मैंने अपनी पुस्तक वेद और कुरान की समीक्षा को लिखकर दिया था 2008 में, प्रमाण के साथ लिखा है जिसका एक प्रमाण मैं उठाकर दे रहा हूँआज आप लोगों को |
पहली बात यह है इस्लामी मान्यता अनुसार अल्लाह तो मुख्य नाम है,अल्लाह जैसा परमात्मा का मुख्य नाम ओम है | ठीक इसी प्रकार अल्लाह का गौनिक नाम है 99, जिसे सिफाती नाम कहते हैं,परमात्मा का असंख्य नाम है गौनिक |
मैंने इन दोनों को मिलाकर लिखा अपनी पुस्तक में,अल्लाह के नाम दोष पूर्ण हैअर्थात अल्लाह के नामों में दोष हैं,जो दोष ईश्वर के नामों में नहीं है |
प्रमाण के लिए = अल्लाह का एक नाम रहीम है = अर्थात रहम करने वाला, अब विचार करें कि अल्लाह अगर रहम करने वाला दयालु है – तो कुरान में अल्लाह ने क़ुरबानी का हुक्म कैसे दिया ? क्या कुरबानी करना पशुओं पर दया है ?
अगर पशु काटने का आदेश देने वाले को दयालु कहेंगे तो उसामा बिन लादेन तो फ़रिश्ता है ? या सद्दाम हुसैन जिन्हों ने शियाओं का कत्ले आम किया यह तो निष्पाप ही ठहरे ?
परमात्मा का स्वाभाविक गुण है प्राणी मात्र पर दया करना | यही कारण है की योग दर्शन का पहला सोपान है अहिंसा | अर्थात हिंसा न करना, जो तीन प्रकार का होता है – मन से -वचन से – और कर्म से = सबसे पहला कदम बताया गया है की हिंसा करने वाला कभी परमात्मा का सानिद्ध् लाभ नहीं कर सकता |
मैंने एक ही प्रमाण लिखा यहाँ पर, 99 नाम अल्लाह के हैं और सब दोष पूर्ण है,अगर एक एक का लिखने लगूं तो यहीं फेसबुक में ही पुस्तक बनेगा |
मेरी खुली चुनौती है जो लोग ईश्वर अल्लाह दोनों एक है बता रहा है वह आयें उन्हें डिबेट के लिए चुनौती दिया हूँ और आज भी दे रहा हूँ जिसको आना है सामने आओ बैठकर सत्य और असत्य को जानते हें | धन्यवाद के साथ महेन्द्रपाल आर्य = 4 /7/ 20