बाबा रामदेव के काम से तो खलबली मचनी ही थी
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■आचार्य ज्ञान प्रकाश वैदिक
जून की 23 तारीख़ की दोपहर इसीलिए भी याद रखी जाएगी क्योंकि इस दिन #पतंजलि द्वारा कोरोना की औषधि बाज़ार में लाई गई। दोपहर बीती भी नहीं कि सरकार के #आयुष मंत्रालय ने #पतंजलि के विज्ञापन पर आपत्ति भी ले ली, शाम होते ही देश के कई नागरिकों की बाँछें खिलने लग गईं, अरे! बाबा फ़ेल हो गए, सरकार ने ही रोक लगा दी, बाबा मूर्ख बना रहे हैं, जैसी तमाम सारी बातें करना शुरू। सोशल मीडिया पर ख़बरों के लिंक डालना शुरू, और #ख़ुशियाँ तो ऐसे मनाने लगे कि अपने ही पड़ोसी के घर का बच्चा मानो फ़ेल हो गया हो, साँप लोटना शुरू हो गया।
उनका बस नहीं चला वर्ना पटाखे भी फोड़ आते। #आखिरकार उनका उद्देश्य भी तो यही है कि कोरोना की दवा कोई कैसे #स्वदेशी कंपनी या लंगोटी वाले बाबा बना सकते है! उन्हें तो आदत ठहरी कि कोई भी काम जो #विदेश में होगा वही सही और सटीक होगा। वैसे ही जैसे उनके घर पुत्र भी विदेशी द्वारा ही पैदा होना चाहिए।
ख़ैर, उनके मंसूबे ज़्यादा देर टिक नहीं पाए, #आयुष_मंत्रालय ने जो जानकारी पतंजलि से चाही थी पतंजलि ने वो उपलब्ध करवा दी। आचार्य #बालकृष्ण जी ने बताया कि ‘यह सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन देने वाली है, सरकार और पतंजलि के बीच जो संवाद की कमी थी, उसके कारण #मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी।’
अब उन तमाम लोगों का क्या हो रहा होगा, यह तो ईश्वर ही जाने जो इस बात की ख़ुशी में ही बावरे हो रहे थे कि आखिरकार #पतंजलि असफ़ल हो गई।
जब दवाई लॉन्च हुई थी, उसके बाद से उन लोगों की खलबली दिख रही थी, कोई तो कह रहा था, यह केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवा है, कोई कह रहा था केवल बुखार और ज़ुखाम की दवा है और न जाने क्या-क्या। अरे! #पतंजलि कोई सड़क किनारे लगा ठेला-रेहड़ी या मोहल्ले की लाला की दुकान नहीं है जिसे दरोगा भी चाहे तो बन्द करवा दे और उसे फ़र्क़ न पड़े। इस #अतिसंवेदनशील काल में पतंजलि भी अपनी ब्रांड इमेज के साथ कोई खिलवाड़ नहीं करेगा, जो जनता को मूर्ख बना दे। सारा ज्ञान ईश्वर ने आपको ही नहीं दिया, जो सुबह से लेकर अब तक केवल पतंजलि की बुराई करने में ही लगा रहे थे। पतंजलि एक ऐसा स्वदेशी #संस्थान है जो वैश्विक रूप से स्वीकार्य है, जो 300 से ज़्यादा दवाएँ और 500 से ज़्यादा उत्पाद बाज़ार में लाया है। बीते दिनों पतंजलि के हलाल #सर्टिफिकेट लेने पर भी बवाल किया था, जबकि गल्फ़ देशों में उत्पाद बेचने के लिए उस प्रमाण-पत्र का होना आवश्यक है। हमें तो गर्व होना चाहिए कि कम से कम भारतीय स्वदेशी आयुर्वेद अब उन देशों में भी जाएगा। ख़ैर! यह उनकी मंशा है, पर पतंजलि ने ज़्यादा देर साँप भी नहीं लोटने दिया, यह अच्छा नहीं हुआ।
ईश्वर उन सभी को सद्बुद्धि दे जो ख़ुद के घर पैदा होने वाला बच्चा भी विदेशी चाहते हैं।
जल्द ही #कोरोनिल #श्वासारी और #अणुतेल कोरोना मुक्त भारत बनाएगा। मुझे तो विश्वास है, बाकी आपकी मर्ज़ी ।