डॉक्टर अर्जुन पांडे
बिना युद्ध किए भी युद्ध जीते जाते हैं। लेह जा कर नरेंद्र मोदी ने आज यह सिद्ध किया है। बस दिक़्क़त यह है कि चीन से ज़्यादा , कांग्रेस खुद को पराजित महसूस कर रही है। चीन से ज़्यादा पंगा कांग्रेस ले रही है और अपनी राजनीतिक विरासत के पंख निरंतर नोचती हुई नंगी हुई जा रही है। कांग्रेस की बदहवासी छुपाए नहीं छुप रही। नेपाल के प्रधानमंत्री जिस तरह चीन के उकसावे में आ कर , भारत विरोध में नंगा हो कर अपनी सत्ता होम करने की राह पर खड़े हो गए हैं , ठीक उसी तरह कांग्रेस देश के दर्पण में नित्यप्रति नंगी होती जाने को अभिशप्त हो चुकी है।
अलग बात है नरेंद्र मोदी ने लेह जा कर अपने सैनिकों को नैतिक साहस देते हुए उन की हौसला अफजाई तो किया ही है , चीन को भी अपने संबोधन में बता दिया है कि यह विस्तारवाद का नहीं , विकासवाद का समय है। चीन लेकिन कांग्रेस से ज़्यादा भयभीत है। पहली बार किसी देश ने बिना किसी युद्ध के चीन को , उस की चालबाजी को चकनाचूर कर दिया है।
चीन की सैनिक नाकेबंदी से ज़्यादा , आर्थिक नाकेबंदी कर दी है भारत ने । कूटनीति के मार्फत रूस , अमरीका जैसे देशों को अपने पाले में कर लिया है। चीन के साथ सिर्फ दो देश रह गए हैं। एक पाकिस्तान , दूसरा नार्थ कोरिया।
नेपाल जैसे मच्छर और परजीवी देश इधर भी हैं , उधर भी। जिन का कोई मतलब नहीं।
11000 फ़ीट ऊपर चीनी सरहद पर भारतीय सेना ने आज जिस तरह वंदे मातरम और भारत माता की जय का उद्घोष किया है , उस से भारत की छाती चौड़ी होती है। देश का मस्तक ऊंचा होता है। चीन की साज़िश , चूर-चूर होती है।