घर वापसी ही नवोत्थान का एकमात्र मार्ग है
उत्तरी दिल्ली के बवाना गांव निवासी स्वर्गीय श्री न्यादर सिंह के परिवार ने बीते सोमवार को ईद वाले दिन मुस्लिम धर्म को छोड़कर वापिस हिंदू धर्म अपना लिया। धोबी समाज से संबंध रखने वाले स्वर्गीय श्री न्यादर सिंह के चार पुत्र हैं । सबसे बड़े पुत्र श्री कप्तान सिंह जी ने भारतीय सेना में अपने देश के लिए सेवाएं दी हैं जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनसे छोटा श्री प्रेम सिंह फिर नरेश और बाबूलाल।
पूरे परिवार ने बिना किसी दबाव के ,आपस में और अपने रिश्तेदारों से विचार विमर्श करके यह कदम उठाया है। इस परिवार का झुकाव पहले से ही हिंदू मान्यताओं की तरफ अधिक था ।
श्रीकप्तान सिंह के अनुसार हमारे बाप दादा हमें बताते थे की मुगल शासन काल में कई पीढ़ियों पहले हमारे पूर्वजों को जबरदस्ती डरा धमका कर मुसलमान बनाया गया था। जबकि हमने अपना रहन-सहन और रीति-रिवाज सब हिंदुओं वाले ही रखे। हमारे पूर्वज ईद के साथ साथ होली दिवाली भी धूमधाम से मनाते आये हैं और आपस में अभिनंदन भी राम-राम या नमस्ते बोल के ही करते हैं। इसलिए हम सभी भाईयों ने एक दिन बैठकर विचार विमर्श किया कि हमारे पूर्वजों को बलपूर्वक मुसलमान धर्म अपनाने को मजबूर किया जो हमें अटपटे रीति रिवाजों के कारण कभी समझ ही नहीं आया और जितना आया भी तो इंसानियत के लिए सन्देहास्पद लगा इसीलिए मन बनाया कि क्यों न हम अब अपनी मर्जी से अपने पुराने सनातन धर्म को अपनायें।
पूरा परिवार इसी सोच के साथ एकमत होकर हमने गाँव के कई बुजुर्गों से इस बारे में अपनी घर वापसी करने की बात रखी तो उन्होंने भी खुशीपूर्वक हमारे इस कदम पर हमारा मनोबल बढ़ाया और युवा शक्ति दिल्ली देहात ने हमें प्रत्येक परिस्थितियों में साथ निभाने का आश्वासन भी दिया इससे हमारा बिना किसी भय के घर वापसी करने का रास्ता साफ हो गया।
इस प्रकार ईद वाले दिन हमने विधिविधानपुर्वक यज्ञ करके मंत्रोच्चारण के साथ अग्नि देव को साक्षी मानकर अपने सनातन धर्म में वापसी की।
अधर्म छोड़ वापस अपने पुर्वजों का धर्म अपनाकर पूरा परिवार बहुत खुशी महसूस कर रहा है।
हम समस्त ग्रामवासियों व युवा शक्ति दिल्ली देहात के आभारी हैं जिन्होंने न ही केवल हमारे इस कदम में हमारा साथ दिया बल्कि हमारा मनोबल भी बढ़ाया और प्रत्येक परिस्थितियों में हमारा साथ निभाने के लिए आश्वासन भी दिया।
इसी के साथ उन्होंने गाँव के मंदिरों व गौशाला में दान भी दिया।
स्वामी श्रद्धानंद के अधूरे शुद्धिकरण के मिशन को हम सनातनियों ने गतिमान रखा होता तो भारत विभाजन की रक्तरंजित स्तिथि न बनती।
आज हमें ईसाई-मुसलमान-बौद्ध आदि मजहबों में जा चुके अपने लोगों के शुद्धिकरण अभियानों में अपनी ऊर्जा लगाकर भारत की सनातन संस्कृति सभ्यता का सृजन करना होगा इसी में भारत की समस्त समस्याओं का समाधान है …..
आपको अनंत शुभकामनाओं के साथ
सनातन परिवार में आपका पुनः स्वागत है….
।। जय जय श्री राम।।