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लद्दाख से निकलता गांधीगिरी का संवाद

 

श्याम सुंदर भाटिया
तोप, गोला और बारूद की जंग का जवाब जंग ही नहीं हो सकता। हम गाँधी के देश के हैं। हम भगवान महावीर की धरती से हैं। हमारा अहिंसा में अटूट विश्वास है। बापू ने तो अहिंसा की पगडंडी पर चल कर देश को गौरों के चंगुल के बचाने का मार्ग प्रशस्त किया। गांधीगिरी भी नॉन वॉयलेंस का एक सशक्त हथियार है। दुनिया के लिए अपने बुने जाल में चैतरफा फंसे चीन ने आजकल लद्दाख को लेकर अपनी आंखें तरेर रखी हैं। लद्दाख को लेकर उसके तेवरों और मंसूबों में तल्खी है। हिंदी-चीनी, भाई-भाई का नारा सच्चाई से कोसों दूर है। सच यह है, यह लुभावना नारा लगातार धोखे का अहसास कराता है। बार-बार पीठ में छुरा घोपने के प्रहार के बाबजूद हिंदी-चीनी, भाई-भाई पर कैसे और कब तक यकीन करें। भारत के करोड़ों-करोड़ों बाशिंदों की हमेशा कोशिश रहती है, सार्थक संवाद के जरिए सामने वाले के तल्ख तेवरों को पिघलाया जाए।
चीन के खिलाफ लद्दाख से ही एक दमदार आवाज उठी है। मैग्सेसे अवार्ड विजेता एवं थ्री इडियट्स के असली हीरो श्री सोनम वांगचुक ने ड्रैगन की आर्थिक कमर तोड़ने का अनूठा प्लान देश की जनता को शेयर किया है। बाॅयकाट मेड इन चाइना मुहिम का शंखनाद किया है। चीन निर्मित सामान के बहिष्कार का विनम्र आग्रह करते हुए कहा, चीन को अब देश का हर नागरिक अपने वालेट से जवाब देगा।

लद्दाख में वास्तविक सीमा रेखा पर चीन की तरफ से तनातनी खबरों के बीच वांगचुक ने करीब नौ मिनट का वीडियो संदेश जारी किया है। सिंधु नदी के सामने खुले आसमान तले वांगचुक यह वीडियो इंटरनेट पर आजकल सुर्खियां बटोर रहा है। अब तक 40 लाख लोग इसे देख चुके हैं। श्री वांगचुक के इस आंदोलन में स्वदेशी को लेकर हमेशा मुखर रहे योगगुरू स्वामी रामदेव के अलावा बॉलीवुड सेलिब्रिटी का साथ मिल रहा है। जाने-माने फिल्म स्टार श्री अरशद वारसी और सुपर मॉडल श्री मिलिंद सोमन ने अपना खुला समर्थन दिया है। श्री वारसी ने चीनी सामान का इस्तेमाल बंद करने का एलान किया है तो मिलिंद ने टिकटॉक छोड़ने का श्री वारसी ने ट्वीट किया है, समय लगेगा लेकिन मुझे पता है, एक दिन मैं चीनी मुक्त उत्पादों से मुक्त हो जाऊंगा। आपको भी इसे अपनाना चाहिए जबकि मिलिंद ने वीडियो शेयर करके ट्वीट किया, अब टिकटॉक पर नहीं हूँ।
इस सारगर्भित वीडियो में वांगचुक ने कहा, चीन के खिलाफ जंग में हर भारतीय एक सिपाही है। हरेक को मिलकर वालेट से चीन के खिलाफ लड़ाई लड़नी है। चीन को जवाब बुलेट पावर के साथ वालेट पावर से भी देना होगा। इसका श्रीगणेश आप चाइनीज एप को अपने फोन से डिलीट करके कर सकते हैं। वांगचुक ने कहा, कोई एक व्यक्ति इस आंदोलन को नहीं चला सकता है। इस लड़ाई में सभी भारतीयों को देशभक्ति का रोल निभाना होगा। अब हम चुप नहीं रह सकते हैं, क्योंकि जुल्म सहना सबसे बड़ा गुनाह है।
जाने-माने अविष्कार एवं शिक्षाविद की मुहिम पर जाने-माने योगगुरू और पंतजलि के सारथी बाबा रामदेव ने ट्वीट करके कहा, देश के खिलाफ चीनी षडयंत्र को रोकने के लिए उनके उत्पादों का बहिष्कार करना जरुरी है। देशभर के व्यापारियों के महासंघ- कंफडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन – सीएआईटी ने भी इस कैंपेन को सपोर्ट किया है। महासंघ के अध्यक्ष श्री बीसी भरतिया और महासचिव श्री प्रवीण खण्डेलवाल कहते हैं, हमने 3000 प्रोडक्ट्स की ऐसी कैटेगिरी बनाई है, जिनको भारतीय प्रोडक्ट्स से रिप्लेस किया जा सकता है। भारत में इसका रिप्लेसमेंट मौजूद भी है। हम व्यापारियों को यह समझना है, चाइना से इम्पोर्ट बंद होना चाहिए। वोकल और लोकल के लिए तैयार हैं महासंघ व्यापारियों का एक बड़ा प्लेटफार्म है, जिसमें करीब 7 करोड़ व्यापारी जुड़े हैं। श्री भरतिया कहते है, चाइना को वॉलेट पावर से भी हराना जरुरी है।

इंजीनियर से शिक्षाविद बने वांगचुक कहते हैं, चीन के सारे सॉफ्टवेयर एक सप्ताह के अंदर छोड़ दें। सारे हार्डवेयर को एक साल में छोड़ दें। इस बहिष्कार को आन्दोलन का रूप लेना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की तारीफ करते हुए कहा, वह खुद यानी वांगचुक एक हफ्ते के अंदर चीन में बने अपने आईफोन को छोड़ देंगे। चीन पहली बार ऐसा नहीं कर रहा है। 1962 में भी चीन ने भारत से जंग अपनी जनता से ध्यान हटाने से की थी। चीन को अपनी जीडीपी की बड़ी चिंता है। ऐसे में भारत की बुलेट पावर से ज्यादा वालेट पावर चीन के खिलाफ काम आएगी। चीन के सामान को खरीदना तुरंत बंद किया जाए। हम लोग हर साल 5 लाख करोड़ का चीनी माल खरीदते हैं। आंकड़े बताते हैं, चीन इसका महज 5वां हिस्सा ही भारत से खरीददारी करता है। चीन इसी पैसे का इस्तेमाल भारत के खिलाफ जंग के लिए करता है। ऐसे में देश के 130 करोड़ और देश के बाहर 3 करोड़ भारतीय बाॅयकाट अभियान चला दें तो ड्रैगन की हालत खस्ता हो जाएगी।
रेमन मैग्सेसे वार्ड विजेता श्री वांगचुक कहते हैं, सीमा पर जब तनाव होता है, हम आप जैसे नागरिक यह सोच कर सो जाते हैं, सैनिक इसका जवाब दे देंगे, लेकिन अब यह नहीं चलेगा। इस बार सिर्फ सैनिक जवाब नहीं देंगे बल्कि नागरिक जबाव भी होगा। अब हमें देश के जीने के लिए भी आदत डालनी होगी। हमें अपने बटुए की ताकत को पहचानना होगा।

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