____________________________________________
ओ३म् द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,
पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: ।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि ॥
ओ३म् शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
#हिन्दी_रूपांतरण____
शान्ति: कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में, जल में, थल में और गगन में,
अन्तरिक्ष में, अग्नि पवन में, औषधि, वनस्पति, वन, उपवन में,
सकल विश्व में अवचेतन में!
शान्ति राष्ट्र-निर्माण सृजन, नगर, ग्राम और भवन में
जीवमात्र के तन, मन और जगत के हो कण कण में,
ओ३म् शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
यजुर्वेद के इस मंत्र से हमारे क्रांतिदर्शी तेजस्वी पूर्वज सदियों से राष्ट्र ही नहीं ब्रह्मांड में शांति की कामना करते आ रहे हैं|
वह जानते थे रोग वायरस महामारी के रहते शांति नहीं हो सकती पहले वह निष्कपट होकर सुगंधित जड़ी बूटियों से यज्ञ करते थे फिर यज्ञ को देवों को अर्पित कर प्रभु से शांति की कामना करते थे | यज्ञ जैसे रोग प्रदूषण नाशक कार्य करके ही हम शांति की कामना कर सकते हैं|
आज हमने अपने गांव की दिव्य तपस्थली झीडी के पवित्र प्रांगण में विशेष जड़ी बूटियों तथा पीपल की समिधा से साप्ताहिक यज्ञ का अनुष्ठान किया | प्रभु से कामना की गई है प्रभु इस कोरोना महामारी से अब जीव जगत तमाम विश्व को मुक्ति दिलाएं | पवित्र स्थल पर यज्ञ करने से यज्ञ की प्रभावशीलता में वृद्धि हो जाती है इसलिए आज पवित्र तपोस्थली प्रांगण को यज्ञ के लिए चयनित किया गया | यह पवित्र प्राचीन स्थल 50 बीघा भूमि में लगभग फैला हुआ है जिसमें दुर्लभ प्रजाति के सैकड़ों वृक्ष है|
उपस्थित यज्ञ प्रेमी बंधुओं ने एक पवित्र संकल्प लिया इस पवित्र देवस्थली में सुंदर भव्य यज्ञशाला का नितांत अभाव है| विशेष यज्ञ बगैर यज्ञशाला के विधिवत संपादित नहीं होते |
महर्षि दयानंद सरस्वती ने संस्कार विधि के सामने प्रकरण में यज्ञ देश ,यज्ञशाला के विषय में लिखा है |
ऋषि दयानंद के अनुसार यज्ञशाला सुंदर स्वच्छ स्थल पर ही बननी चाहिए जहां स्वच्छ वायु बहती हो |
यज्ञशाला का परिमाण साइज न्यूनतम 8 हाथ अधिकतम 16 हाथ चारों ओर से सम चौरस अर्थात वर्गाकार होना चाहिए | एक हाथ लंबाई मापने का प्राचीन पैमाना है एक हाथ 18 इंच के बराबर होता है|
यज्ञशाला में 4 द्वार अधिकतम 20 खंबे होने चाहिए |
ऋषि दयानंद द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार इस वैदिक भव्य यज्ञशाला का निर्माण कराया जाएगा| जिसमें बड़े-बड़े महायज्ञ का आयोजन होगा यज्ञ की पवित्र अग्नि कभी नहीं बुझने पाए ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी|
यह गांव Tilapta का सौभाग्य गौरव भी होगा जिससे यह पवित्र स्थल और अधिक आलोकित हो जाएगा|
पुरोहित धर्मराज शास्त्री जी ने यज्ञ अनुष्ठान कराया|
महाशय किशन लाल जी ने प्रसिद्ध भजन उपदेशक लक्ष्मण बेमोल जी का आध्यात्मिक भजन सुनाया | मंदिर प्रांगण के महंत भी उपस्थित रहे|
गांव के दर्जनों धार्मिक आध्यात्मिक यज्ञ प्रेमी सज्जन भी उपस्थित रहे |
आर्य सागर खारी ✍✍✍