लद्दाख में चीनी हरकतें : खतरे को समझ रहा है भारतीय नेतृत्व
लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए टकराव को हल्के में लेना गलत होगा । वैसे यह एक अच्छा संकेत है कि भारत का नेतृत्व इस तनाव को गंभीरता से ले रहा है। एनएसए अजीत डोभाल स्थिति पर पूरी तरह नजर रखे हुए हैं । यह तनाव भले ही स्थानीय स्तर पर सुलझा लिया गया हो , लेकिन मामला पूरी तरह शांत नहीं हुआ है। चीन ने सीमा पर बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती कर दी है। बड़ी तादाद में मोटर बोट भी तैनात किए हैं। जिनसे पड़ोसी देश चीन की इरादे समझे जा सकते हैं हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पाकिस्तान भारत के आपत्ति के बावजूद बाल्टिस्तान और गिलगित में चुनाव करवाने पर पड़ा हुआ है पाकिस्तान यदि ऐसा कर रहा है तो यह भी समझा जा सकता है कि उसके ऐसा करने के पीछे चीन का समर्थन उसे ताकत दे रहा है । चीन ने लद्दाख में अपनी उपस्थिति देकर और भारत के सैनिकों के लिए तनाव की स्थिति पैदा कर यह बता दिया है कि यदि पाकिस्तान के साथ भारत कुछ करेगा तो वह भी पाकिस्तान के साथ होगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और हर एक गतिविधियों की जानकारी ले रहे हैं। चीन का यह घिनौना खेल उस वक्त चल रहा है जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है और इससे निपटने में लगी है। कोरोना वायरस चीन से पूरी दुनिया में फैला और अब यह मांग जोर पकड़ रही है कि वायरस के फैलने की अंतरराष्ट्रीय जांच हो और हजारों मौतों की जिम्मेदारी तय हो। ऐसे वक्त में चीन न सिर्फ जगह-जगह टकराव के जरिए इस मुद्दे से ध्यान भटका रहा है, बल्कि नेपाल को भी भारत के खिलाफ भड़का रहा है। माना जा रहा है कि लिपुलेख मामले में नेपाल को उकसाने में चीन का ही हाथ है।
भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच नोकझोक, टकराव आम बात है। सीमा पूरी तरह स्पष्ट नहीं है इसलिए पट्रोलिंग के दौरान जब भी दोनों देशों के सैनिकों का आमना-सामना होता है तो उनमें कभी हल्की तो कभी तीखी नोकझोक देखने को मिलती है। लेकिन इस बार का टकराव गंभीर रूप लेता जा रहा है। टकराव के बाद चीन ने अपनी ओर सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा दिया है। चीन के सैनिक इस हफ्ते उसी क्षेत्र में सैन्य अभ्यास कर रहे थे। उस सैन्य अभ्यास में इस्तेमाल हो रहे भारी हथियारों, सैन्य साजोसामानों को भी चीन ने बॉर्डर पर तैनात कर दिया है।
यह भी माना जा रहा है कि चीनी सैनिकों ने पैंगोंग सो लेक के किनारे अपनी-अपनी पोजिशन भी ले ली है और मोटरबोट के जरिए आक्रामक गश्ती कर रहे हैं। इतना ही नहीं, बताया जा रहा है कि भारतीय सेना ने जो अस्थायी ढांचा बना रखे थे, उन्हें भी नुकसान पहुंचाया गया है ।
गलवान में जहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव हुआ, वहां चीन के सैनिक अब भी तैनात हैं। जवाब में भारत ने भी सैनिकों के जमावड़े को बढ़ा दिया है। जो रिपोर्ट्स आ रही हैं, उनके मुताबिक गलवान में टकराव वाली जगह के करीब 4 किलोमीटर के दायरे में चीन ने अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी है।
सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिकों का संभावित निशाना दरबुकशियोक-दौलत बेग ओल्डी रोड हो सकता है, जिसे भारत ने पिछले साल बनाया है। यह रोड सब सेक्टर नॉर्थ के लिए जीवन रेखा की तरह है। हालांकि, चीन को किसी भी तरह की हिमाकत से रोकने के लिए भारत ने भी पर्याप्त संख्या में सैनिकों की तैनाती की है। सूत्रों ने बताया कि जमीनी स्थिति 1962 से जुदा है, जब चीनी सेना ज्यादा तादाद की वजह से बहुत भारी पड़ी थी।
गलवान एरिया में रोड और पुल बनने से चीनी पक्ष नाखुश है। भारतीय सुरक्षा बल पुल और रोड का इस्तेमाल पट्रोलिंग के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा इनसे स्थानीय आबादी का जीवन भी आसान हुआ है।