कोरोना संक्रमण पर उभरे विवाद की वजह से दो गुटों के बीच हुई हिंसा और आगजनी के बाद पश्चिम बंगाल के हुगली ज़िले के तेलिनीपाड़ा इलाक़े में धारा 144 लागू कर दी गई है.
इस हिंसा में कई लोग घायल हुए हैं. पुलिस ने अब तक इस मामले में 37 लोगों को गिरफ़्तार किया है. इस हिंसा और आगजनी के बाद इलाक़े में भारी तादाद में पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है. पुलिस ने हालांकि परिस्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया है.
लेकिन इलाक़े के लोगों में भारी आतंक है. धारा 144 लागू होने और पुलिसवालों के तैनात होने के बावजूद मंगलवार दोपहर को इलाक़े में दोनों गुटों के बीच एक बार फिर हिंसा भड़क उठी.
यह विवाद कैसे शुरू हुआ, इसकी कई वजहें सामने आ रही हैं. लेकिन यह तय है कि कोरोना की वजह से ही लॉकडाउन के दौरान दो समुदाय के लोगों के बीच हिंसा भड़की.
सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले इलाक़े के वीडियो में कुछ घरों से धुआं उठता देखा जा रहा है. हालांकि पुलिस ने ऐसे वीडियो के असली होने की पुष्टि नहीं की है. इससे पहले मालदा ज़िले के हरिशचंद्रपुर इलाक़े में भी कोरोना के मुद्दे पर दो गुटों के बीच हिंसक झड़प हुई थी.
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को जारी एक बयान में मालदा और तेलिनीपाड़ा की घटनाओं पर चिंता जताते हुए लोगों से सांप्रदायिक सद्भाव कायम रखने की अपील की है. उन्होंने पुलिस और प्रशासन से भी अमन-चैन बहाल रखने के लिए ज़रूरी कदम उठाने को कहा है.
पथराव और आगजनी की घटना
इससे पहले बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात कर राज्य के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक संघर्ष की घटनाओं पर चिंता जताते हुए उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की.
इसबीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी पर राज्य में हिंसा उकसाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि तेलिनीपाड़ा की घटना में दोषी लोगों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. दूसरी ओर, बीजेपी ने कहा है कि इस घटना से पता चलता है कि राज्य में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह ढह चुकी है. इसी वजह से कोरोना संक्रमण का मामला भी सांप्रदायिक रूप ले रहा है.
आखिर इस विवाद की शुरुआत कैसे हुई? चंदननगर के पुलिस आयुक्त हुमायूं कबीर बताते हैं, “इलाक़े के कुछ लोगों को कोरोना कह कर पुकारने की वजह से रविवार को विवाद शुरू हुआ था. कहासुनी के बाद एक गुट ने दूसरे गुट के सार्वजनिक शौचालय तक जाने का रास्ता बंद कर दिया था. उसके बाद ही संघर्ष शुरू हो गया. इस दौरान दोनों गुटों ने एक-दूसरे पर पथराव किया और बम फेंके.”
उन्होंने बताया कि मौके पर पहुंचे पुलिस के जवानों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया. इसके अलावा आंसू गैस के गोले छोड़े गए और रबर की गोलियों से फ़ायरिंग की गई.
कबीर के मुताबिक, “रविवार रात का विवाद ही मंगलवार को भी भड़क गया. इस दौरान भी पथराव औऱ आगजनी हुई. इस दौरान कुछ बम भी फेंके गए. अब भी हिंसा में शामिल बाक़ी लोगों की तलाश की जा रही है.”
उधर, प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि ज़िले के भद्रेश्वर थाने के तहत तेलिनीपाड़ा में पांच लोगों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद उनको क्वारंटीन सेंटर में भेज कर इलाक़े को सील कर दिया गया था. लेकिन स्थानीय लोगों ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि रास्ता बंद करने पर वह लोग बाहर कैसे निकलेंगे.
लेकिन एक स्थानीय पत्रकार ने दावा किया, “अल्पसंख्यक समुदाय के पांच लोगों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद रविवार को दूसरे समुदाय के लोगों ने उस बस्ती से बाहर निकलने वाला एकमात्र रास्ता बंद कर दिया था. इसका उनलोगों ने विरोध किया. इस मुद्दे पर विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया.”
इसके बाद सोमवार को इस मुद्दे पर राजनीति विवाद तेज़ होने लगा. बीजेपी सांसद लाकेट चटर्जी ने जब मौके पर जाने का प्रयास किया तो पुलिस ने धारा 144 लागू होने की दलील देते हुए उनको रोक दिया. लाकेट का आरोप है कि पुलिस आयुक्त हुमायूं कबीर ने भी उनसे मुलाकात नहीं की.
दो गुटों के बीच विवाद
लाकेट आरोप लगाती हैं, एक स्थानीय पार्षद के नेतृत्व में ही हमले किए गए औऱ दुकानें लूटी गईं. सोमवार शाम को गृह मंत्रालय की ओर से एक ट्वीट में कहा गया, “तेलिनीपाड़ा की घटना में पुलिस ने समुचित कार्रवाई की है. इस घटना को उकसाने या सोशल मीडिया पर फर्जी पोस्ट डाल कर विवाद भड़काने का प्रयास करने वालों के ख़िलाफ़ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी.”
सोमवार को इलाक़े में तनाव बना रहा. लेकिन नए सिरे से कोई हिंसा नहीं हुई. उसके बाद मंगलवार दोपहर को दोनों गुटों के बीच हिंसा एक बार फिर भड़क उठी. दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे से शुरू हुई हिंसा के दौरान दोनों ओर से बम फेंके गए और पथराव किया गया. कुछ घरों में आग भी लगा दी गई.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार शाम को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगाया कि बीजेपी बंगाल में हिंसा भड़काने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा, “पार्टी यहां दो समुदायों के बीच खाई पैदा करने का प्रयास कर रही है. लेकिन पुलिस को हिंसा के मामलों में सख्ती से कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. लॉकडाउन के दौरान तेलिनीपाड़ा की सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ कड़ी कर्रवाई की जाएगी और किसी भी दोषी को बख़्शा नहीं जाएगा.”
तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ सचिव का कहना है, “यह दो गुटों के बीच स्थानीय झगड़ा है. लेकिन बीजेपी इसे सांप्रदायिक रूप देने का प्रयास कर रही है.”
दूसरी ओर, प्रदेश बीजपी अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, “तेलिनीपाड़ा की घटना इस बात का सबूत है कि राज्य में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह ढह चुकी है. एक खास समुदाय में कोरोना संक्रमण की घटना ने सांप्रदायिक रूप ले लिया है. यह घटना तृणमूल कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति का नतीजा है.”
उत्तर 24-परगना ज़िले में बैरकपुर के बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह कहते हैं, “इलाक़े में बीते तीन दिनों से इस मुद्दे पर तनाव और हिंसा जारी है. अजमेर से लौटे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को क्वारंटीन सेंटर भेजने गई पुलिस के साथ कहासुनी हुई. उसके बाद संबंधित इलाक़े में बैरीकेड लगा दिया गया. लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए दूसरे समुदाय के इलाक़े में भी बैरीकेड लगाने की मांग की. इसी बात पर विवाद बढ़ा और हिंसा भड़क उठी. हिंसा के दौरान 40-42 दुकानें जला दी गईं और बम फेंके गए. कई दुकानों में तोड़-फोड़ भी की गई. लेकिन पुलिस मूक दर्शक बनी रही.