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इतिहास के पन्नों से

जब हिंदू वीरांगना के हाथों में बाल-बाल बचा था अकबर

हमारी हिंदू वीरांगनाओं ने अकबर जैसे क्रूर बादशाह के अनेकों अत्याचार झेले , परंतु उससे अपनी इज्जत का सौदा नहीं किया । यहां पर हम अपनी एक ऐसी ही वीरांगना बहन का उल्लेख कर रहे हैं आशा करते हैं कि आज की बेटियों को यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिए ।
अकबर प्रति वर्ष दिल्ली में नौरोज का मेला आयोजित करवाता था…!
इसमें पुरुषों का प्रवेश निषेध था!
अकबर इस मेले में महिला की वेशभूषा में जाता था और जो महिला उसे मंत्र मुग्ध कर देतीं उसे दासियां छलकपट से अकबर के सम्मुख ले जाती थी!
एक दिन मेले में महाराणा प्रताप सिंह जी की भतीजी छोटे भाई महाराज शक्तिसिंह जी की पुत्री मेले में सजावट देखने के लिए आई!

 

जिनका नाम बाईसा किरण देवी था जिनका विवाह बीकानेर के पृथ्वीराज जी से हुआ था!
बाईसा किरण देवी सुंदरता को देख कर अकबर अपने आप पर काबू नहीं रख पाया और उसने धोखा से बिना सोचे समझे दासियों के माध्यम से धोखा से जनाना महल में बुला लिया! जैसे ही अकबर ने बाईसा किरण देवी को स्पर्श करने की कोशिश की किरण देवी ने कमर से कटार निकाली और अकबर को नीचे पटक कर उसकी छाती पर पैर रखकर कटार गर्दन पर लगा दी!
और कहा नीच नराधम तुझे पता नहीं कि मैं उस महाराणा प्रताप सिंह जी की भतीजी हुं जिनके नाम से तेरी नींद उड़ जाती हैं!
बोल तेरी आखिरी इच्छा क्या है!
अकबर का खुन सुख गया! वो कभी सोचा भी नहीं था कि अकबर आज राजपूत बाईसा के चरणों में होगा! किरण देवी ने कहा आज के बाद कभी दिल्ली में नौरोज़ का मेंला मत लगवाना!
और आज के बाद कभी भी किसी औरत को परेशान मत करना और अकबर की जान बख्श दी!
इस घटना का वर्णन गिरधर आसिया द्वारा रचित# सगत रासों में 632 पृष्ठ संख्या में दिया गया है बीकानेर संग्रहालय में लगी एक पेंटिंग में भी इस घटना को दोहे के माध्यम से बताया गया है!
#किरण सिंहनी सी चढी
उर पर खींच कटार!
भीख मांगता प्राण की अकबर हाथ पसार!
आज भी इनका चित्र जयपुर संग्रहालय में सुरक्षित है!
आज की लड़कियों को इन चीजों का अनुसरण करना अति आवश्यक है।

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