आज हम वैश्विक कोरोना वायरस जैसी भयंकर बीमारी से त्रस्त और ग्रस्त है। यदि हम आकलन करें तो बीमारी से बचाव हेतु केंद्र एवं राज्य सरकार अपने सीमित संसाधनों से जांच एवं इलाज कर रही है लेकिन बढ़ते हुए आंकड़े यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि हमारे संसाधन जैसे जांच उपकरण और किट आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होने के कारण हमारे डॉक्टर अपने आप को विषम परिस्थितियों में जान जोखिम में डालकर इलाज करने के लिए प्रयासरत हैं लेकिन दूसरी तरफ सामाजिक न्याय की स्थापना मानवाधिकार संरक्षण एवं उत्पीड़न से सुरक्षा के मुद्दे पर पुलिस की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं यह सही है कि पुलिसकर्मी भी अपनी ड्यूटी को अपनी जान पर खेलकर विषम परिस्थितियों में अंजाम दे रहे हैं लेकिन तनाव ग्रस्त होकर कई बार मजदूरों को सड़क पर पीटना उन्हें फौजी स्टाइल में मुर्गा चाल लड्डू चाल बंदर चाल आदि कराते हैं यह मानव अधिकार नियमों का उल्लंघन है उल्लंघन करने वाले किसी भी नागरिक को प्यार से समझाया भी जा सकता है लेकिन उत्पीड़न होने से समाज में गलत संदेश जाता है पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान उठने लगते हैं यही कारण है कि कई जगह पुलिसकर्मी और जनता आमने सामने हो जाती है हिंसा का रूप धारण कर लेती है अनावश्यक रूप से बजाना फर्जी मुकदमे दर्ज करना सामाजिक न्याय की श्रेणी में नहीं आता है। कई जगह अधिकारीगण भी जनता के सही मुद्दों को ने पकड़ कर दंडात्मक कार्रवाई करते हैं जो उचित नहीं ठहराया जा सकता इस तरह उल्लंघन की समस्याओं को समझा-बुझाकर एवं कानूनी रूप से भी राहत प्रदान कर हल किया जाना चाहिए।
कष्ट होता है जब मजदूर यदि पैदल जाते हैं तब उन्हें रोक दिया जाता है यदि वह किसी सवारी से भी जाना चाहे तो भी उन्हें रास्ते में पकड़ कर क्वॉरेंटाइन सेंटर भेज दिया जाता है तथा वहां ना तो उनकी पर्याप्त जांच होती है और नहीं कोई खाने पीने की उचित व्यवस्था यह मानसिक उत्पीड़न है इससे मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण सेवा संरक्षण एवं चिकित्सीय संरक्षण का उल्लंघन होता है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम का पालन करते हुए आमजन के जीवन की सुरक्षा हेतु आवश्यक कदम उठाए। उपरोक्त सुझावों का क्रियान्वयन समाज हित में होगा तथा संविधान में समानता के अधिकार और सुरक्षित जीवन जीने का अधिकार प्राप्त होगा। विषम परिस्थितियों में संघर्ष कर रहे हमारे डॉक्टर्स सफाई कर्मी एवं पुलिसकर्मी को भी मानव अधिकार संरक्षण के अंतर्गत अनेक सुविधाएं प्राप्त है जो उन्हें भी मुहैया कराई जानी चाहिए।
(लेखक ने शिक्षा के क्षेत्र में यशस्वी कार्य किए हैं और राष्ट्रपति पदक से सम्मानित हैं। – सह संपादक )