……………………..
- राकेश छोकर / नई दिल्ली
…………………
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वाधान में संत कबीर जयंती एवं विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर का साहित्य महोत्सव का आयोजन वेबीनार मीटिंग द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें देश के दिग्गज साहित्यकारों की सहभागिता रही। इस अवसर पर प्रसिद्ध कवियों ने अपनी रचनाओं का भी काव्य पाठ किया ।सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ कर राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभु चौधरी ने अध्यक्षीय भाषण करते हुए कहा कि कबीर युग प्रवर्तक रहे हैं, उन्होंने जीवन की मूल अवधारणा को जिया और समाज में एक बड़े परिवर्तक की भूमिका निभाई। मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए डॉक्टर शैलेंद्र शर्मा ने कहा कि संत कबीर का अनुभव ही उनकी ताकत था। उन्होंने संसार को प्रेम की परिभाषा बताइ और लौकिक व्यवहार का ज्ञान कराया। संत कबीर वास्तव में भारतीय संस्कृति के मूलाआधार रूप में स्थापित हुए। वह उनकी महानता का परिचायक है। उन्होंने अपने संसार में अहंकार , शंका और अभिमान को कोई स्थान नहीं दिया। आज आवश्यकता है कि हम कबीर को जाने और देश दुनिया को उनके वास्तविक परिचय से अवगत कराएं।इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों ने संत कबीर पर व्याख्यान किया। वही विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रसिद्ध कवियत्री एवं पर्यावरणविद् डॉक्टर संजीव कुमारी ने अपनी रचना से उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जितेंद्र पांडे उत्तेजित आदि कवियों ने भी अपनी रचनाएं सुनाई। कार्यक्रम संचालिका डॉ रागिनी शर्मा रही। प्रमुख उपस्थिति कार्यकारी अध्यक्ष सुवर्णा जाधव, प्रसिद्ध कवियत्री अनुराधा अछ्वान, संगठन के राष्ट्रीय महासचिव राकेश छोकर, शंभू पवार, सुंदर लाल जोशी, डॉ अरुणा, महिमा जैन, जितेंद्र पाटिल, रितेश मौर्य, अरुण कटारा, प्रीति शर्मा, रश्मि, कार्तिकेय शर्मा, विवेक मिश्रा, तारा वन्य, तरुणा पुंडीर, रिद्धिमा जोशी, स्नेह लता शर्मा, ज्योति सिंह, दीपिका आदि की रही।