एक साल पहले मिल चुका है सऊदी अरब में योग को खेल का दर्जा

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सचमुच यह एक ऐतिहासिक घटना है कि सऊदी अरब पिछले एक वर्ष से अधिक से योग को अपने यहां पर विधिवत आरंभ कर चुका है और योग के लाभों को अपने विद्यार्थियों को बता कर उन्हें स्वस्थ रहने के लिए भारत की इस प्राचीन पद्धति के साथ जुड़ने का क्रांतिकारी कार्य कर रहा है । भारत में चाहे भारत में योग करने को लेकर भले ही लोगों के अलग-अलग सुर रहे हों, और योग शिक्षिका राफिया नाज को धमकियां भी दी जाती रही हों । इतना ही नहीं योग जैसी प्रणाली को सांप्रदायिक मानने वाले इस्लामिक कट्टरपंथियों ने राफिया के घर पर पथराव भी किया था ।पर मुस्लिम देश सऊदी अरब में ऐसा नहीं है। सऊदी सरकार ने योग को खेल का दर्जा दे मार्च 2019 में दे दिया था । उस समय सऊदी अरब में ‘अरब योग फाउंडेशन’ की शुरुआत करने नऊफ मारवई ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में इसकी जानकारी दी थी ।

12 नवंबर की अपनी फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा है, ‘योग…जिसका शाब्दिक अर्थ ही जोड़ना है। लोगों के समूह को लोगों की भलाई से, एक शरीर को मन, भावनाओं और आत्मा से तथा किसी देश को विश्व से जोड़ने वाले योग की सऊदी अरब में आधिकारिक दस्तक हो गई है। इसने वैचारिक अतिवाद…कट्टरपन की सीमाओं को पार कर लिया है।’
वास्तव में योग जैसी परंपरा को सांप्रदायिक रंग देना मानव की स्वयं की संकीर्णता का परिचायक है योग जो कि व्यक्ति को निरोग रखने का सबसे बेहतर तरीका है वह मानव मात्र के लिए है ना कि किसी संप्रदाय विशेष के लिए । मनुष्य अपने स्वास्थ्य के दृष्टिगत और इस संसार को सात्विक भावों से भरे रखने के दृष्टिकोण से योग जैसी प्रणाली को जितनी जल्दी अपना ले उतना अच्छा है । क्योंकि सांप्रदायिक पूर्वाग्रहों ने मनुष्य को मनुष्य न बनाकर मुसलमान ,ईसाई , हिंदू ही बनाया है । इस प्रकार की फिरकापरस्ती की सोच को खत्म कर मानव समाज विश्व शांति स्थापित करने के लिए तभी संकल्पित हो सकता है जब योग जैसी परंपरा को वह खुले दिल से अपनाएगा ।
सऊदी प्रशासन ने योग को खेल गतिविधियों में शामिल करते हुए इसे सिखाने की अनुमति दे दी है। अब अगर कोई योग का प्रचार या उसकी शिक्षा देना चाहता है तो वो लाइसेंस लेकर ऐसा कर सकता है। सऊदी अरब में योग को खेल का दर्जा ऐसे समय में दिया गया था जब भारत और कई दूसरी जगहों के मुस्लिम अपने धार्मिक नेताओं के दबाव में योग करने से इनकार कर रहे थे। उनका दावा है कि योग ‘गैर-इस्लामिक’ है।
उस समय रांची की योग शिक्षिका राफिया नाज को योग करने पर अपने समुदाय को लोगों के तीखे विरोध का सामना करना पढ़ा था। उसे कथित तौर पर धमकियां देकर योग न करने को कहा गया। कुछ शरारती तत्वों ने राफिया के घर पर पथराव भी किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव के बाद संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया है। इस दिन दुनिया के कई देशों में एक साथ योग किया जाता है।
इस सफलता के सेहरा नऊफ मारवई के सिर बांधा जा रहा है। सऊदी अरब में 2010 में योग फाउंडेशन की शुरुआत करने वाली नऊफ एक तरह से सऊदी अरब की पहली योग शिक्षिका हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है, ‘सऊदी में योग की दस्तक के बाद लोगों में उसे लेकर असमंजस था।
अल्लाह ने मुझे सभी दिक्कतों से लड़ने की ताकत बख्शी। अल्लाह मेरे साथ था और जब भी जरूरत हुई उसने मुझमें साहस जगाया। आज ऐसा दिन आ गया है, जब सऊदी अरब में योग करने को ‘अजीब हरकत’ की तरह नहीं देखा जाता।’

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