बीजिंग की सड़कों पर फहराएंगे तिरंगा : श्याम सुंदर पोद्दार

चीन ने इस बार बह भारत पर प्रहार बहुत सोच समझ कर किया है। चीन के पास भारत के ऊपर बहुत सी बातो में उसकी भारत की तुलना मे बहुत मज़बूती है। उन्ही सभी चीन की भारत पर मज़बूती को देखते हुए चीन ने उचित समझा की भारत पर प्रहार करके वह कोरोना मामले से विश्व का ध्यान ही नही हठा देगा बल्कि भारतीय में उनके प्यादे
सीपीआयी,सीपींएम.कांग्रेस आज सत्ता से बहुत दूर हो गए है एवं अगले चुनाव में भी उनके जीतनेक़ी सम्भावना नही है। यदि चीन ने भारत को युद्ध में पराजित कर दिया तब मोदी की कुरसीजानी तय है और कांग्रेसम सीपीआइ सीपीएम की सरकार बनना तय है।
चीनी राष्ट्रपती अपनी तरफ़ में जिन महत्व पूर्ण चीज़ों को समझते है। वे इतना सस्ता मालबेचते है भारत कि सप्लाई लाइन रुक जाएगी यदि भारत ने आत्मसमर्पण नही किया। दूसरा भारतमें जो जनता के बीच किसओपनीयन का निर्माणकरते है उन्मे ९० प्रतिशत बामपंथी है। उसमें से अधिकांश लोग तो चीन के पेरोले पर है।उनसेऐसी झूठी कहानी लिखवाएँगे क़ी मोदी पागल हो जाएँगे ,तीसरा एक तरफ से चीन प्रहार करेगा दूसरी तरफ़ से पाकिस्तान हमला करेगा। भारत इन दो तरफ़ के हमलों क़ो सह नहीं सकेगा। अभी तक तों सीया चीन के मामले में हम भारत की बाँह मरोड़ते थे तो मोदी हमको झूला झुलाते थे। सर पर ठोला मारते थे तो पेण्ट ख़ोल कर लूंगी में नग्न रूप में हमारी चापलूसी करते थे। मुख्य मंत्री थे तो चार बार आए,प्रधान मन्त्री थे चोदह बार बात की। पर हम से कुछ हासिल नही कर सके। हम अफ़िश सायीद का समर्थन करये थे,हमसे अनुनय विनय करते आप कुछ तो बदलो। पर हम नही बदले। नेपाल में हमारी कठपुतली सरकार है वे भारत के साथ रोटी बेटी का सम्बंध भूल कर हमारा तलवाचाटेंगे। हमजैसा चाहेंगे वैसे नेपाल भारत का नक़्शा बदल देंगे। मैंने भी छात्र जीवन में यादवपुर विश्व विद्यालयों में चीन के दलालो नक्सलो को हराते हुवे राजनीति की यात्रा आरम्भ की है। हर समय मेरीनज़र चीन पर लगी रहती हैं। चीन कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास में इतना निम्न श्रेणी का नेतृत्व मैंने कभी नही देखा। कभी उस देश में हुवा गुवो फ़ेंग सरीखे नेताहुवे जिन्होंने कॉम्युनिज़म की नयी परिभाषा दी कम्युनिस्ट होने का मतलब यह नहीकीं कीं सदैव गरीब रहा जायँ तथा चीन को ग़रीबी से निकाल कर विश्व के धनीरास्ट्र कीं क़तार में लाकर खड़ा कर दिया।

चीनी रास्ट्रपाती को मै कई बात याद याद दिलवाना चाहता हूँ १९६२ में भारत का रक्षामंत्री कामरेड कृष्णा मेनन चीन के साथ मिला नही होता तो १९६२ युधभारत जीतता। १९६७ में भारत ने यह क़रदीखांया। पाकिस्तान भारत से जब जब लड़ा है उसके सिर पर अमेरिका का हाथ था। आज अमेरिकन समर्थन के बिना वहएक दिन भी नही लड़ सकता।आइ मोदी के १४ बार आपसे मिलने की बात आप हाफ़िज सयीद के समर्थन के बाँदभी आप अव्वल दर्जे के गधे है मोदीजी ने २५० किलॉमीटर की सड़क बना ली है वहाँलड़ाकू जहांज,हेलिकाप्टर उतारा जा सकता है। अब आठ घण्टे के बजायब३० मिनट में हम पहुँचसकते है तुम्हारी हिम्मत है तोसियाचिन क़े मामले में हमारा हाथ मरोड़ो हम झूला न हीझुलाएँगे। pok था तो पाकिस्तान के पास पर पुरा मज़ा तो तुम्हीं ले रहे थे। हमभारत की नौजवान पिढी pok akshai चीन को तो लेगे हीTibbat को आज़ाद करते हुवे हमारे शहीदों का बदला लेने क़े लिए पीकिंग की सड़कों पर तिरंगा लहराके
नाच करेंगे। जापान,रूस.अमेरिका कोयी तुम्हारा साथ नही देगतुम२ ₹ बिजली कारख़ानों को देते होहम भी २ ₹में कारख़ानों को बिजली देंगे। तुम सस्ता माल देते हो,तुम सस्ता माल देना बंद करो तो हम तायीवान व वियतनाम से सस्ता माल लाएँगे। गुलवान घाटी क़ी खोज ग़ुलाम रसूल ने १८९० में क थी। उसका परिवार व आज भी लेह में रहता है। १८९० में यहा अंग्रेजो का राज है। यानी हमारा राज है यह घाटी हमारी है। चीन कीकठ पुतली सरकार के प्रधान मन्त्री श्री ओली जी। तुम चीन के इतने ग़ुलाम हो गए हो की भारत नेपाल का रोटी बेटी सम्बंध भूल बैठे हो। नेपाल के लाखों लोगों को नौकरी भारत में मिलती है। यहाँ के लोगों ने तुमसे परेशान होकर उनको नौकरी से निकलना आरम्भ कर दिया तो क्या तब तुम्हारा आका चीन उनको नौकरी देगा?

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