अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ता लद्दाख का बुद्ध संप्रदाय
लद्दाख में जिस प्रकार चीन और पाकिस्तान मिलकर बौद्धों के विरुद्ध षड्यंत्र रच रहे हैं उससे बौद्ध संप्रदाय के लोग भी पूरी तरह परिचित हैं । वह यह भी भली प्रकार जानते हैं कि यदि चीन और पाकिस्तान मिलकर अपने षड्यंत्र में सफल हो गए तो लद्दाख में उनके अस्तित्व के लिए प्रश्न खड़ा हो जाएगा । कहते हैं कि मरता क्या नहीं करता , इसलिए जब आदमी के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लग जाए तो वह अपने वजूद की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने का साहस कर लेता है । यही कारण है कि बौद्ध संप्रदाय के लोग लद्दाख में इस समय पूरी तरह आक्रामक दृष्टिकोण अपनाए हुए हैं ।
मोक्ष की साधना आखिर शांतिमय वातावरण चाहती है। किंतु अपनी परंपरा, अपनी संस्कृति और समुदाय को बचाने के कई बार अन्य रास्ते भी तलाश करने पड़ते हैं। शायद इसी कारण लद्दाख के बौद्ध उग्र हो रहे हैं। उन्होंने चिंता जाहिर की है कि अब यदि इंसाफ नहीं मिला तो देश से बौद्धों का सफाया हो जाएगा और लद्दाख मुस्लिम देश हो जाएगा।
दरअसल लद्दाख में बौद्ध लड़कियां लव जिहाद का शिकार बनाई जा रही हैं, ताकि लद्दाख को भी मुस्लिम बहुल क्षेत्र बनाया जा सके। एलबीए यानी लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन का कहना है कि मुस्लिम नौजवान खुद को बौद्ध बताकर लड़कियों से जान पहचान बढ़ाते हैं और शादी कर लेते हैं। बाद में पता चलता है कि वह बौद्ध नहीं, बल्कि मुस्लिम है।
लद्दाख में लेह और कारगिल दो जिले हैं और यहां की कुल आबादी 2,74,000 है। यहां मुस्लिमों की आबादी 49 फीसद है, जबकि बौद्धों की आबादी 51 फीसद है। एलबीए की आपत्ति इस बात पर है कि प्रशासन कथित तौर पर बौद्ध लड़की के धर्म परिवर्तन के मामले की अनदेखी कर रहा है।
वर्ष 1989 में यहां बौद्धों और मुस्लिमों के बीच हिंसा हुई थी। इसके बाद एलबीए ने मुस्लिमों का सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार किया, जो 1992 में हटा लिया गया था। दरअसल जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के फैसले के ठीक बाद लद्दाख के बौद्ध, राज्य में शेख अब्दुल्ला और कश्मीर के प्रभुत्व का विरोध करने लगे। वर्ष 1947 के बाद कश्मीर के पहले बजट में लद्दाख के लिए कोई फंड निर्धारित नहीं किया गया।
वर्ष 1961 तक इस क्षेत्र के लिए अलग से कोई योजना नहीं बनाई गई थी। मई 1949 में एलबीए के अध्यक्ष चेवांग रिग्जिन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से कहा था कि लद्दाख का प्रशासन सीधे भारत सरकार के हाथों में हो या जम्मू के हिंदू बहुल इलाकों के साथ मिलाकर इसे अलग राज्य बना दिया जाना चाहिए। इस बीच लद्दाख पर पाकिस्तान की भी नजरें गड़ी रहीं और ये लव जिहाद पाकिस्तान की ही एक नीति का हिस्सा है, क्योंकि पाकिस्तान चाहता है कि लद्दाख में मुस्लिम आबादी में वृद्धि हो या किसी तरह से वहां के लोग मुस्लिम धर्म अपनाते जाएं, ताकि मुस्लिम धर्मावलंबियों का अधिक संख्या में होना उसके पक्ष में माहौल बनाने के काम आए।
वर्ष 2003 से अब तक यहां पर सौ से ज्यादा लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बनाया गया और हमेशा की तरह दावा यही किया गया कि उन्होंने ऐसा अपनी इच्छा से किया है। जब केरल, बंगाल और उत्तर प्रदेश से लव जिहाद की खबरें आ रही हैं कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के लोग हिंदू लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बना रहे हैं, तब सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद यहां के एक खास मामले की जांच एनआइए को सौंपे जाने के बाद उसने अपनी जांच में इन आरोपों को सही पाया।
धर्मनिरपेक्षता के नाम पर जितने भी सेकुलरिस्ट इस देश में हैं , उन सबके लिए यह घटनाएं आम हो सकती हैं , परंतु जो षड्यंत्रकारी इन घटनाओं के करने में लगे हुए हैं उनके लिए यह आम न होकर बहुत महत्व रखती हैं अर्थात खास हैं । क्योंकि ऐसी ही घटनाओं से वह लद्दाख सहित पूरे भारतवर्ष का इस्लामीकरण करने की अपनी योजना में सफल होंगे। यदि लद्दाख का बौद्ध संप्रदाय समय रहते जाग रहा है तो इसे एक शुभ संकेत ही मानना चाहिए । जरूरत है देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले हिंदुओं के भी जागने की।
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