क्या कोराना को लेकर दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात हैं ?

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दिल्ली में कोरोना के मामले 31 हजार के पार
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
राजधानी दिल्ली में कोरोना का विस्फोट हो रहा है। दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से 1000 से 1200 के करीब नए केस आ रहे थे । लेकिन पिछले 24 घंटों में राजधानी दिल्ली में रिकॉर्ड 1366 केस आए हैं जिससे दिल्ली में कोरोना संक्रमित लोगों की कुल संख्या 31,309 हो गई है।दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी कोरोना बुलेटिन के अनुसार राजधानी दिल्ली में मंगलवार(जून 9) को 1,366 नए मामले सामने आए। जून 10 को 1500+ नए मामले आए।  फिलहाल दिल्ली के अस्पतालों में 32,810 कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा है। हालांकि राहत की बात ये है कि कोरोना के 11,861 मरीज ठीक भी हुए हैं।
दिल्ली सरकार की मानें तो आने वाले दिनों में कोरोना संक्रमण के मामले में दिल्ली की स्थिति बद से बदतर होने वाली है। दिल्ली सरकार दबी जुबान में बोल रही है कि कोरोना दिल्ली में तीसरे चरण में हैं और यहां कम्यूनिटी स्प्रेड हो रहा है, हालांकि केंद्र सरकार ये मानने को तैयार ही नहीं है। उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ मीटिंग के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि 30 जून तक दिल्ली में एक लाख, 15 जुलाई तक 2 लाख और 31 जुलाई तक साढ़े 5.5 लाख कोरोना संक्रमण के मामले होंगे।उन्होंने ये भी कहा कि 31 जुलाई तक हमें कम से कम 80 हजार बेड की जरूरत होगी।
मनीष द्वारा दिए आंकड़ों से हैरान होने वाली बात नहीं। अप्रत्यक्ष रूप से मनीष स्वीकार कर रहे हैं कि उनकी दिल्ली सरकार कोरोना के आगे घुटने टेक चुकी है और प्राइवेट अस्पतालों का मुद्दा उछाल जनता को केवल भ्रमित करने में प्रयत्नशील है। दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में मरीजों और शवों की हो रही दुर्गति, जिसे काफी समय से मीडिया द्वारा उजागर भी किया जा रहा है। और आज जून 11 को IndiaTv द्वारा दोपहर का बुलेटिन तो लोकनायक अस्पताल ही नहीं दिल्ली सरकार की भी पोल खोलना इसका प्रमाण है। https://www.facebook.com/100001670282159/posts/3118359014896411/?sfnsn=wiwspwa&extid=tVhxwLzGWg3rJ4mC&d=w&vh=i
इससे पहले दिल्ली सरकार ने फैसला किया था कि दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली वालों का इलाज होगा लेकिन अगले ही दिन राज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार के उस फैसले को पलट दिया। अब दिल्ली के अस्पतालों में देश के किसी भी हिस्से से आए मरीज का इलाज हो सकता है। दिल्ली के अस्पतालों की हालत बेहद खराब है। दिल्ली सरकार के आंकड़ों पर यकीन करें तो दिल्ली को 60 दिन में 52 हजार कोरोना बेड की व्यवस्था करनी होगी।
दूसरे, सोशल मीडिया पर राजस्व मंत्रालय की अंडर सेक्रेटरी सुश्री रीता मल का निम्न पत्र चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसकी सच्चाई स्वयं सुश्री रीता या भारत सरकार ही स्पष्ट कर सकती हैं मैं नहीं। प्रस्तुत है पत्र के कुछ अंश :-
Experience of an Under Secretary in Finance ministry Govt of India: 
I am sure people who are aware of what is going in my personal life would be quite surprised to read today’s diary and would react in dismay on reaching out to my readers in this manner. 
Today i am not going to glorify the positivity in me or my fighting spirit, but today I am going to write about my personal experience of last 24 hours. As you all must be aware that I along with my husband were found to be covid positive on 29th of May. We have been in self quarantine since that day and were to be in that state till 13th of June, 2020. I have described how the virus affected both of us. 
What kind of treatment is needed, what all precautions are required and right upto the kind of food must be eaten! 
So despite following every single advice and protocol, my husband’s condition deteriorated yesterday. We, senior level Government Employees, who are educated and think ourselves as the privileged class had to undergo such a harrowing experience that cannot be described in words.
I considered myself as well connected and well placed but yesterday i realized that no matter how well connected you are, if you do not know the highest authority personally, you are doomed!
I took my husband to the BLK Super Specialty Hospital, Pusa Road which is very near to my house for his treatment since there was some issue with his lungs/breathing. I called for an ambulance at 102 (I must say that the ambulance service of the Government is simply superb).
I being a Covid Positive Patient myself had to go to hospital with him since we both were alone. I explained my situation to the doctors in the hospital but they could not offer any help to us. There were no beds available! And since no beds were available, they refused to do any tests as well. It was a most horrible time of my life. I was begging the doctors to do the tests and promised them that I would take my husband back home after the tests were done, but they flatly refused. I decided to sit on Dharna since I had no choice. Going home didn’t make sense as his condition was not very good and I myself was not in condition to take care of him on my own.
Anyways, after exerting pressure, both political as well as official, they conducted tests which further proved that he needed hospitalization. But where were the beds? Yes, there were no beds in BLK hospital nor in any of the hospitals nearby like Gangaram Hospital or Metro Hospital, Narayana. 
Fortunately, I have plenty of friends, who all were on the phone in different localities trying to find a single bed for him, but none of them could succeed in finding any bed for him. Finally at 2.45 AM I decided to take him to LNJP hospital where the beds were available. And he got admitted in that hospital at 3.00 AM. 
This whole episode made me realize as to how vulnerable we are! no matter how much money you have, how many connections you have, what position or status you enjoy… at the end of the day, if you are sick and you don’t have medical help, nothing matters! We the middle class, with money, with everything are so helpless, think of those who have nothing! No social security, no money, no connections and no back up… how they must be enduring this kind of situation. I felt angry, I felt helplessness, I felt desperation, I felt pain…. I also felt pity, I felt sympathy and I was fearful for the underprivileged. 
Now, in the cocoon of my house, I am safe but my husband is still fighting his battle. I know he would win and will be back home soon, but what will happen to masses who are falling prey to this virus? What are their chances of survival? What is the guarantee that they would come out of pandemic unscathed? 
If there are not enough medical facilities available, is removing lock-down a sensible thing? I know it’s a point of dispute but isn’t human life more important than economy? Well, I will leave it here because there would be arguments and counter arguments on this issue which I do not have any inclination or energy to address to! BUT ONE MUST THINK…
Regards..
Rita Mal
Under Secretary to Govt of India
Department of Revenue, 
Ministry of Finance

Hindustan Times,
June 11,2020

परन्तु जहाँ तक दिल्ली में कोरोना के गंभीर रूप लेने की बात है, इससे से इंकार भी नहीं किया जा सकता। जून 10 को दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी के PRO अमानतुल्ला की कोरोना से हुई मृत्यु ने कुछ रहस्यों से पर्दा हटाने का प्रयास किया, जिस कारण Hindustan Times(जून 11) के पृष्ठ 3 पर प्रकाशित समाचार के अनुसार, उन्होंने मस्जिद को पुनः बंद करने की बात कही है। किसी इमाम द्वारा मस्जिद को पुनः बंद करने की बात करना अपने आप में ही बहुत बड़ा प्रश्न ही नहीं, न बोल पाने वाली बातों को उजागर कर रही है। आखिर क्यों अपने PRO के निधन ने मस्जिद बंद करने की बात कही? क्या है छुपा रहस्य?
इतना ही नहीं जून 7 की दोपहर 2 बजे पुरानी दिल्ली के चांदनी महल थाना क्षेत्र में लगे टिन हटा देना बता रहा है कि “अब यह क्षेत्र कोरोना संक्रमित(Containment zone) नहीं”, जबकि गृह मंत्रालय की जून 8 की रिवाइज्ड लिस्ट में चांदनी महल थाना Containment zone में दिखा रहा है। इस क्षेत्र के रहने वाले की कोई एयरलाइन बुकिंग नहीं कर रही। अगर यह क्षेत्र Containment zone है, फिर किस कारण थाना क्षेत्र से तिन हटाई गयी? यानि जनता को भ्रमित कर कोरोना के फैलने में सरकार की मंशा प्रतीत होती है। अगर कोरोना आंकड़ों को जनसंख्या के हिसाब से दिखा जाए तो दिल्ली पहले नंबर पर आती है। 
https://delhifightscorona.in/containment-zones-operation-shield/

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