वर्ल्ड कॉन्स्टिट्यूशन एन्ड पार्लियामेंट एसोसिएशन की वेबीनार में भारत और वैश्विक शांति पर हुई चर्चा : अंतरराष्ट्रीय विद्वानों ,शांति कार्यकर्ताओं एवं डब्ल्यूसीपीए सदस्यों ने लिया वेबीनार में प्रतिभाग

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राकेश छोकर / नई दिल्ली
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वर्ल्ड कॉन्स्टिट्यूशन पार्लियामेंट एसोसिएशन की वेबीनार मीटिंग में अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों , शांति कार्यकर्ताओं एवं डब्लू . सी. पी. ए. सदस्यों ने प्रतिभाग किया ।आज की चर्चा “भारत और वैश्विक शांति” पर रही। वेबीनार को डॉ क्लॉस श्लिक्टमैन, अंतर्राष्ट्रीय विद्वान, शांति कार्यकर्ताओ और डब्ल्यू.सी.पी.ए .सदस्यो द्वारा संबोधित किया गया ।
“ भारत और वैश्विक शांति” पर व्याख्यान की श्रृंखला में, आज भारतीय सदस्यों के लाभ के लिए एक ऐतिहासिक आयाम का अनावरण किया गया। डॉ क्लॉस ने कहा कि शांतिपूर्ण वैश्विक शासन के प्रभावी मॉडल के निर्माण में भारत की अग्रणी भूमिका है। उन्होंने इस बात की भी सराहना की और उल्लेख किया कि महात्मा गांधी, अरबिंदो, डॉ.राधाकृष्णन, रवींद्रनाथ टैगोर, अर्नोल्ड टॉयनीबी और महाराजा प्रताप सिंह आदि जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों ने वैश्विक शासन और शांति के विचारों को समृद्ध रूप से जोड़ा है।

यह भी याद रखा गया कि शांति भारतीय लोकाचार में है और हमारे धर्मग्रंथों में इसके विशेष उल्लेख हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र संघ की स्थापना 1920 में हुई और संयुक्त राष्ट्र की 1945 में । भारत इन दोनों का संस्थापक सदस्य रहा है । हालांकि यूनाइटेड नेशन के चार्टर के अनुच्छेद 109 में स्पष्ट रूप से संयुक्त राष्ट्र चार्टर की समीक्षा की अनुमति दी गई है ।यदि सदस्य ऐसा निर्णय लेते हैं और यदि इसके सदस्यों में से 2/3 सदस्य किसी संशोधन का समर्थन करते हैं तो उसे अमल में लाया जा सकता है। डॉ क्लॉस का कहना था कि इतने सालों के बाद भी किसी देश ने इस दिशा मे नहीं सोचा । इसलिए डॉ क्लॉस का विचार था कि एक राष्ट्र के रूप में भारत को इस समीक्षा पर जोर देना चाहिए।
प्रो. पी. एन. मुर्थही जो एक प्रतिभागी थे, उन्होंने भी दर्शकों के साथ साझा किया कि शांति प्रयासों पर WCPA के पास भारी मात्रा में साहित्य उपलब्ध है और इन्हें दुनिया भर के सदस्यों को अपनी भाषा में उपलब्ध कराया जाना चाहिए।क्योंकि इसे समझना बहुत आवश्यक है , इसलिए कि वर्तमान परिदृश्य में वैश्विक शांति का सार सबको चाहिए। डॉ दत्ता एक वैज्ञानिक है और वह जानना चाहते थे कि क्या ध्यान और आध्यात्मिक दृष्टिकोण के माध्यम से वैश्विक शांति से संपर्क किया जा सकता है। जिसके लिए डॉ क्लॉस और मुर्थही दोनों सहमत थे। एक और सवाल यह था कि क्या विश्व स्तर पर शांति को लागू करना व्यावहारिक है जिसके लिए डॉ क्लॉस ने हाँ का विरोध किया और इसके लिए कहां कि एक परामर्शी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

वेबीनार में मुख्यत प्रख्यात समाजसेवी , पैटर्न स्वामी अग्निवेश , वर्ल्ड कॉन्स्टिट्यूशन एंड पार्लियामेंट एसोसिएशन (दिल्ली चैप्टर) के प्रेसिडेंट राकेश छोकर, इंटरनेशनल मेंबर डॉक्टर संजीव कुमारी, सुरभि भाटी, लोकेश सिंह तिलकधारी, डॉ रमा शर्मा, फ्रेडरिक इगर, डॉक्टर उश्री दत्ता आदि मौजूद थे। संचालन डॉक्टर उओसिस गुहा ने किया।

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