विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक का सफर
नई दिल्ली। भारत में जब विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक पर कार्रवाई शुरू हुई तो उसने देश छोड़ दिया और विदेश में जाकर रहने लगा। पहले वो ब्रिटेन गया वहां पर उसके व्यवहार की वजह से सरकार ने उसके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। तब जाकिर ने मलेशिया का रूख किया। मलेशिया पहुंचने के बाद उसने बीते तीन सालों से अपना ठिकाना बना रखा है। इन दिनों वो मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर से भी कुछ किलोमीटर की दूरी पर शान से रह रहा है।
भारत में जब जाकिर के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया और उनके खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी किया गया। उससे पहले ही वो देश छोड़कर मलेशिया पहुंच गया और वहां के सरकारी दफ्तरों और आवासीय भवनों वाले वीआईपी इलाके में रह रहे हैं। इस जगह का नाम पुत्राजया है। इससे पहले तक ये जगह रबड़ के पेड़ों के लिए जानी जाती थी मगर आज यहां अलीशान इमारतें हैं।
तीन माह पहले बीबीसी ने जाकिर के इस इलाके में होने की डिटेल रिपोर्ट भी कैरी की थी। रिपोर्ट के मुताबिक जाकिर इस जगह पर आराम से रहते हैं उनके किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। उनका जहां मन होता है वो आते-जाते हैं। इस इलाके में स्थित मस्जिद में जाकिर हर शुक्रवार को नमाज पढ़ने के लिए पहुंचते हैं। वो यहां गगनचुंबी आवासीय परिसर इमारतों के एक फ्लैट में रहते हैं। यहां वो अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ मस्जिद में जाते हुए देखे जाते हैं।
मलेशिया में बनाई प्रभावशाली जगह
मलेशिया में रहने के दौरान जाकिर नाइक ने एक प्रभावशाली जगह बना ली है। मलेशिया के पेनांग राज्य के उप मुख्यमंत्री वाई बी कुमारसामी ने बताया कि जाकिर ने मलेशिया में एक अवतारी पुरुष जैसी शख़्सियत हासिल कर ली है। मलय समुदाय के युवा लड़के-लड़कियां उनके प्रति काफी श्रद्धा का भाव रखते हैं। जाकिर का प्रभाव हर उम्र के लोगों पर दिखाई पड़ता है।
मलेशिया में कई लोग, विशेषत: हिंदू और बौद्ध धर्म को मानने वाले नाइक द्वारा इस्लाम से उनके धर्मों की तुलना और अपने धर्मों की आलोचना को ठीक नहीं मानते हैं। वो मलेशियाई समाज के बहु-सांस्कृतिक मूल्यों को नष्ट कर रहे हैं। एक समय में ब्रितानी सरकार ने यूके में जाकिर नाइक के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया था।
मलेशिया में जाकिर नाइक के कई कट्टर समर्थक
पेनांग स्टेट के उप मुख्यमंत्री वाईबी कुमारसामी भी उन लोगों में शामिल हैं जो मानहानि का केस झेल रहे हैं। वो कहते हैं कि उन्हें जाकिर के इस्लाम के उपदेश देने से कोई समस्या नहीं है लेकिन उन्हें हिंदू धर्म की आलोचना करने का क्या अधिकार है। जाकिर के कई कट्टर समर्थक हैं जिन्हें उनके शिष्य कहा जाता है, वो दावा करते हैं कि यहां पर हिंदू समुदाय के कुछ लोग उनका विरोध करते हैं जो कि आरएसएस की पृष्ठभूमि से आते हैं।
मलय समुदाय कर रहा जाकिर नाइक का समर्थन
मलेशिया की कुल आबादी 3.3 करोड़ है। इनमें से 65 फीसदी आबादी मलय समुदाय की है। इस समुदाय में ज्यादातर लोग मुस्लिम धर्म को मानने वाले हैं। मलेशिया में 20 फीसदी लोग चीनी हैं जो कि बौद्ध धर्म को मानते हैं। 7 फीसदी लोग भारतीय मूल के हैं जिनमें से ज्यादातर तमिल हिंदू हैं। ये अल्पसंख्यक नाइक की उपस्थिति से खतरा महसूस करते हैं। ये लोग चाहते हैं कि उनकी सरकार जाकिर को भारत प्रत्यर्पित कर दे ताकि वे भारत में अपने खिलाफ लगे अभियोगों का सामना कर सकें।
मलेशिया सरकार सबूतों को मजबूत नहीं मान रही
मलेशियाई सरकार में ये मान्यता है कि भारत सरकार ने नाइक के प्रत्यर्पण के लिए जो सबूत दिए हैं वो कमजोर हैं और ‘मनगढ़ंत’ हैं। मलेशियाई प्रधानमंत्री मानते हैं कि जाकिर नाइक को भारत में न्याय नहीं मिलेगा। जाकिर नाइक के खिलाफ भारत में वॉरंट जारी है। उन पर सांप्रदायिक आधार पर युवाओं को भड़काने का अभियोग है। भारत सरकार ने इस अभियोग के आधार पर मलेशिया सरकार से नाइक को प्रत्यर्पित करने का निवेदन किया है मगर मलेशिया ने अब तक इस दिशा में कोई काम नहीं किया है।
जाकिर ने अपने पीस टीवी चैनल से दिए संदेश
एक बात और है कि नाइक के दुनिया के सबसे विवादित उपदेशक बनने का सफर अजीब रहा है। उनका एक लोकप्रिय टीवी चैनल पीस टीवी है जो कि अब भारत और बांग्लादेश में प्रतिबंधित है। साल 1965 में मुंबई के मुस्लिम बहुल इलाके डोंगरी में पैदा होने वाले नाइक के घर में कई लोग डॉक्टर हैं। उनके पिता और भाई दोनों डॉक्टर हैं।
साल 1991 में अपनी मेडिकल प्रेक्टिस छोड़ने के बाद उन्होंने इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी। उनकी फाउंडेशन और स्कूल सरकार की ओर से सील किया जा चुका है। उनके टीवी चैनल पीस टीवी के दुनिया भर में दो करोड़ फॉलोअर्स हैं। उनके कट्टर समर्थक मानते हैं कि भारत सरकार ने उनके खिलाफ झूठा केस चलाया है और उन्होंने भारत में कोई भी कानून नहीं तोड़ा है।
कैसे हो सकता है प्रत्यर्पण
मलेशिया में सिर्फ एक विवाद या गलती करने पर जाकिर नाइक प्रत्यर्पित किए जा सकते हैं। मलेशिया में उनके लिए फिलहाल कोई खतरा नहीं है लेकिन मलेशिया में उनकी उपस्थिति धार्मिक समूहों में मनमुटाव पैदा करती हुई नजर आ रही है।