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प्रस्तुति : आचार्य ज्ञान प्रकाश वैदिक

कई साल पहले राज्य विधान सभा में जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के विस्थापित कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के संबंध में दिए बयान पर राजनीति गरमा गयी थी ! महबूबा ने कहा कि कश्मीरी पंडितों को कबूतरों को बिल्ली के आगे फेंकने की तरह घाटी में वापस नहीं बसाया जा सकता अर्थात पंडितों को कश्मीर घाटी में उनके मूल स्थानों में बसाकर उन्हें आतंकवादियों के रहमोकरम पर नहीं छोड़ा जा सकता !


अमरनाथ यात्रा में बहुत से स्थान साल में 9 महीने बर्फ से ढके रहते हैं. एक राज्यपाल ने जब अमरनाथ यात्रिओं को सुविधा देने के लिए एक बड़े मैदान को अमरनाथ यात्रा के शिविर लगाने के लिए निश्चित किया तो काश्मीरी मुस्लिम और मिडिया चिल्लाने लगा— ये कश्मीर की डेमोग्राफी ( जनसंख्या वितरण) बदलने की साजिश है.क्या हरियाणा, दिल्ली या गुजरात का निवासी वहां 9 महीने बर्फ में रह सकता है?
किसी ने नहीं कहा कि हिमाचल के धर्मशाला में तिब्बती बौद्ध वहां की डेमोग्राफी बदल रहे हैं क्योंकि वहां पर मुस्लिम नहीं हिन्दू रहते हैं. कश्मीर में धारा 370 लागू होने के बावजूद म्यामार के रोहिंग्या मुस्लिमों को कश्मीर घाटी में बसाया जा सकता है भारतीयों को नहीं.

बंगलादेशी व रोहींग्या की जनसँख्या का प्रयोग एक औजार की तरह किया जा रहा है. भारत में जो मुस्लिम विदेशों से आ रहे वे लगभग अनपढ़ हैं. इन्हें बहुत आसानी से भड़काया जा सकता है. अगले 20 सालों में अनेक मुस्लिम देशों को भयंकर सूखे का सामना करना पड़ेगा क्योंकि इन देशों ने जल प्रबंधन के नाम पर एक रूपया भी नहीं खर्च किया है. भारत में नदियों की बहुतायत है. यशस्वी भविष्यद्रष्टा प्रधानमन्त्री मोदी जी नदियों को जोड़ने की शुरुआत कर चुके हैं. इजरायल से सम्बन्ध इस दिशा में भारत को अधिक सफल बनाएंगे. इस जल प्रबन्धन के कारण भारत में अगले 100 साल तक भी पानी की किल्लत नहीं होगी. 20 साल बाद जब मुस्लिम 33% से अधिक हो जाएंगे तब भारत में मुस्लिम सरकार बन जाएगी. उसके बाद पाकिस्तान के धनी मुस्लिम भारत में आकर रहने लगेगें.

आने वाले 20 सालों में अरब में पेट्रोलियम ख़त्म. भारत उनके लिए भी अच्छी जगह होगा. अम्बेडकरवादी, कम्यूनिष्ट, सेक्यूलर और मिडिया — ये तो पहले ही मुसलमानों के लिए लाल कालीन बिछा कर स्वागत के लिए तैयार बैठे है. NDTV का पत्रकार रविश तो कहता ही है कि यदि भारत में मुस्लिम ज्यादा हो जाएंगे तो कौन सी आफत आ जाएगी.

कुछ साल पहले जम्मू कश्मीर में DSP मोहम्मद अयूब पण्डित की मस्जिद से नमाज पढ़ कर निकले अल्लाह के नेक बन्दों ने हिन्दू समझ कर हत्या कर दी. उसके घर के सदस्य कह रहे थे कि मारने से पहले ये तो जान लेते कि यह हिन्दू है या मुस्लिम.

कई साल पहले पाकिस्तान में सैनिक स्कूल में आतंकवादी आक्रमण हुआ. मारे गए एक बच्चे की माँ बोल रही थी ” हिन्दूस्तान जाकर हिन्दूओं को मारते. हमारे बच्चों को क्यों मारा?”

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