कांग्रेसियों और वामपंथियों के लिए डूब मरने के क्षण : अयोध्या में खुदाई में मिल रहे हैं शिवलिंग और पुरातात्विक मूर्तियां

हिंदुत्व की लंबी साधना , कोर्ट कचहरी की लड़ाई और इसके साथ ही साथ बलिदानों की लंबी परंपरा के पश्चात वह शुभ दिन आ गया है , जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण आरंभ हो गया है । सचमुच इस पावन दिवस के लिए हमने लाखों की संख्या में बलिदान दिये हैं । अब जबकि इस पावन मंदिर की पहली ईंट रखी गई है तो समझिए कि हमारे वीर धर्मप्रेमी पूर्वजों की वह बलिदानी परंपरा जीवंत हो उठी है , जिन्होंने इस ईंट को रखने के लिए अपना सर्वोत्कृष्ट बलिदान दिया था । अतीत के उन नाम अनाम अनेकों बलिदानियों को शत-शत नमन करते हुए राष्ट्र आज उनके बलिदान का अभिनंदन कर रहा है और तेजी से हमारे देश के मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र जी महाराज का मंदिर अयोध्या में बनना आरंभ हो गया है।
इस अवसर पर प्रत्येक देशभक्त भारतवासी की केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार से यह भी अपेक्षा है कि राम मंदिर के अहाते में हमारे उन बलिदानियों के बलिदान का प्रतीक एक शहीद स्मारक भी स्थापित किया जाए जिस पर उन अनेकों लड़ाइयो का विवरण हो जो अयोध्या में भारत की अस्मिता के प्रतीक श्री रामचंद्र जी के मंदिर को बनवाने के लिए अलग-अलग समय पर लड़ी गई । यदि संभव हो तो जितने अधिक से अधिक बलिदानियों के नाम उपलब्ध हो सकें , उनको भी इस शहीद स्तंभ पर स्थान मिलना चाहिए । केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार यदि ऐसा करती है तो निश्चित रूप से उनके द्वारा यह इतिहास की और इतिहास के बलिदानियों की बहुत बड़ी सेवा होगी। केंद्र और प्रदेश सरकार से हमारी भी यह मांग है कि यहां पर एक ऐसा विशाल भवन हो जिसमें सारे योद्धाओं का विवरण हो और प्रतीकात्मक चित्रों के माध्यम से सारे युद्ध दर्शाए गए हों । इससे आने वाली पीढ़ियों को यह प्रेरणा मिलेगी कि हमारे देश के लोगों के भीतर राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता की इतनी उत्कृष्ट भावना रही कि उन्होंने सैकड़ों वर्षों तक अनगिनत बलिदान देकर अपने अस्तित्व और अस्मिता के प्रतीक रामचंद्र जी के मंदिर को बनवा कर ही दम लिया।
अब जबकि राममंदिर का निर्माण आरंभ हो गया है तो देश के कांग्रेसियों और उन्हीं के सुर में सुर मिलाने वाले वामपंथियों सहित उन इस्लामिक कट्टरपंथियों को भी जवाब मिल गया है , जो यह कहते चले आ रहे थे कि अयोध्या में श्री राम के नाम का कोई मंदिर नहीं था और यहां पर बाबरी मस्जिद का विध्वंस करके हिंदू समाज के लोगों ने बहुत गलत कार्य किया है । इतना ही नहीं वाद की कार्यवाही के दौरान कांग्रेसियों और वामपंथियों ने केवल इस्लाम के मानने वालों की वोट प्राप्त करने के उद्देश्य से इतना तक भी कहा कि राम का कभी अस्तित्व नहीं रहा। उससे पूर्व कोर्ट के अध्यादेश पर खुदाई होने पर खुदाई में मिले अवशेषों को भी कोर्ट से छुपाकर मात्र एक खम्बा दिखाया गया। जबकि अब राम मंदिर के निर्माण के आरंभ होते ही वहां पर कई पुरातात्विक मूर्तियां , खंबे और शिवलिंग मिल रहे हैं । जिनसे यह स्पष्ट हो रहा है कि यहां पर राम मंदिर रहा था। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय ने कहा कि मलबा हटाने के दौरान कई मूर्तियाँ और एक बड़ा शिवलिंग भी मिला है।
वास्तव में कांग्रेस कम्युनिस्ट और इस्लामिक विद्वानों का प्रारंभ से ही यह दृष्टिकोण रहा है कि भारत को भारत की जड़ों से काट दिया जाए। जब भारत खोखले तथ्यों के आधार पर या खोखली जमीन पर अपना अस्तित्व बनाना आरंभ करेगा तो उसका भवन पहली बात तो कभी बन ही नहीं पाएगा और यदि बन भी जाएगा तो छोटे से तूफान के सामने ही गिर जाएगा । उन्हें नहीं पता कि भारत की जड़ें कितनी गहरी हैं और भारत जब अपनी आभा में रत होकर अपने अस्तित्व को खोजेगा तो उसके अस्तित्व के सामने सारे संसार का अस्तित्व गौण हो जाएगा। आज जो लोग अपने आपको तथाकथित रूप से सभ्य और आधुनिक मानते हैं , उन सबकी गर्दनें नीची हो जाएंगी ।
यह सौभाग्य की बात है कि हमारा वर्तमान नेतृत्व अपने अतीत पर गर्व करता है । साथ ही देश में ऐसी शक्तियां बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही हैं जो भारत के मूल को खोजने में लगी हैं । हमारे अनेकों साथी हैं जो हमारे साथ मिलकर ‘भारतीय इतिहास पुनर्लेखन समिति’ के माध्यम से भारत के स्वर्णिम इतिहास की परतों को खोलने में रुचि ले रहे हैं । जैसे-जैसे भारत प्रकट होता जा रहा है वैसे वैसे ही हमारा भारत संपूर्ण विश्व का नेतृत्व करने के लिए आगे आता जा रहा है।
अयोध्या में मन्दिर निर्माण कार्य के आरम्भ होते ही 67 एकड़ के श्रीराम जन्मभूमि परिसर में समतलीकरण और बैरिकेडिंग के एंगल आदि को हटाने का काम तेजी से जारी है। इसी समतलीकरण और खुदाई के काम के दौरान कई सारी प्राचीन मूर्तियों और मंदिर के पुरावशेष मिल रहे हैं।
सदियों से विवादित रहे अयोध्या में हिन्दू आस्था के प्रतीक श्री राम मंदिर निर्माण के लिए निर्मित ट्रस्ट श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का कहना है कि समतलीकरण के दौरान बड़ी मात्रा में पुराने अवशेष, जैसे – देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियाँ, पुष्प, कलश, दोरजाम्ब जैसी कलाकृतियाँ, भवन के मेहराब के पत्थर, 7 ब्लैक टच स्टोन के स्तम्भ, 8 रेड सैंड स्टोन के स्तंभ और 5 फिट आकार की नक्काशीयुक्त शिवलिंग की आकृति मिली है।

इस संबंध में पूर्व में राष्ट्रवादी लेखक रहे श्री के0 के0 मोहम्मद के द्वारा विस्तृत रूप से यह जानकारी दी गई थी कि अयोध्या के इस राम जन्मभूमि नामक स्थान पर श्री रामचंद्र जी के मंदिर होने के पुख्ता प्रमाण मिले हैं । ज्ञात रहे कि श्री मोहम्मद 1978 में सरकार के द्वारा श्री राम जन्मभूमि स्थल पर कराई गई खुदाई के लिये गठित टीम में पुरातत्ववेत्ता के रुप में सम्मिलित हुए थे । तब उन्होंने जो कुछ वहाँ देखा था उसको स्पष्ट रूप से एक बार नहीं कई बार सार्वजनिक रूप से लोगों को बताया । पर सरकार थी कि उसके कानों पर जूं नहीं रेंग रही थी । आज हम श्री के0 के0 मोहम्मद जैसे साहसी विद्वानों का भी अभिनंदन करते हैं , जिन्होंने सत्य को सत्य कहने का साहस किया। साथ ही कांग्रेसियों कम्युनिस्टों और उन्हीं की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले तथाकथित मुस्लिम विद्वानों से यह पूछते हैं कि श्री राम के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाने से पहले उन्होंने 1978 की खुदाई में ही मिले मंदिर के अवशेषों की उपेक्षा क्यों की ? और क्यों वे भारत के अस्तित्व और अस्मिता को लेकर अनाप-शनाप बकवास करते हैं ?
यदि अब भी कुछ शिक्षा लेनी है तो जाकर श्री राम जन्म भूमि स्थल पर मिले अवशेषों को फिर एक बार देख लें और यदि लज्जा आए तो चुल्लू भर पानी में डूब मरो।

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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