जनपद गौतम बुद्ध नगर का इतिहास बहुत ही महत्वपूर्ण है । यहां की मातृ तहसील दादरी इस जिले का प्रमुख कस्बा है । जिसे सन 1739 और 1761 में मोहम्मद शाह अब्दाली और नादिरशाह के आक्रमण के पश्चात तत्कालीन मुगल बादशाह मोहम्मद शाह रंगीला द्वारा अपने शासन की सुरक्षा के लिए स्थापित कराया गया था । जिसने गांव कठेहड़ा के एक प्रमुख व्यक्ति किशनसिंह भाटी को राव की उपाधि देकर इस कस्बे में राम के अधीनस्थ अपनी सेना रखी थी। उससे पहले 1737 – 40 के करीब यहां पर मराठों ने आकर इस नगर के एक प्रमुख मंदिर का निर्माण कराया था। यह मंदिर आज भी इस नगर में बना हुआ है।
दादरी की जनता ने 1857 के प्रथम स्वातन्त्र्य समर में काफी योगदान दिया था। दादरी के राव उमराव सिंह समेत आसपास के 84 लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । जिन्हें उस समय की क्रूर ब्रिटिश सरकार ने यहां से उठाकर बुलंदशहर के काला आम पर फांसी लगाई थी।
31 मई 1857 को एक बार पुन: गाजियाबाद में हिन्डन नदी के तट पर अंग्रेज सेना के साथ युद्ध हुआ था, जिसमें मिर्जा मुगल, वलीदाद खां पठान मालागढ़ तथा उसके सेनापति इन्द्र सिंह गुर्जर दादरी के भाटी व नागडी गुर्जरों ने भाग लिया था। इनके अतिरिक्त आसपास के गांवों के अन्य जातियों के देशभक्त लोग अपने हथियार लेकर सम्मिलित हुए और बड़ी संख्या में शहीद हुए थे।
राव उमरावसिंह भाटी दादरी की रियासत के राजा थे। इनका जन्म सन् 1832 मे दादरी (उ.प्र) के निकट ग्राम कटेहडा मे राव किशन सिंह भाटी के पुत्र के रूप मे हुआ था।सन सत्तावन 1857 की जनक्रान्ति में राव रोशन सिहं भाटी ,उनके बेटे राव बिशन सिहं भाटी व उनके भतीजे राव उमराव सिहं भाटी का महत्वपूर्ण योगदान था।
10 मई को मेरठ से 1857 की जन-क्रान्ति की शुरूआत कोतवाल धनसिंह गुर्जर द्वारा हो चुकी थी। तत्कालीन राष्टृीय भावना से ओतप्रोत उमराव सिंह भाटी ने आसपास के ग्रामीणो को प्रेरित कर 12 मई 1857 को सिकन्द्राबाद तहसील पर धावा बोल दिया। वहाँ के हथ्यार और खजानो को अपने अधिकार मे कर लिया। सूचना मिलते ही बुलन्दशहर से सिटी मजिस्ट्रेट सैनिक बल सिकनद्राबाद आ धमका। 7 दिन तक क्रान्तिकारी सैना अंग्रेज सैना से ट्क्कर लेती रही ।अंत मे 19 मई को सश्स्त्र सैना के सामने क्रान्तिकारी वीरो को हथियार डालने पडे 46 लोगो को बंदी बनाया गया। उमरावसिंह बच निकले । इस क्रान्तिकारी सैना मे गुर्जर समुदाय की मुख्य भूमिका होने के कारण उन्हे ब्रिटिश सत्ता का कोप भोजन होना पडा। उमरावसिंह अपने दल के साथ 21 मई को बुलन्दशहर पहुचे एवं जिला कारागार पर घावा बोलकर अपने सभी राजबंदियो को छुडा लिया । बुलन्दशहर से अंग्रेजी शासन समाप्त होने के बिंदु पर था लेकिन बाहर से सैना की मदद आ जाने से यह संभव नही हो सका हिंडन नदी के तट पर 30 व 31 मई को क्रान्तिकारी सैना और अंग्रेजी सैना के बीच एक ऐतिहासिक भीषण युद्ध हुआ। जिसे हिंडन का महायुध्द कहा जाता है। जिसकी कमान क्रान्तिनायक धन सिंह गुर्जर, राव उमराव सिहँ गुर्जर, राव रोशन सिहँ गुर्जर इस युद्ध में अंग्रेजो को मुहँ की खानी पडी थी। 26 सितम्बर, 1857 को कासना-सुरजपुर के बीच उमरावसिंह की अंग्रेजी सैना से भारी टक्कर हुई । लेकिन दिल्ली के पतन के कारण सैना का उत्साह भंग हो चुका था । भारी जन हानी के बाद राव-सैना ने पराजय श्वीकार करली ।उमरावसिंह को गिरफ्तार कर लिया गया ।इस जनक्रान्ति के विफल हो जाने पर बुलंदशहर के काले आम पर दादरी बुुलंदशहर क्षेत्र के बहुत से गुर्जर क्रान्तिवीरो के साथ राजा राव उमराव सिहँ भाटी, राव रोशन सिहँ भाटी,राव बिशन सिहँ भाटी को बुलन्दशहर मे कालेआम के चौहराहे पर फाँसी पर लटका दिया गया।
1857 की क्रांति के पश्चात 1858 में जब बहादुर शाह जफर को अंग्रेजों ने दिल्ली से गिरफ्तार कर रंगून ले जाने की योजना बनाई और बहादुर शाह जफर जब दादरी से गुजरे तो कोट के पुल के पास यहां के लोगों ने वीरता दिखाते हुए अपने बादशाह को अंग्रेजों की गुलामी से कुछ देर के लिए आजाद करा लिया था , परंतु पीछे से अंग्रेजों की और सेना आ जाने पर अंग्रेज बादशाह को फिर से पाने में सफल हो गए थे।
बुलंदशहर से लेकर लालकुंआ तक के बीच के हिस्से में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी शासन की नाक में दम कर दिया था। जिस पर अंग्रेजों ने राव उमराव सिंह समेत क्षेत्र के 84 क्रांतिकारियों को बुलंदशहर के काला आम पर फांसी लगाई थी। जिससे चलते आज भी बुलंदशहर का काला आम चर्चित है। वहीं अंग्रेजी हकूमत ने क्रांतिकारियों के परिवार के संपत्ति को छीन लिया गया था। उनके मकानों को तोड़ दिया गया था। शहीदों की याद में आज भी दादरी तहसील पसिसर में स्थित आज भी शहीद स्तंभ मौजूद है। जिस पर 84 क्रांतिकारियों के नाम अंकित है। वहां दादरी के मुख्य तिराहे पर राव उमराव सिंह की प्रतिमा स्थित है। हर साल उनकी याद में 15 अगस्त और 26 जनवरी को विभिन्न समाजसेवी संगठनों और प्रमुख लोगों के द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन किए जाते है। दादरी में स्वतन्त्रता सेनानी राव उमराव सिंह की मूर्ति आज भी देखी जा सकती है।
ऐतिहासिक दृष्टि से यहाँ का काम करना राव कौशल सिंह की कभी राजधानी रही थी । जिसके ध्वंसावशेष वहां पर आज भी पड़े हुए हैं । यहां के लोगों ने कई बार इस जिले का नाम अपने राजा राव कौशल सिंह के नाम पर कौशल घाट रखने की मांग शासन प्रशासन से की है । कासना गांव में ही रानी निहालदे का बाग आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है , जिसका एक शानदार इतिहास है । इसी जनपद में महाभारत कालीन शहर दनकौर भी स्थित है । जहां गुरु द्रोणाचार्य ने पांडवों और कौरवों को शिक्षा दीक्षा प्रदान की थी अर्थात यही वह स्थान है जहां से कौरव पांडव अस्त्र शास्त्र की शिक्षा ग्रहण कर यहां से हस्तिनापुर के लिए अक्सर आते जाते रहे होंगे । इसी जनपद में रावण के पिता का कस्बा , निवास स्थान या राजधानी विश्वरक्षक स्थित है। जो आजकल गांव में बिसरख के नाम से जाना जाता है। रावण के पिता की नगरी होने के कारण यहां के लोग आज भी दशहरा नहीं मनाते और ना ही रावण दहन करते हैं।
रामपुर जागीर व नलगढ़ा गाँव कई स्मृतियाँ संजोये हुए है। दनकौर में द्रोणाचार्य तथा बिसरख में रावण के पिता विश्वेश्रवा ऋषि का प्राचीन मन्दिर आज भी स्थित है। ग्रेटर नोएडा स्थित रामपुर जागीर गाँव में स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान सन् 1919 में मैनपुरी षड्यन्त्र करके फरार हुए सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ भूमिगत होकर कुछ समय के लिये रहे थे । नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे के किनारे स्थित नलगढ़ा गाँव में भगत सिंह ने भूमिगत रहते हुए कई बम-परीक्षण किये थे। वहाँ आज भी एक बहुत बड़ा पत्थर सुरक्षित रखा हुआ है।
गौतम बुद्ध नगर जिला गजेटियर के अनुसार यहाँ यमुना व हिण्डन नदियों की दोआब (खादर) जमीन पर बसे गाँवों नलगढ़ा, तुगलपुर व रामपुर जागीर में विजय सिंह पथिक, कोतवाल धन सिंह गुर्जर, पं॰ रामप्रसाद ‘बिस्मिल’, उमरावसिंह गुर्जर चंद्रशेखर आजाद व भगत सिंह आदि छिपकर अपनी योजनायें बनाया करते थे। एक्सप्रेस वे के किनारे बसे नलगढ़ा गाँव में तो वह पत्थर आज भी सुरक्षित रखा हुआ है जिस पर भगत सिंह ने दिल्ली असेम्बली बम काण्ड से पूर्व कई बार बम परीक्षण करके देखा था। परीचौक पर गुर्जर शोध संस्थान व विजय सिंह पथिक ऑडिटोरियम स्थित है। शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की याद जनमानस में ताज़ा बनी रहे इसके लिये सेक्टर बीटा वन के ई ब्लॉक में “अमर शहीद पं॰ रामप्रसाद बिस्मिल उद्यान” स्थापित किया गया है।
देवेंद्र सिंह आर्य
चेयरमैन : उगता भारत
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।