ ही टेस्ट कर दें तो क्या होगा। छह करोड़ की आबादी वाले ब्रिटेन में भी एक करोड़ दस लाख टेस्ट कराए हैं।
भारत के लिए चिंता की एक और बात यह है कि मार्च के बाद पहली बार संक्रमण की दर बढ़ी है। मेडिकल भाषा में जिसको आरओ कहते हैं यानी रिप्रोडेक्शन रेट उसमें मार्च के बाद पहली बार इजाफा हुआ है। मार्च में भारत का औसत यह था कि एक संक्रमित व्यक्ति 1.83 लोगों को संक्रमित कर रहा था। पर अब यह औसत बढ़ गया है। यानी एक संक्रमित व्यक्ति अब ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है। चिंता की दूसरी बात यह है कि कई राज्यों ने मान लिया है कि सामुदायिक संक्रमण शुरू हो गया है और कांटैक्ट इतने ज्यादा हो गए हैं कि सबको ट्रेस करना संभव नहीं है।
यहीं कारण है कि धीरे धीरे फिर लॉकडाउन के दिन लौट रहे हैं। भले दिल्ली, मुंबई में न हो पर छोटे छोटे इलाकों में जहां कोरोना देरी से पहुंचा है वहां नए सिरे से लॉकडाउन किया जाने लगा है। बिहार के कई शहरों- पटना, भागलपुर, नवादा आदि में लॉकडाउन लगाया गया है। असम के गुवाहाटी में लॉकडाउन लगा है तो पश्चिम बंगाल के कई शहरों में लॉकडाउन की घोषणा की गई है। एक तरफ जहां कुछ राज्यों में अनलॉक-दो के तहत सब कुछ खोला जा रहा है वहीं कई राज्य लॉकडाउन-एक की पाबंदियां लागू कर रहे हैं। पर समस्या यह है कि राज्यों में जिस तरह से लॉकडाउन को लागू किया जा रहा है वह अपने आप में कोरोना वायरस फैलाने वाला साबित हो रहा है।
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