किसी काफिर के उपकार से जिहादी का महत्व अधिक होता है यही इस्लाम की शिक्षा है
प्रस्तुति : विनोद कुमार सर्वोदय
एक लघु कथा भी पढें👇🏻
*शेर व बकरी की लघुकथा* ★ उपकार का महत्व
_एक जंगल में शेर-शेरनी अपने बच्चों को छोड़ कर शिकार के लिए दूर तक गए। परंतु किसी कारणवश उन्हें लौटने में देर हो गयी। इस बीच शेर के बच्चे भूख से व्याकुल हो रहे थे ऐसे में एक बकरी उधर जा रही थी उसको बच्चे देख कर दया आ गयी। बकरी से उन शेर के बच्चों को अपना दूध पिलाया तो फिर बच्चे खेलने में मस्त हो गए।_
_थोड़ी देर में शेर-शेरनी वापस आने पर बच्चों को बकरी के साथ देख कर क्रोधित हुए तो शेर के बच्चों ने उन्हें सारी स्थिति बतायी। जिससे शेर प्रसन्न हो गया और उसने अपनी कृतज्ञता के भाव से बकरी को जंगल में स्वछंद रूप से घूमने की छूट दे दी।_
_बकरी अब आनंद व निर्भय के साथ जंगल में घूमने लगीं कभी कभी तो शेर की पीठ पर भी बैठ कर मस्ती करती। एक दिन यह दृश्य चील ने देखा तो आश्चर्यचकित हुआ और उसने बकरी से पूछा कि ऐसा क्या हुआ कि तुम शेर से भी भयभीत नहीं होती और आनंद से हो। तब बकरी ने शेर के बच्चों को दूध पिलाने वाली बात बतायी। इस उपकार के बदले शेर ने बकरी के प्रति यह कृतज्ञता करी है।_
_इस प्रकार उपकार के महत्व को समझने पर चील के मन में भी ऐसा ही कुछ करने की चाहत जगी। एक दिन उसने एक दलदल में कुछ चूहे के बच्चों को फंसा हुआ देखा और वे निकलने के प्रयास में असफल हो रहे थे और ठंड से ठिठुर रहें थे।_
_ऐसे में चील ने उन्हें पकड़-पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया फिर भी वे चूहे के बच्चे भीगने के कारण ठंड से कांप रहे थे। चील ने अपने पंखों से उन्हें ढक कर ठंड से भी बचाया। लेकिन जब सब ठीक हो गया तो जब वह उड़ कर जाने लगी तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि चूहे के बच्चों ने उसके पंख ही कुतर डाले थे…_
_चील ने जब यह सारी घटना बकरी को बतायी तो बकरी ने हंसी व फिर गंभीर होकर बड़े ज्ञान की बात कहीं कि 👇🏻_
_उपकार तो शेर जैसे वीरों पर किया जाय तो सार्थक है चूहे जैसे कायरों पर तो उपकार व्यर्थ होता हैं। क्योंकि शेर जैसे वीर योद्धा कभी उपकार नहीं भूलते और चूहे जैसे कमजोर व कायर कभी उपकारों को स्मरण ही नहीं रखते।_
*यह बोध कथा कश्मीर व शेष भारत के उन लोगों पर ठीक उतरती है जिन पर भारत सरकार करोड़ों-अरबों रुपये की प्रति वर्ष हर संभव सहायता करके उपकार करती आ रही है फिर भी ये धर्मान्ध जिहादी अलगावववाद व आतंकवाद का साथ देकर भारत को ही क्षति पहुँचाने में लिप्त हैं।*
ऐसे ही अनेक दंगा ग्रस्त मुस्लिम बहुल देशों से तथाकथित मुसलमान दया के पात्र बनने का नाटक करके अन्य गैर मुस्लिम देशों में शरण पा जाते हैं। फिर वहां वह अपनी मुस्लिम दादागीरी से शरण देने वालों को ही आतंकित करते हैं __जैसा ISIS के उत्पीड़न से सीरिया से भाग कर जर्मनी ,फ्रांस आदि देशों में 2014-16 में हुआ__ यह भी ध्यान रहें कि उस समय वास्तविक पीड़ित मुसलमानों को भी अरब आदि मुस्लिम देशों ने उनको शरण देने से स्पष्ट मना कर दिया था_^
*विश्व का इस्लामिकरण करना ही जिहादियों का संकल्प हैं*