अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संदीप कालिया ने कहा है कि आज भारत और चीन के बीच जिस प्रकार का सीमा विवाद है उसके लिए कांग्रेस की गलत और मूर्खतापूर्ण नीतियां जिम्मेदार हैं ।
श्री कालिया ने ‘उगता भारत’ के साथ एक विशेष बातचीत में कहा कि कांग्रेस के पहले प्रधानमंत्री बने नेहरू के समय में ही चीन भारत की सवा लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल की भूमि को जबरन अपने कब्जे में ले जाने में सफल हो गया था। जिसे कांग्रेस ने दब्बूपन का परिचय देते हुए और देश के साथ विश्वासघात करते हुए चुपचाप सहन कर लिया । जो वामपंथी उस समय चीन का साथ देते हुए चीन के माओ त्से तुंग को भारत का प्रधानमंत्री कह रहे थे और जिन्हें नेहरू को देश का प्रधानमंत्री मानने तक से उस समय नफरत थी , कुछ समय बाद उन्हीं कम्युनिस्टों से कांग्रेस ने दोस्ती कर ली और यह खेल आज तक जारी है । कांग्रेस के इस पाप को और देश के साथ किए गए छल को सचमुच जब कोई इतिहासकार लिखेगा तो निश्चय ही उसकी लेखनी भी रो पड़ेगी ।
श्री कालिया ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को खंडित एवं निर्दोष भारतीयों के रक्त में डूबा भारत अभी संभला भी न था कि सितंबर में पाकिस्तान ने हमला किया और फिर चीन ने अक्साई चिन हड़प लिया। नेहरू के कारण भारत ने 1.25 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि पाकिस्तान और चीन के हाथों जाने दी। आज पंडित नेहरू के उत्तराधिकारी और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी से देश की जनता का यह सवाल है कि भारत के इतने विशाल भूभाग पर कब्जा कराने वाली कांग्रेस और उसके नेताओं की मूर्खताओं और पापों का प्रायश्चित वह कब करेंगे? कांग्रेस के नेता को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि अपने नेताओं की मूर्खताओं के कारण भारत के गवाए गए भूभाग को पाकिस्तान और चीन से वापस लेने के लिए उन्होंने अपनी सरकारों के रहते कितने प्रस्ताव पारित किए और कौन सी ठोस कार्यवाही की ? उन्हें देश की जनता को यह बताना चाहिए कि कांग्रेस ने अपने अमुक अमुक चुनावी घोषणा पत्रों में इस भूमि को वापस लेने संबंधी वचन देश की जनता को दिया था ।
श्री कालिया ने कहा कि नेहरू शेख की दुरभिसंधि के चलते हिंदूवादी नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान कश्मीर को भारत के साथ जोड़ने की उनकी राष्ट्रवादी सोच के चलते हुआ । इतना ही नही कश्मीरी पंडित आज तक इस देश में एक विस्थापित के रूप में घूम रहे हैं । यह भी कांग्रेस के पापों में सम्मिलित है कि हमारे अनेकों सैनिकों ने देश की एकता और अखंडता के लिए बलिदान दिया परंतु आतंकवादी हों चाहे कश्मीर में चीन या पाकिस्तान के सैनिक हों उनके हाथों मरे अपने सैनिकों को कभी शहीद का दर्जा भी कांग्रेस की सरकार ने नहीं दिया।
हिंदू महासभा के नेता ने कहा कि चीन ने भारत के साथ कभी मित्रता नहीं की , नेहरू जिसे मित्रता मानते रहे वह वास्तव में मायावी मित्रता थी ।1948 में भारत को सुरक्षा परिषद की सदस्यता मिल रही थी, लेकिन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने चीन की मायावी मित्रता के मोह में फंस कर अपने लिए यह स्वर्णिम अवसर खो दिया और इस स्थाई सदस्यता के लिए अपने मायावी मित्र की दावेदारी का समर्थन कर देश के हितों के साथ भारी खिलवाड़ किया। क्या राहुल गांधी के पास देश के साथ किए गए इस छल का कोई उत्तर है ?
आज प्रधानमंत्री मोदी की चीन संबंधी नीतियों का मजाक उड़ाने वाले राहुल गांधी के बारे में श्री कालिया ने कहा कि उन्हें यह पता होना चाहिए कि कांग्रेस के प्रधानमंत्री नेहरू के जमाने में 1 साल में ही चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई 6 बार भारत आए थे और हर बार उनका शानदार स्वागत करने में नेहरू ने कोई कमी नहीं छोड़ी थी , परंतु उसके उपरांत भी उनके इस मायावी मित्र ने भारत के साथ क्या किया ? इसे सब जानते हैं । नेहरू का पंचशील पंक्चर हो गया और आज तक उसका रिसता हुआ खून बंद नहीं हुआ है।
1962 में हुए भारत चीन युद्ध के बारे में प्रकाश डालते हुए श्री कालिया ने कहा कि उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू शांति के इतने दीवाने हो गए थे कि उन्होंने देश की सैन्य तैयारियों पर कोई ध्यान नहीं दिया । जिसका परिणाम यह हुआ कि 1962 में जवानों के पास न तो सर्दी के जूते और जुराबें और न ही हथियार ही थे । जनरल कौल की अध्यक्षता और पं. नेहरू की अव्यावहारिक नीति ने नेफा और लद्दाख में चीनी शिंकजे को कसने दिया और हारे हुए मन से नेहरू ने आल इंडिया रेडियो से असम के तेजपुर निवासियों को विदा ही दे दी थी। उस युद्ध में भारतीय सेना जीती, मेजर शैतान सिंह का शौर्य, राइफल मैन जसबत सिंह रावत था। पराक्रम रक्त से लिखी गौरव गाथा है। हारा था तो दिल्ली का राजनीतिक नेतृत्व।
श्री कालिया ने कहा कि वास्तव में कांग्रेस ने देश में हिंदू संस्कृति से घृणा करने का जो जहर बोया है उसी के चलते देश का राष्ट्रवाद बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
नेहरू वाद वस्तुतः अहिन्दूवाद में तब्दील हो गया।
एक प्रश्न के उत्तर में श्री कालिया ने कहा कि कुछ समय पूर्व सरकार ने स्पष्ट किया था कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा है और यह चीन को उच्चतम स्तरों सहित कई अवसरों पर स्पष्ट कर दिया गया है । चीन ने भारत के 43,180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत विदेश मंत्रालय के चीन प्रभाग से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 1962 के बाद से जम्मू कश्मीर में भारत की भूमि का लगभग 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूभाग चीन के कब्जे में है । मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ‘इसके अतिरिक्त 2 मार्च 1963 को चीन तथा पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित तथाकथित चीन.पाकिस्तान ‘सीमा करार’ के तहत पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर के 5180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अवैध रूप से चीन को दे दिया था।’
उन्होंने कहा कि यह तथ्य बताते हैं कि किस प्रकार कांग्रेस की चीन संबंधी नीति और अपनी सीमाओं की रखवाली करने के प्रति बरती जा रही लापरवाही हमारे देश के लिए घातक रही है।
श्री कालिया का मानना है कि वर्तमान में देश की जनता को प्रधानमंत्री मोदी की चीन संबंधी नीति का समर्थन करते हुए एक साथ उठ खड़े होकर एक समर्थ और सक्षम राष्ट्र का प्रमाण देते हुए चीनी सामान का बायकाट करना चाहिए। जिससे ड्रैगन को यह पता चल जाए कि भारत के लोगों के भीतर कितना राष्ट्रवाद है और वह अपने नेता के साथ किस प्रकार मजबूती के साथ खड़े हैं ? हमें अपनी मां भारती के सम्मान के लिए एकजुटता का प्रदर्शन करना होगा। साथ ही एक आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी राष्ट्र के निर्माण के लिए चीनी उत्पादों को खत्म कर अपने लोगों के हाथों के बने सामान को खरीद कर उन्हें आत्मनिर्भर और संपन्न बनाने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। इसलिए हमें भारतीय बनकर भारतीय सामान खरीदने की सोच अपनानी चाहिए।
हिंदू महासभा के नेता ने कहा कि चीनी सामान और चीनी एप्स या मोबाइल फोन आदि सभी चीजों का इस समय बहिष्कार किया जाना समय की आवश्यकता है। कहा कि यदि हम ऐसा करते हैं तो यही हमारा कार्य वास्तव में अपने शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने अभी-अभी अपना बलिदान देकर मां भारती के अमर सपूतों का नाम लिखवाया है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हम एक बनें , श्रेष्ठ बनें , मजबूत बनें और देश की एकता और अखंडता के प्रति दोगले कांग्रेसी नेताओं और कम्युनिस्ट या सेकुलरों की चालों में फंसने से बचें।
हमें अब किसी भी प्रकार के ‘हिंदी चीनी -भाई भाई’ जैसे मायावी नारों में नहीं फ़ंसना है बल्कि केवल और केवल एक बात के लिए संकल्पित होकर काम करना है कि हम ‘हिंदी हिंदू हिंदुस्तान’ के प्रति निष्ठावान हैं।
अंत में श्री कालिया ने कहा कि हम इस समय सोनिया गांधी , राहुल गांधी , प्रियंका गांधी, ममता बनर्जी , असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं का भी बहिष्कार करें जो भारत में रहकर विदेशियों की भाषा बोल रहे हैं और भारत के हितों के विरुद्ध जाकर देश में अस्थिरता का माहौल पैदा करना चाहते हैं।
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