नई दिल्ली: अब से सही 6 साल पहले 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी । अब जब उनके शासन के 6 वर्ष पूरे हो गए हैं तो उनकी कश्मीर क्रांति ने भारत को न केवल विश्व मंचों पर प्रतिष्ठा प्रदान की है बल्कि पाकिस्तान के भी छक्के छूट गए हैं । प्रधानमंत्री के 6 साल के ‘छक्के’ ने वास्तव में बाजवा के छक्के छुड़ा दिए हैं । जिसने अपनी सेना के सामने स्वयं स्वीकार किया है कि हम कश्मीर का अंतरराष्ट्रीय कर्म करने में सफल रहे हैं ।
मोदी के छक्के में अब पाक अधिकृत कश्मीर अर्थात पीओके भी शामिल होने जा रहा है। भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर पर जैसा रुख दिखाया है, उसे देख कर अब पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष बाजवा भी घबरा गए हैं। बाजवा भारत कि पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर अपनाई गई रणनीति और योजना से इस कदर डर गए हैं कि उन्होंने ईद के मौके पर नियंत्रण रेखा का दौरा कर डाला।।डरे हुए बाजवा के मुंह से सच भी निकल गया । उन्होंने कश्मीर पर पाकिस्तान के सरेंडर का सच अपने सैनिकों को बता दिया।
यह स्थिति कुछ वैसी ही है जैसी कभी जुल्फिकार अली भुट्टो की हुई थी । युद्ध से पहले जुल्फिकार अली भुट्टो भी कहा करते थे कि हम हिंदुस्तान से 1000 साल तक लड़ेंगे , परंतु जब इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी तो जुल्फिकार अली भुट्टो घुटनों के बल इंदिरा गांधी के सामने आकर गिड़गिड़ाने लगा था । क्योंकि श्रीमती गांधी ने उस समय पाकिस्तान की 90 हजार से अधिक सेना को गिरफ्तार करवा लिया था।
अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने बिना युद्ध लड़े ही पाकिस्तान को हरा दिया है। कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान ने भारत के सामने सरेंडर कर दिया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कश्मीर क्रांति ने पाकिस्तान को सरेंडर करने के लिए मजबूर किया है।
पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने कश्मीर पर सरेंडर करने की बात अपने फौजियों के सामने कुबूल की है। बाजवा ने कहा कि भारत दुनिया को कश्मीर पर अपनी बात समझाने में कामयाब रहा, जबकि पाकिस्तान कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना पाने में पूरी तरह से नाकाम रहा।
पाकिस्तानी नियंत्रण रेखा पर अपने फौजियों को ईद मुबारक कहने पहुंचे जनरल बाजवा ने इस सच को स्वीकार किया कि दुनिया ने कश्मीर पर पाकिस्तान की एक नहीं सुनी. इमरान ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का रोना रोया. संयुक्त राष्ट्र के मंच से भी कश्मीर का जिक्र किया, लेकिन दुनिया ने कश्मीर पर इमरान के झूठ पर यकीन ही नहीं किया. कई बार इमरान ट्रंप के आगे गिड़गिड़ाए लेकिन ट्रंप ने भी भारत की ही बात मानी.
कश्मीर पर इमरान अपनी हार का ऐलान तो पहले ही कर चुके हैं, लेकिन बाजवा ने अपने मुंह से सरेंडर का सच अब जाकर कबूल किया है। हिंदुस्तान ने कश्मीर पर पाकिस्तान के सरेंडर की कहानी उसी दिन लिख दी थी, जिस दिन जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा था।
प्रधानमंत्री मोदी के बीते 6 सालों में वैसे तो उन्होंने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं , परंतु उनका कश्मीर क्रांति का निर्णय वास्तव में ऐतिहासिक है । जिसके लिए देश बहुत दिनों से इंतजार कर रहा था। इस ऐतिहासिक कार्य को नरेंद्र मोदी के 56 इंची सीने ने पूरा कर दिखाया । जबकि यूपीए की सरकार के समय में तो ऐसा लगने लगा था कि जैसे कश्मीर समस्या कभी समाप्त ही नहीं होगी । अभी तक पाकिस्तान कश्मीर को लेकर बहुत उत्साहित रहता था , इसका अन्तरराष्ट्रीयकरण करने में भी सफलता प्राप्त कर लेता था । परंतु अब उसकी बोलती बंद हो गई है और वह यह भी समझ गया है कि देर सबेर भारत पाक अधिकृत कश्मीर को भी लेने में सफल हो जाएगा।
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