पाकिस्तान में कट्टरपंथी तत्व इन दिनों भारत के सांस्कृतिक हमले का हौआ खड़ा कर भारतीय दूरदर्शन, आकाशवाणी तथा भारतीय पत्र पत्रिकाओं का पूर्ण का पूर्ण बहिष्कार किये जाने की मांग कर रहे हैं। मुल्ला मौलवियों से प्रेरित इन तत्वों का आरोप है कि भारतीय फिल्मों तथा पत्र पत्रिकाओं के प्रति पाकिस्तानियों का आकर्षण हमारे बच्चों व युवा पीढ़ी के लिए घातक होगा। उनका यह भी आरोप है कि भारतीय फिल्मों के दृश्य इस्लाम की मान्यताओं के विपरीत है। इन फिल्मों को चुपचाप देखने वालों के खिलाफ कार्यवाही किये जाने की मांग उठाई जाने लगी है।
पाकिस्तान के सीमावर्ती नगरों लाहौर, सियालकोट आदि में भारतीय टेलीविजन पर प्रदर्शित कार्यक्रम चुपचाप बहुत रूचि के साथ देखे जाते हैं। टेलीविजन पर प्रदर्शित हम लोग के पात्रों के मुंह से कहे गये डायलॉग भी इस्लाम विरोधी नजर आ रहे हैं। घर में रामायण व गीता का पाठ होते हुए दृश्यों का प्रदर्शित किया जाना भी उन्हें इस्लाम पर आक्रमण लगा। मशरिक तथा कुछ अन्य पत्रों से हम लोग के खिलाफ बहुत कुछ लिखा गया। मौलाना उस्मान ने तो यहां तक फतवा दिया कि चोरी छिपे भारतीय टेलीविजन देखने वालों को सरे आम कोड़े लगाये जाने चाहिए।
चित्र पर हंगामा
हाल ही में पाकिस्तान के पत्रों में भारतीय फिल्मी जगत की महान हस्ती प्रख्यात पाश्र्व गायिका लता मंगेशकर के सामने, पाकिस्तान के फिल्मी गायक सफदर जावेद चीमा के विनम्रता पूर्वक झुकने के चित्र को लेकर चीमा के खिलाफ विषवमन कर बावेला मचाया गया। श्री चीमा कुछ माह पूर्व भारत की यात्रा पर आये, तो वे लता मंगेशकर के निवास स्थान पर उनसे भेंट करने पहुंचे। चीमा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त स्वर साम्रज्ञी लता जी के प्रति श्रद्घा भाव रखते रहे हैं, जो एक कलाकार के लिए स्वाभाविक भी है। श्री चीमा ने लता जी के समक्ष विनम्रता से झुकते हुए उनका सम्मान किया। यह चित्र किसी भारतीय पत्रिका में छपा। पाकिस्तान के कट्टररपंथी तत्वों को यह सहन नही हुआ तथा उन्होंने उस चित्र को पाकिस्तान के पत्रों में प्रकाशित कर आरोप लगाया कि एक पाकिस्तानी कलाकार ने एक हिंदू महिला के आगे सजदा कर उसे अल्ला ताला का दर्जा लेने का गुनाह किया है। कुछ मुल्ला मौलवियों ने लिखा कि लता मंगेश्वकर ने भले ही हजारों गाने गाये हों, किंतु है तो वह गैर मुस्लिम ही। यदि चीमाको महिला कलाकार का अभिनंदन करना था, तो वह अपने वतन व कौम की नूरजहां का भी कर सकता था।
मियां सफदर जावेद चीमा की फिल्मों का बहिष्कार करने का फतवा तक जारी किया गया। अंत में मियां चीमा को इन तत्वों के समक्ष यह स्पष्टीकरण देना पड़ा कि वे बंबई में नमाज अदा कर रहे थे कि अचानक लता मंगेशकर आ गयी। फोटो ग्राफर ने उसी समय चित्र ले लिया। उन्होंने सजदा नही किया था। पाकिस्तान के प्रख्यात गीतकार मेंहदी हसन की आकांशा थी कि लता मंगेशकर पाकिस्तान की सांस्कृतिक यात्रा करें, किंतु इस घटना के बाद वे भी कट्टरपंथी तत्वों से आतंकित होकर चुप बैठने में ही अपना भला समझ रहे हैं।
साहित्य से भी डर
पाकिस्तान के कुछ साहित्य प्रेमी लोगों ने भारत की साहित्यिक पत्र पत्रिकाएं मंगाने की पेशकश की, तो कहा गया कि इन पत्रिकाओं में प्रकाशित अधिकांश सामग्री में हिंदू धर्म की बातें होती हैं। कहानियों में भी हिंदू परिवारों का ही चित्रण अधिक होता है। ऐसी सामग्री के प्रचार की अनुमति देने में भी उन्हें इस्लाम विरोध नजर आया।
पाकिस्तान के कुछ बुद्घिजीवियों ने मांग की थी कि भारत व पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक व साहित्यिक प्रतिनिधि मंडलों का आदान प्रदान होना चाहिए। कुछ प्रख्यात भारतीय नृत्यांगनाओं को आमंत्रित करने का सुझाव दिया गया, तो मुल्ला मौलवियों ने फतवा जारी कर दिया कि भरत नाट्यम कत्थक अथवा अन्य नृत्य इस्लामी पद्घति के विपरीत है, अत: मुस्लिम महिला को स्टेज पर अद्र्घनग्न अवस्था में आने जी इजाजत नही दी जा सकती। सांस्कृतिक आक्रमण के नाम पर भारत से कलाकारों गायकों आदि के बुलाये जाने को इस्लाम विरोधी करार देने वाले कट्टïरपंथी तत्व तस्करों द्वारा खुले रूप में पाकिस्तान में शराब लाने की बढ़ती प्रवृत्ति के खिलाफ फतवा देने को आगे क्यों नही आते? गत वर्ष पहली बार पाकिस्तान सरकार ने भारत के कुछ हिंदुओं को प्राचीन तीर्थ कटासराज की यात्रा की अनुमति दी थी। इस अनुमति पर भी कट्टरपंथी तत्वों ने काफी बावेला मचाया था कि इस्लामिक देश में मूर्तिपूजा की अनुमति नही दी जानी चाहिए। वैसे पाकिस्तान के अधिकांश हिंदू मंदिर या तो ध्वस्त कर डाले गये हैं अथवा उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय है। पाकिस्तान के अधिकांश गुरूद्वारे भी नष्ट कर दिये गये हैं। कुछ ऐतिहासिक गुरूद्वारों को ही सुरक्षित रखा गया है। अब तो पाकिस्तान इन गुरूद्वारों का उपयोग भी भारत विरोधी उग्रवादी सिखों की गतिविधियों के केन्द्र के रूप में ही कर रहा है।
पाकिस्तान के कट्टरपंथी तत्व किसी भी हालत में दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होने नही देना चाहते। उन्हें हर बात में भारत व हिंदू धर्म का हौआ दिखाई देता है। पाकिस्तानी कलाकारों, साहित्यिकों, फिल्मी हस्तियों का भारत में जोरदार स्वागत होता है, तथा सम्मान किया जाता है। किंतु पाकिस्तान के कट्टरपंथी, कलाकारों में भी हिंदू मुसलमान के नाम पर भेदभाव कर अपन रूग्ण व संकीण मानसिकता का परिचय देते हैं।
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