गांव अभी भी अहम है बेरोजगारी की समस्या का समाधान देने में सक्ष्म
लक्ष्मीकांत द्विवेदी
लॉकडाउन कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का एक कारगर उपाय है। भारत सरकार ने इस उपाय को शुरू में ही अपनाया, जिसका परिणाम है कि भारत ने लाखों लोगों को कोरोना संक्रमित होने से बचाया है। इस लॉकडाउन समय के दौरान भारत ने कई बेड वाले अस्पताल, आइसीयू और वेंटीलेटर्स को तैयार किया जो कि कठिन समय में कोरोना के मरीजों के लिए काम आ सके।
इसका दूसरा पहलू बड़ा ही भयानक है, जो कि लोगों के जीवनयापन से जुड़ा है। कोरोना वायरस के कारण सरकार द्वारा लिए गए लॉकडाउन के निर्णय का असर सबसे अधिक रोज कमाने और खाने वाले प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है। महानगरों से होने वाला पलायन लॉकडाउन के शुरुआती दिनों से ही जारी है। आज यह जरूर सोचने पर मजबूर कर रहा है कि ऐसा शहर जहां मजदूरों ने अपने पसीने से शहर को बनाया और आज वो शहर एक-दो महीने के लिए भरण पोषण करने मे असमर्थ है। इसी बीच इतनी बड़ी संख्या में होने वाले मानवीय पलायन से गांवों में कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा बन गया है। आप सभी ने महसूस किया होगा कि इस खतरे को गांव के लोगों ने अपनी सूझबूझ से अभी तक संभाला है।
गांव अभी भी अहम है बेरोजगारी की समस्या का समाधान देने के लिए। प्राचीन समय में गांव स्वावलंबी हुआ करते थे। हर एक गांव में पर्याप्त काम करने का अवसर था। जैसे कोई खेत में, कोई मिट्टी के बर्तन बनाने में, कोई सब्जियां उगाने मे,इत्यादि। आज के आधुनिक युग में लोगों को बिना रुपये के काम करना पसंद नहीं है। इसलिए हर परंपरा खत्म सी हो गई और लोग शहरों की ओर पलायन करने लगे। पिछले तीन महीनों में बेरोजगारी की दर तीन गुना बढ़ गयी है और करीब 12 से 13 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गई हैं। ऐसे में भारत के सामने इतने लोगों का भरण पोषण की भी समस्या है।
प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के अतिरिक्त भारत को आत्मनिर्भर बनाने की भी बात कही है। उनके सपने को साकार करने के लिए कुछ मूलभूत परिवर्तन करना होगा। सबसे महत्वपूर्ण काम है कि कृषि को आधुनिक रूप देना। मैं पंजाब में घूमा हूं और इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के गांवों के परिप्रेक्ष्य में देखता हूं तो दोनों प्रदेशों में कृषि पिछड़ी दिखती है। इसे नया प्रारूप देना होगा, मशीनों को उपयोग में लाना होगा, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़े।
दूसरा मुख्य जोर मनरेगा पर देना होगा जिससे गरीब लोगों को मजदूरी के लिए बाहर न जाना पड़े। मनरेगा के काम को आधुनिक रूप देना होगा जिसमें मछली पालन, कृषि में टेक्नोलॉजी विकसित करना। उन्नतशील खेती के लिए लोगों को प्रशिक्षित करना होगा। छोटे-बड़े उद्योगों को लाना होगा ताकि भारत का ग्रामीण क्षेत्र अपने में पूर्ण विकसित हो सके।
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