प्रस्तुति : आचार्य ज्ञान प्रकाश वैदिक
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तत्काल संज्ञान लें। । भीम मीम वाले भी चुप हैं। मीडिया चुप है । न्यायमूर्ति जी का कानून सच मे अंधा है। हरियाणा का विपक्ष चुप है। भाजपा कांग्रेस जेजेपी व इनेलो को दलित नेता भी पता नहीं कौन सा दलित राग गा रहे हैं?
हरियाणा के मेवात में दलितों पर हो रहे अत्याचारों की जांच करने के बाद जांच दल के अध्यक्ष श्री पवन कुमार ने आज गुरुग्राम में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मेवात दलितों का कब्रिस्तान बनता जा रहा है। पाकिस्तान और मेवात में कोई अंतर नहीं रह गया है। महिलाओं को जबरन अगवा करके बलात्कार किया जा रहा है, ऐसी कई खबरें सब तरफ से आ रही थी।
लंबे समय से इन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण दलितों को यह लग रहा है कि अब उन्हें अपनी इज्जत, अपना धर्म और अपनी धरती बचाने के लिए खुद संघर्ष करना पड़ेगा। इसीलिए श्री वाल्मीकि महासभा हरियाणा ने यह निर्णय लिया है कि 4 सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन करके वहां की हकीकत को तथ्यों के साथ सरकार व समाज के सामने लाया जाए।
श्री पवन कुमार( पूर्व न्यायाधीश ) को इस जांच समिति का अध्यक्ष बनाया गया तथा श्री सुल्तान बाल्मीकि ( अध्यक्ष वाल्मीकि महापंचायत हरियाणा ), श्री कन्हैया लाल आर्य( उपाध्यक्ष आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा) एवं श्री देवदत्त शर्मा अध्यक्ष बार एसोसिएशन सोहना को इस जांच दल का सदस्य नियुक्त किया गया।
दलित समाज के 48 पीड़ितों को बुलाया गया था परंतु इन जिहादियों की दहशत इतनी थी कि केवल 19 लोग ही अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों की जानकारी देने के लिए नूह में आए। उनकी शिकायतें रोंगटे खड़े कर देने वाली और दिल दहला देने वाली थी।
विद्यालय जाने वाली बच्चियों और महिलाओं के साथ छेड़खानी करने वाली घटनाएं पूरे मेवात में होती हैं, जिनके कारण उनका विद्यालय में पढ़ने जाना भी दूभर हो गया है। एक 12 साल की लड़की का तो 4 मुसलमानों ने बलात्कार किया और जिस मकान में बलात्कार हुआ वह मुस्लिम पुलिस वाले का ही था। एक साल के बाद भी आज तक उस पुलिस वाले पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। फिरोजपुर नमक में तो एक महिला को बंदी बनाकर 9 मुसलमानों ने कई दिन तक बलात्कार किया। उसकी शिकायत पर कोई कार्यवाही ना होने के कारण आरोपियों ने चार दिन बाद उसकी जघन्य हत्या कर दी ।
न्यायाधीश श्री पवन कुमार ने कहा कि जबरन धर्मांतरण के पचासियों उदाहरण सामने आए परंतु किसी भी मामले में कोई कार्रवाई ना होने के कारण धर्मान्तरित व्यक्तियों के परिवारों पर भी धर्मांतरण का दबाव बनाया जा रहा है।
कई जगह उनके शमशान घाटों पर भी कब्जा किया जा रहा है। दलितों को पकड़कर उनके साथ मारपीट करना, उधारी का पैसा मांगने पर उन पर हमला करना आम घटना हो गई हैं। बिछोर गांव में तो रामजीलाल को पहले पेट से काटा गया और फिर उसे जिंदा जला दिया गया। नामजद रिपोर्ट होने पर भी उसकी आसमानी बिजली गिरने से मृत्यु हुई है, यह कहकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया। उसका परिवार इतनी दहशत में है कि उन्होंने गाँव से पलायन कर लिया है।
दलितों के परिवारों में शादी होने पर कई बार उन पर हमला करके सामान लूट लिया जाता है और वधु को जबरन अगवा करने का प्रयास किया जाता है । इस जांच समिति का यह निष्कर्ष है कि दलितों पर अत्याचार प्रशासन और पुलिस की शह पर ही हो सकते हैं।
पहले तो दलितों की शिकायतें ही दर्ज नहीं होती थी । दर्ज हो भी जाएं, तो कार्यवाही नहीं होती और पुलिस वाले समझौता करने के लिए धमकाते हैं और पीड़ित पर ही झूठा केस दर्ज कराने की धमकी देते हैं।
दुर्भाग्य है कि देश में कहीं भी दलितों का नाखून उखड़ने पर भी आसमान उठा लेने वाले छद्म सेक्युलरवादी मुसलमानों द्वारा दलितों पर इतने अमानवीय अत्याचारों पर चुप क्यों रहते हैं? राजनीतिक स्वार्थों के कारण दलित मुस्लिम एकता का छलावा रचने वाले दलित संगठन अभी तक इन दलितों के आंसू पौछने क्यों नहीं आ सके? इन अत्याचारों की बार-बार शिकायतें करने पर भी क्यों किसी भी दल के राजनीतिज्ञ इनकी सहायता के लिए नहीं पहुंचते हैं?
इन प्रश्नों के साथ जीने वाले दलित समाज को इस जांच समिति के जाने के बाद अब अपने ऊपर विश्वास हो चला है , अब वह शिकायतें दर्ज कराने के लिए सामने भी आ रहा है और अत्याचारों से संघर्ष करने का निर्णय भी ले रहा है।
समिति के अध्यक्ष श्री पवन कुमार ने कहा कि यह रिपोर्ट हरियाणा सरकार, अनुसूचित जाति आयोग एवं केंद्र सरकार के गृह मंत्री को दी जाएगी जिससे वे दलित समाज को न्याय दिलाएं और मेवात में कानून का राज्य स्थापित करें।