रामकथा में अली मौला के साइड इफेक्ट

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एक बच्ची अचानक घर पर 15 पन्ने का एक पत्र छोड़कर गायब हो जाती है और पत्र में लिखती है:-

” जब हिंदू धर्म में अल्लाह को भी पूजने की इजाजत है तब मैं अल्लाह को ही क्यो न पूजूँ ? मैं घर छोड़कर इस्लाम कुबूल करने जा रही हूं।”

पत्र में उसने यह भी लिखा था कि उसके कालेज के मुस्लिम दोस्तों के साथ साथ कुछ हिंदू दोस्त भी हिंदू धर्म का मजाक उड़ाते हैं और मुझे इस्लाम धर्म काफी अच्छा लगता है।

वह लड़की घर से गायब हो जाती है और #आयशा बनकर प्रकट होती है।

आप लोग गूगल पर केरल का #अथिरा उर्फ #आयशा केस सर्च कीजिये।

आश्चर्य की बात यह कि वह लड़की लव जिहाद की शिकार नहीं थी बल्कि वह एक आईडेंटिटी क्राइसिस का शिकार थी और तथाकथित धर्म गुरुओं इत्यादि के द्वारा वह कंफ्यूज हो गई थी हालांकि बाद में उसने वापस हिंदू धर्म में लौटने का फैसला किया और उसने फिर से हिंदू धर्म स्वीकार किया

एनआईए के सामने उसने विस्तार से बताया कि किस तरह से उसे कॉलेज में साहित्य दिए गए जिसकी वजह से वह कंफ्यूज हो गई थी

इसीलिए मैं कहता हूं जब तक आपको अपने हिंदू धर्म पर हिंदू धर्म की अस्मिता पर हिंदू धर्म की जड़ों पर गर्व नहीं होगा कब तक आप अपने बच्चों को ठीक से संस्कार नहीं दे सकते

यदि आपके बच्चे किसी राम कथा में अली मौला अली मौला या अली या अली या अल्लाह या अल्लाह का गुणगान सुनेंगे तब वह अथिरा की तरह ही आईडेंटिटी क्राइसिस से जूझेंगे।

अगर रामकथा के गंगाजल के बीच में अली मौला का प्रदूषण मिलाओगे तो यही होगा। ऐसी हर घटना के लिये आप जिम्मेदार हो मोरारि बापू!
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साभार

#कथा_जिहाद

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