जब भारत का आकार चीन से 2 गुना था और सेना थी तीन गुनी
१९४७ में जब भारत स्वाधीन हुआ तो उसका आकार चीन के दो गुना से अधिक था। कुछ लोगों ने माउंटबेटन तथा उनकी पत्नी की खुशामद कर देश का विभाजन कराया तथा बिना किसी बहुमत के सत्ता हथिया ली। उसके तुरंत बाद पाकिस्तान को भारत पर आक्रमण में सहायता के लिए ५५ करोड़ रुपए दिये तथा आधा से अधिक कश्मीर उसे दे दिया। फिर चीन १९४९ में जैसे ही स्वाधीन हुआ, उसे १३ लाख वर्ग किलोमीटर का तिब्बत बेच दिया। तिब्बत पर अधिकार करने में चीन को ५ वर्ष लगे जबकि इसके लिए भी तत्कालीन सत्ताधीश चीनी सेना को रसद पहुंचा रहे थे। इसके बाद आधा लद्दाख भी १९५९ तक चीन को सौंप दिया जहाँ चीनी आक्रमण में २० अक्तूबर को चुशूल के पास भारतीय सैनिकों की एक टुकड़ी मारी गई। अगले वर्ष १९६० से २० अक्तूबर को हर जिले में पुलिस शहीद दिवस मनाया जा रहा है। पर वे सैनिक केन्द्रीय रिजर्व पुलिस के थे, सेना के नहीँ, अतः उनकी हत्या को भारत पर आक्रमण नहीँ माना। तीन वर्ष बाद जब अरुणाचल तथा लद्दाख में पुनः आक्रमण हुआ तो कहा कि चीन ने धोखा दे दिया। १९४९ से ही भारत को धोखा दे कर कौन भारतीय भूमि चीन को देता जा रहा था। १९५० में भारतीय सेना चीन की तीन गुनी थी, भारत की आय दो गुनी थी। धीरे धीरे समाजवाद के नाम पर चीन भक्ति में भारत की शक्ति तथा सम्पत्ति चीन की तुलना में घटती गयी तथा आज चीन का आकार भारत के तीन गुना से अधिक है। उसकी आय भारत से तीन गुनी है। सेना तथा हर प्रकार के हथियार में वह रूस अमेरिका की बराबरी कर रहा है। भारत ने चीन से तुलना छोड़ कर केवल पाकिस्तान से प्रतिद्वंद्विता आरम्भ की। उसमेँ भी भारतीय सेना हर युद्ध में जीती। पर भारत हर बार हारा। १९६५ तथा १९७१ में सभी जीती भूमि वापस की, पर पाकिस्तान के अधिकार की भूमि वापस नहीँ ली। पाकिस्तान के ९३००० युद्धबन्दी छोड़ दिया पर भारत के हजारों बन्दी पाकिस्तान की जेलों में अत्याचार सह कर मर गये। एक को भी छोड़ने के लिए इन्दिरा गाँधी ने कभी नहीँ कहा।
इसके विपरीत २०१९ में भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनन्दन को पाकिस्तान २४ घण्टे के भीतर छोड़ने को बाध्य हुआ, बिना किसी पाकिस्तानी युद्ध बन्दी के बदले।
आज माननीय मोदी जी के नेतृत्व में भारत आत्म विश्वास से भरा हुआ है। शासन में सदा कुछ लोग भ्रष्ट होते हैं, कुछ कमी रहती है। पर भारत की जनता को विश्वास है कि कोरोना, पाकिस्तान, चीन तथा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से समझौता करने वाले सभी भारतीय शत्रुओं से भारत एक साथ विजयी होगा, क्योंकि दृढ़ नेतृत्व है। तुलना में भारत की शक्ति भले ही कम लगे पर मोदी जी के सङ्कल्प से निश्चय विजय होगी। लद्दाख की एक ही यात्रा से चीन पाकिस्तान दोनों चिन्तित हैं तथा उनके भारतीय एजेंट नकली लद्दाखियों का वीडियो बना कर भारत में डर पैदा कर रहे हैं। मोदी जी हठात् १३००० फीट की ऊंचाई पर जिस विश्वास सहित चल रहे हैं, वह युवक के लिए भी बहुत कठिन है। फोटो में उनकी छाया से लगता है कि सिंह निर्भय होकर वन में चल रहा है। ऐसी ही परिस्थिति भगवान् राम के पास थी जब उन्होंने रावण को उसके अपराध का दण्ड देने का निश्चय किया था
विजेतव्या लंका चरण-तरणीयो जलनिधिः,
विपक्षः पौलस्त्यो रण-भुवि सहायाश्च कपयः।
तथाप्येको रामः सकल-मवधीद्राक्षसकुलम्,
क्रियासिद्धिः सत्त्वे भवति महतां नोपकरणे॥
लंका जीतनी थी, पैर से चलकर सागर पार करना था, पुलस्त्य ऋषि के पुत्र (रावण) से शत्रुता थी, रणांगण में (केवल) वानर लोग सहायक थे; फिर भी अकेले रामचंद्रजी ने राक्षसों का सारा कुल खत्म कर दिया । महान लोगों को काम में सिद्धि सत्त्व से (आत्मबल से) मिलती है, न कि साधनों से ।
✍🏻अरुण उपाध्याय