पटना । (सत्यजीत कुमार ) अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संदीप कालिया का कहना है कि सुशासन बाबू के नाम से विख्यात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार को सुशासन देने में पूर्णतया असफल रहे हैं । उन्होंने बिहार के लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए सत्ता प्राप्त की थी और फिर सत्ता के दास होकर रह गये । सत्ता के गलियारों से बाहर निकलकर प्रदेश की जनता की बदहाल होती जा रही अववस्था को देखने के लिए उनके पास समय ही नहीं रहा । सचमुच सत्ता की मदहोशी जब किसी राजनीतिक व्यक्ति को इस प्रकार के आचरण और व्यवहार का गुलाम बना देती है तो उसका राज्य बदहाली को प्राप्त हो ही जाता है ।
बिहार के लोगों ने बड़ी उम्मीदों के साथ सुशासन बाबू को प्रदेश की बागडोर सौंपी थी और आपको याद होगा कि वह समय लालू प्रसाद यादव के कुशासन से मुक्ति पाने के लिए सुशासन शब्द बिहार के लोगों को बहुत अच्छा लगा था । पर अब सुशासन बाबू के सुशासन में भी सारे वही लक्षण आ घुसे हैं जो कभी लालू प्रसाद यादव के कुशासन में हुआ करते थे । कुल मिलाकर नितीश बाबू ने अब अपने आप को बिहार की सड़ी हुई व्यवस्था के जनक लालू से भी बड़ा सिद्ध कर दिया है अर्थात लालू की लाइन छोटी कर कुशासन के मामले में उनसे भी बड़ी लाइन खींच चुके हैं।
अपराधमुक्त बिहार के छद्म के भीतर उन्हें औरंगाबाद, बिहटा, मुजफ्फरपुर में हो रही जनप्रतिनिधियों की हत्याएं कभी दिखाई नहीं दी। इसी प्रकार अपराध तंत्र के बढ़ते शिकंजे में पिसते हुए बिहार के लोगों को भी वह देख नहीं पाए । हत्या , लूट , डकैती और बलात्कार की घटनाओं में हुई बेतहाशा वृद्धि भी सुशासन बाबू की नजरों से ओझल रही । आज बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, राजधानी पटना में भी उतना ही आम है, जितना नालंदा, बेतिया, मुज्ज्फ्फरपुर या भागलपुर में है। हद तो तब हो गई है जब पुलिस थानों में या पुलिस वालों के द्वारा महिलायों पर हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। ऐसा तब होता है जब या तो शासक के शासन का इकबाल समाप्त हो चुका होता है या तब जब इन घटनाओं को शासक के द्वारा अभय प्राप्त हो।
हिंदू महासभा के नेता ने कहा कि नीतीश कुमार ने जनता से सीधे अदावत की जगह अपनी नीतियों के पुनर्मूल्यांकन का चुनाव कर लिया होता तो शायद उन्हें इन बढ़ते अपराधों का एक कारण हर तीन पंचायत पर दारू के सरकारी ठेके समझ में आते, जिन्होंने गाँव स्तर पर अपना नेटवर्क बना रखा है।
बिहार में मनरेगा के पैसों में लूट है, वृक्षारोपण के नाम पर यहाँ से लेकर वहां तक लूट तंत्र प्रभावी है, शौचालय योजनाओं के तहत कमीशनखोरी का बाजार गर्म है। बी।पी।एल-ए।पी।एल कार्ड में व्यापक धांधली है। उनके शासन काल में भ्रष्टाचार एक सुनियोजित कार्यप्रणाली के तौर पर फल-फुल रहा है। शिक्षकों को तो 5 हजार से 8 हजार तक के माहवारी कान्ट्रेक्ट पर रखा गया है लेकिन विद्यालयों में खिचडी, सायकल, पोशाक योजनायें वसूली और कमीशन खोरी के माध्यम बन गये हैं। सुनियोजित तरीके से सरकारी शिक्षा-तंत्र ध्वस्त हो रहा है। नियोजित शिक्षकों के ये विरोध कोई अचानक से उभरे विरोध नहीं है। वेतन की अपमानजनक असमानता के कारण विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है ।
‘उगता भारत’ के साथ एक विशेष बातचीत में हिंदू महासभा के नेता श्री कालिया ने कहा कि इस कुशासन से मुक्ति पाने के लिए बिहार के लोगों के सामने अब एक ही विकल्प है – अखिल भारत हिंदू महासभा । जी हां , अखिल भारत हिंदू महासभा लालू और नीतीश जैसे भ्रष्ट शासकों से मुक्ति दिलाकर बिहार को सुंदर बनाने के लिए कृतसंकल्प है।
अब एक ही नारा और एक ही संकल्प बिहार वासियों का बन चुका है – लालू नीतीश से नाता तोड़ो और हिंदू महासभा से नाता जोड़ो।