योजना के क्रियान्वयन से सूक्ष्म तथा लघु उद्यमों को कोविद-19 महामारी के कारण उत्पन्न वित्तीय परेशानियों से निपटने में मदद मिलेगी।छोटे कारोबारियों को महामारी के समय धन की कमी का सामना करना पड़ रहा है अत: उनके द्वारा कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है। योजना छोटे कारोबारियों को कर्मचारियों की छंटनी किये बिना ही अपना कामकाज निरंतर जारी रखने में मदद करेगी।
प्रधान मंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत 8 अप्रैल, 2015 को गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु / सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख तक का ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी । ये ऋण वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक, सूक्ष्म वित्त संस्थाओं तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा प्रदान किये जाते हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत तीन प्रकार के ऋणों की व्यवस्था की गई: शिशु- 50,000 रुपए तक के ऋण, किशोर- 50,001 से 5 लाख रुपए तक के ऋण, तरुण – 500,001 से 10 लाख रुपए तक के ऋण। मुद्रा कंपनी को 100% पूंजी का योगदान के साथ ‘भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया है। वर्तमान में मुद्रा कंपनी की अधिकृत पूंजी 1000 करोड़ है और भुगतान की गई पूंजी 750 करोड़ है। मुद्रा ऋण गैर-कृषि गतिविधियों के लिए उपलब्ध हैं, जो 10 लाख रुपए तक और कृषि से जुड़ी गतिविधियाँ जैसे कि डेयरी, पोल्ट्री, मधुमक्खी पालन आदि क्षेत्र में काम करते है।
अगर आप अपना छोटा-सा बिजनेस या खुद का व्यापार शुरु करना चाहते हैं लेकिन आपके पास पर्याप्त राशि नहीं है तो आप प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के जरिए आवेदन करके 50 हजार रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक लोन ले सकते हैं और अपना खुद का बिजनेस शुरू कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के छोटे उद्यमियों की सहायता के लिए दिल्ली में प्रधानमंत्री मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी योजना की शुरुआत की थी। पीएम मोदी ने इस योजना को देश के विकास के लिए बेहद जरूरी बताया था। आम तौर पर मुद्रा लोन वेंडर, ट्रेडर, दुकानदार और अन्य कारोबार के लिए दिए जाते हैं. मुद्रा लोन लेकर आप टैक्सी-ट्रांसपोर्ट का भी काम शुरू कर सकते हैं. इसके अलावा अगर आप छोटी यूनिट लगाना चाहते हैं तो मशीनरी और कच्चा माल आदि खरीदने के लिए भी लोन लिया जा सकता है.
हाल ही में मुद्रा छूट योजना उन ऋणों पर लागू होगी जिन ऋणों का भुगतान 31 मार्च, 2020 तक बकाया था और 31 मार्च, 2020 को तथा योजना की अवधि के दौरान ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्ति के रूप में नहीं गया हो। ध्यान रहे कि इसमें वे ऋण भी शामिल किये जाएंगे जिन्हे पूर्व में ‘गैर-निष्पादन परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया था परंतु बाद में उन्हे निष्पादित परिसंपत्ति के रूप शामिल किया गया हो। छूट योजना की अनुमानित लागत लगभग 1,542 करोड़ रुपए होगी जिसे भारत सरकार द्वारा अपने खाते से वहन किया जाएगा।
वर्तमान छूट से निःसन्देहः उधारकर्ताओं के लिए वित्तीय तनाव को कम करेगी। साथ ही यह यह उन लोगों को प्रोत्साहित करेगा जो ऋणों का नियमित पुनर्भुगतान करेंगे कोविद -19 महामारी के कारण उत्पन्न संकट के समय मुद्रा योजना के तहत प्रदान की जाने वाली ऋण राहत योजना अपना कामकाज निरंतर जारी रखने में मदद करेगी जिससे अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा तथा देश के आर्थिक पुनरुत्थान को बल मिलेगा। वास्तव में देखे तो प्रधानमंत्री मुद्रा योजना गरीबों का सहारा है, डूबती कश्ती को मिला किनारा है !!