जमशेदपुर । (संवाददाता ) अखिल भारत हिंदू महासभा के झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष श्री धर्म चंद्र पोद्दार का कहना है कि देश में इस समय समान शिक्षा व्यवस्था को लागू करने के दृष्टिकोण से वैदिक शिक्षा बोर्ड का गठन किया जाना आवश्यक हो गया है। उनका मानना है कि जमशेदपुर शहर में जितने भी प्राइवेट स्कूल है अधिकांश आई सी एस ई एवं सी बी एस ई बोर्ड से संबद्ध है । यह लोग सरकार के द्वारा बनाए गए नियमों की अनदेखी करते हैं । इनका कहना यह होता है कि हम अपने बोर्ड के द्वारा दिए गए नियमों पर ही चलते हैं । यह इनका कहना इस बिनाह पर होता है कि बोर्ड से इनको हमेशा खतरा रहता है कि कहीं उनकी मान्यता को ना रद्द कर दिया जाए ।
सरकार के बनाये गए / निर्देशित किये गए नियमों की अवहेलना यह आमतौर पर करते रहे हैं । और आज भी कर रहे हैं । यह बहुत ही दुखद स्थिति है ।
झारखंड सरकार को इन सब पर कड़ाई से पेश आना चाहिए । अगर कहीं कुछ आवश्यकता पड़ती है तो केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करवा करके दोनों ही बोर्ड को आवश्यक दिशा निर्देश दिलवाया जाना चाहिए कि इन स्कूलों पर लगाम कसे और इनको ऐसा करे कि यह लोग प्रांतीय सरकार के नियमों की अनदेखी न कर सकें ।
श्री पोद्दार का कहना है कि आज यह सारे स्कूल सभी बच्चों से फीस पूरी ले रहे हैं । शिक्षकों को वेतन देने में आनाकानी कर रहे हैं । जबकि कोरोना लोक डाउन के मामले में सरकार का स्पष्ट दिशा निर्देश है कि सभी स्कूल शिक्षकों को पूरी तनखा देंगे और बच्चों से 3 माह तक फीस नहीं लेंगे ।
1000 से लेकर 3000 प्रति माह प्रत्येक बच्चे से फीस विभिन्न मदो में बोलकर लेते हैं । और एक कक्षा में 60 बच्चे रहते हैं । औसतन एक लाख रुपैया प्रत्येक कक्षा से आता है , इसमें से प्रत्येक कक्षा का एक शिक्षक भी माना जाए तो उक्त शिक्षक को 15000 से लेकर ₹50000 तक वेतन के रूप में दिया जाता हैं ।
अगर इसको औसतन 30,000 भी मान लिया जाए तो बचे हुए 70 हजार कहां जाते हैं । लगभग प्रत्येक स्कूल में एलकेजी से लेकर 12वी कक्षा तक देखा जाए तो प्रत्येक कक्षा के 5 सेक्शन तक होते हैं और इस प्रकार से एलकेजी और यूकेजी दोनों को जोड़ें तब कुल 14 कक्षाएं होती है और 5 सेक्शन का एवरेज पकड़े हैं तो टोटल 70 सेक्शन कक्षाएं हुई ।
प्रति सेक्शन 70000 की बचत गुणा 70 सेक्शन मतलब यह राशि ₹4900000 होती है ।
प्रत्येक माह जो लगभग ₹5000000 बचाते हो वह पैसा आखिर जाता कहां है । इस प्रकार साल का 6 करोड रुपैया एक स्कूल के द्वारा बचाया जाता है ।
जब यह लोग इतनी भारी धनराशि इकट्ठा करते हैं तो 3 महीने इनको अपने पास से सैलरी देने के लिए इधर उधर क्यों देखने लगते है । यह लोग बहाना बाजी करते हैं , इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए कि आखिर मोटी रकम फीस के रूप में ली जाती है तो बचा हुआ पैसा जाता कहां है ?
उन्होंने कहा कि शिक्षकों के द्वारा ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है । वे लोग अपनी ड्यूटी लोकडाउन के कारण घर में रहते हुए भी कर रहे हैं । एक समाचार अभी आया था कि एक स्कूल के प्रबंधन ने यह कहा कि शिक्षक वेतन को लेकर के हंगामा नहीं कर रहे थे । उन लोगों को हस्ताक्षर करने के लिए बुलाया गया था , तो शिक्षकों का जमावड़ा करने का आदेश क्यों दिया गया । लॉक डाउन का पालन क्यों नहीं किया गया ।
यहां के प्रशासनिक पदाधिकारियों को चाहिए कि इस स्कूल को नोटिस देकर जबाब तलब करे और इस पर कड़ा अर्थदंड भी लगाया जाना चाहिए ।
लॉकडाउन को तोड़ने का आदेश स्कूल प्रबंधन के द्वारा शिक्षकों को क्यों दिया गया । बहुत सारी चीजें हैं इस प्रकार यह देखने में आ रहा है कि यह स्कूल मनमानी करते हैं । सरकार के नियमों की अवहेलना करते हैं और राज्य सरकार को कुछ नहीं समझते हैं ।
झारखंड सरकार का शिक्षा विभाग अपने आपको इन लोगों के सामने पंगु महसूस कर रहा है । यह स्थिति राज्य के लिए ठीक नहीं है ।
एक विशेष बातचीत में श्री पोद्दार ने कहा कि जो स्कूल जरा भी गलती करते हैं उन पर कठोरतम कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है ।ऐसा लगता है कि यह समस्या केवल इस शहर की है ऐसा नहीं है । कमोबेश भारत के सभी शहरों की यही स्थिति है । इसलिए एक काम यह भी किया जा सकता है कि जिस प्रकार इन्दिरा जी के समय बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था , उसी प्रकार इन सारे प्राइवेट स्कूलों का राष्ट्रीयकरण किया जाए ।
वैसे इस समस्या से निपटने का एक ही रास्ता है कि सरकार को समान शिक्षा व्यवस्था लागू करने के लिए सारे देश में वैदिक शिक्षा बोर्ड का गठन करना चाहिए। साथ ही इस बात की व्यवस्था भी करनी चाहिए कि देश में एक जैसी शिक्षा व्यवस्था लागू कर बच्चों के चरित्र निर्माण पर ध्यान दिया जाए । जब व्यक्ति का निर्माण हो जाएगा तो राष्ट्र का निर्माण अपने आप हो जाएगा । इसलिए वैदिक शिक्षा बोर्ड की ओर सरकारों को यथाशीघ्र कदम बढ़ाना चाहिए।