पर्यावरण संरक्षण और अकाल मुक्ति के लिए किशोर भाई बहन का 3 वर्षों से अखंड श्रमदान : देश के लिए बने प्रेरणा के स्रोत, अकेले कुआ तालाब खुद पर बारिश से एकत्र किया एक करोड़ लीटर पानी
★ 3000 पेड़ लगाकर मरुस्थल को किया हरा भरा , आज देश में आदर्श बने हैं दोनों भाई बहन
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राकेश छोकर / नई दिल्ली
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दृढ़ इरादों औऱ बुलंद हौसलों से कठिन से कठिन मंजिल भी आसान हो जाती है, असंभव सी लगती मंजिल को भी सहज हासिल किया जा सकता हैं। यूं ही अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और ऊंचे मनोबल से पर्यावरण प्रेमी एवं जांबाज जलयौद्धा किशोर भाई बहन ने भयंकर अकाल से जूझते क्षेत्र में जहां बड़ी मात्रा में पानी की उपलब्धता हासिल कर ली, वही बंज़र भूमि पर हरियाली लहलहा दी। जिसके चलते आज दोनों भाई बहन देश में चर्चित हो रहे हैं, और औरों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।
महाराष्ट्र का सातारा जनपद शूरवीर, पराक्रमी क्रांतिकारक और छत्रपती शिवाजी महाराज के इतिहास से जाना जाता हैं।।सातारा जनपद मे नैसर्गिक भौगोलिक विभिन्न परिस्थिती दिखाई देती है। एक तरफ विश्व का स्वर्ग पाचगणी महाबळेश्वर गुलाबी ठडी हवा और मुसलाधार बारिश होती हैं,बाढ आती हैं। वही पांच नदी का उदगम स्थान हैं।उंचे उचे सह्याद्री पर्वत जैसे अदभूत चमत्कारी निसर्ग सौंदर्य के दर्शन भी होते हैं।वंही दुसरी तरफ सातारा जनपद के पूर्वभाग डोंगरी पठारी इलाको में विश्व का सबसे बडा अकाल शापित बंजर क्षेत्र वीरान उजडा हुआ माणदेशी तालुका दिखाई देता हैं। जहां दूर तलक के क्षेत्र में पानी और हरियाली के लिऐ लोग तरसते रहे हैं।पिछले कई वर्षों से यहां के लोग सूखे से त्रस्त हैं। लगातार पोखर, तालाब, नदी नाले ,बोरवेल सूख रहे हैं। कह सकते हैं कि स्थानीय जनता अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर है।
इसी अभिशप्त जीवन से जूझने का दृढ़ इरादा करते हुए महाराष्ट्र राज्य के सातारा जनपद के गाव गोंदवले खुर्द के दो भाई बहन रोहित बनसोडे (18 साल) और रक्षीता बनसोडे ( 15 साल) पर्यावरण संरक्षण और अकाल मुक्ति के लिऐ पिछले तीन साल सें अखंड श्रमदान कर रहे हैं।
उन दोनो ने मिलकर जब तक अकाल नही हटता तब तक संघर्ष करने का प्रयास किया । दोनो ने शिक्षा के साथ अपनी देश गांव की मिट्टी के लिऐ , पर्यावरण संतुलन रखने के लिऐ , पशु पक्षियों के लिए, अपने गांव की बंजर वीरान भूमि पर 3000 पौधों का वृक्षारोपण किया और उन्हें अपने प्रयासों से हरा-भरा भी रखा। उनका यह प्रयास 3 वर्षों से जारी है। यही नहीं अपितु गड्ढे खोदकर बारिश के बहते पानी को एकत्र भी किया। तालाब की खुदाई की, कुआं बनाया और लगभग एक करोड़ लीटर पानी एकत्र कर क्षेत्र के लिए बड़ा भागीरथी प्रयास किया। क्षेत्र के लिए भागीरथ रूप में आज दोनों भाई बहन चर्चाओं में है, जो कुछ समय पूर्व तक लोगों के बीच सनकी करार दे दिए जाते थे। आज वही लोगों ने सिर आंखों पर बैठा रहे हैं। दोनों भाई बहन शापित क्षेत्र के लिए भागीरथ बने गए हैं।