_🌺यजुर्वेद- ईश्वर *माता पिता भाई* है 🌺 🍁 स नो बन्धुर्- जनिता स विधाता धामानि वेद भुवनानि विश्वा । यत्र देवा अमृतम आनशाना स्तृतीय धामन्न- ध्यैरयन्त ।।.32/10. 🌻व्याख्या:(स) वह परमात्मा (न) हमारा (बन्धु) भ्राता की तरह सुखदायक (जनिता) हमारी सब की जननी माता और पालक पिता और (विधाता) और कर्मफलों का विधान करने वाला ,(विश्वा) सम्पूर्ण (भुवनानि) लोक-लोकान्तरों को जीवों के (धामानि) नाम, स्थान, और जन्मों को (वेद) जानता है। (यत्र) जिस ( तृतीय) तीन- स्थूल प्रकृति, सूक्ष्म जीव, और आनंद स्वरूप परमात्मा- (धामन्) उस परमात्मा में (अमृतम्) मोक्ष को (आनशाना:) प्राप्त हुए (देवा) धर्मात्मा विद्वान लोग (अधैरयन्त:) सर्वत्र अपनी इच्छा से विचरते हैं। यह निश्चित जानो कि परमात्मा के आधार में रहने वाले दु:ख सागर में कभी नहीं गिरते।। 🌸 Gist: God is helpful like a brother, our creator-sustainer like parents, carries our deeds to fruition. He is all- knowing about the heavenly bodies in the universe, and the identity , birth cycle of the living beings. The righteous learned , who achieve immortality ie freedom from bondage of life and death, enjoy the divine bliss.🍂🌸 स्वामी दयानंद सरस्वती जी के भाष्य पर आधारित🌸🍂
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