देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने दिनांक 12 मई 2020 को सायं 8 बजे देश को सम्बोधित करते हुए अपने उदबोधन में कहा है कि दुनिया को कोरोना संकट से मुक़ाबला करते हुए अब 4 महीने से ज़्यादा का समय हो गया है। इस दौरान सभी देशों के 42 लाख से ज़्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं एवं 2.75 लाख से ज़्यादा लोगों की दुखद मृत्यु हुई है। भारत में भी कई लोगों की दुखद मृत्यु हुई है जिसके लिए माननीय प्रधानमंत्री द्वारा संवेदना व्यक्त की गई। माननीय प्रधानमंत्री का उदबोधन निम्न प्रकार वर्णित है।
एक वायरस ने पूरी दुनिया को तहस नहस करके रख दिया है। विश्व भर में करोड़ों जिंदगियाँ संकट का सामना कर रही हैं। सारी दुनिया ज़िंदगी बचाने के लिए एक प्रकार से जंग में जुटीं हैं। ऐसा संकट न कभी देखा गया है और ना ही कभी सुना गया है। निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए ये सब कुछ अकल्पनीय है। यह संकट अभूतपूर्व है। लेकिन, थकना, हारना, टूटना और बिखरना मानव को मंज़ूर नहीं है। सतर्क रहते हुए एसी महामारी से बचना भी है और आगे बढ़ना भी है। आज जब पूरी दुनिया संकट में है तब हमें अपना संकल्प और मज़बूत करने की आवश्यकता है और हमारा संकल्प इस संकट से और अधिक मज़बूत हुआ भी है।
हम पिछली शताब्दी से लगातार सुनते आ रहे हैं कि 21वीं सदी भारत की है। कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियाँ बन रही हैं उसे भी हम निरंतर देख रहे हैं। यदि हम इस नज़रिए से देखें तो 21वीं सदी भारत की हो यह हमारा सपना ही नहीं बल्कि अब यह हम सभी की ज़िम्मेदारी भी है। इसका मार्ग क्या है। इसका मार्ग एक ही है और वह है आत्मनिर्भर भारत। एक राष्ट्र के रूप में आज हम बहुत अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है और एक अवसर लेकर आई है।
जब कोरोना संकट शुरू हुआ था तब भारत में एक भी PPE किट नहीं बनती थी। आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज़ 2 लाख PPE किट और 2 लाख मास्क बनाए जा रहे हैं। ये हम इसलिए कर पाए हैं क्योंकि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया। भारत की यह दृष्टि भारत के आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प के लिए काम आने वाली है। आत्मनिर्भरता की परिभाषा आज बदल रही है। अर्थ केंद्रित वैश्वीकरण बनाम मानव केंद्रित वैश्वीकरण हो गई है।
विश्व के सामने आज भारत का मूल चिंतन आशा की एक किरण के रूप में नज़र आता है। भारत की संस्कृति और भारत के संस्कार उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी भावना विश्व एक परिवार के रूप में रहती है। भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है तो आत्म केंद्रित आत्मनिर्भरता की वकालत नहीं करता बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख सहयोग और शांति की चिंता होती है। जो संस्कृति, जीव मात्र का कल्याण चाहती हो, जो संस्कृति पूरे विश्व को परिवार मानती हो, ऐसी सोच रखती हो, जो पृथ्वी को अपनी माँ मानती हो, वो संस्कृति जब आत्मनिर्भर बनती है तो उससे एक सुखी विश्व की भावना भी बलवती होती है और इसमें विश्व की प्रगति भी समाहित रहती है।
भारत के लक्ष्यों का प्रभाव एवं भारत के कार्यों का प्रभाव विश्व कल्याण पर पड़ता ही है। टीबी हो, कुपोषण हो, पोलीओ हो, इन्हें देश से हटाने के लिए भारत द्वारा चालू किए गए अभियानों का असर दुनिया पर भी पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस, दुनिया को भारत का एक उपहार माना जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस की पहल मानव जीवन को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए भारत का विश्व को एक उपहार ही है। आज के संकट काल में भारत की दवाईयाँ विश्व के अन्य देशों में एक नई आशा की किरण लेकर पहुँचती है। भारत के इन क़दमों से दुनिया भर में भारत की भूरि भूरि प्रशंसा होती है। दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत कुछ अच्छा कर सकता है और मानव जाति के कल्याण के लिय बहुत कुछ दे सकता है। आख़िर कैसे। इसका उत्तर है – 130 करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भरता का संकल्प। देश का सदियों पूर्व का गौरवशाली इतिहास रहा है और भारत एक सोने की चिड़िया रहा है। परंतु, वक़्त बदला और देश ग़ुलामी की ज़ंजीरों में जकड़ गया था जिससे हम विकास को तरस गए थे। आज भारत विकास की ओर क़दम बढ़ा रहा है तो इसे विश्व कल्याण के रूप में माना जाना चाहिए। हमारे पास साधन हैं, हमारे पास सामर्थ्य है, दुनिया की सबसे उत्तम प्रतिभा है। हम सप्लाई चैन को मज़बूत एवं आधुनिक बनाएँगे। दक्षता, उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाएँगे।
इस शताब्दी की शुरुआत के समय Y2K का संकट पूरे विश्व में आया था। उस समय भारत ने दुनिया को इस संकट से बाहर निकाला था। हम ठान लें तो हमारे लिए कोई लक्ष्य असम्भव नहीं है। आज तो हमारे पास साधन है, चाह भी है और राह भी है। भारत की संकल्प शक्ति ऐसी है कि भारत आज आत्मनिर्भर बन सकता है। भारत की यह इमारत 5 पिलर पर खड़ी करनी होगी। पहिला है, अर्थव्यवस्था। विकास में वृद्धिशील बदलाव नहीं बल्कि परिमाणात्मक बदलाव लाना होगा। दूसरा है, आधारिक संरचना का विकास। एक ऐसी आधारिक संरचना जो आधुनिक भारत की पहचान बने। तीसरा है, देश की व्यवस्था प्रणाली। देश में एक ऐसी व्यवस्था प्रणाली बने जो 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली प्रोदयोगिकी की व्यवस्थाओं पर आधारित हो। चौथा है, जनसांख्यिकी। दुनिया के सबसे बड़े जनतंत्र में जीवंत जनसांख्यिकी हमारी ताक़त है। पाँचवा है, माँग। हमारी अर्थव्यवस्था में माँग आपूर्ति का एक चक्र है। उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल करना होगा।
देश में उत्पादों की माँग बढ़ाने के लिए एवं इनकी माँग को पूरा करने के लिए हमारी सप्लाई चैन के प्रत्येक हितधारक का सशक्त होना ज़रूरी है। जिसमें हमारे देश के मिट्टी की महक हो और हमारे मज़दूरों के पसीने की ख़ुशबू हो। कोरोना संकट का सामना करते हुए नए संकल्प के साथ एक विशेष आर्थिक पैकिज की घोषणा माननीय प्रधान मंत्री द्वारा की गई है जो भारत के आत्म निर्भर बनने की दिशा में काम करेगा।
हाल ही में केंद्र सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी कई आर्थिक घोषणाएँ की थी, भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी कई फ़ैसले लिए थे एवं आज का आर्थिक पैकेज मिलाकर क़रीब-क़रीब 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज होगा। यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद का क़रीब-क़रीब 10 प्रतिशत है। 20 लाख करोड़ रुपए का यह आर्थिक पैकेज वर्ष 2020 में आत्मनिर्भर भारत के अभियान को सफल बनाने के लिए गति देगा। इस आर्थिक पैकेज में भूमि, श्रमिक, तरलता और ऋण सभी आर्थिक मुद्दों पर बल दिया गया है। यह आर्थिक पैकेज कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग, MSME क्षेत्र के लिए है जो करोड़ों लोगों की जीविका का साधन है। यह आर्थिक पैकेज देश में उन श्रमिकों के लिए है, उन किसानों के लिए है जो देश के लिए दिन रात परिश्रम कर रहे हैं। यह आर्थिक पैकेज माध्यम वर्ग के लिए है जो देश को पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से अपना टैक्स चुका रहा है। ये आर्थिक पैकेज भारतीय उद्योग जगत के लिए जो भारत के आर्थिक सामर्थ्य को बुलंदी देने के लिए लगातार काम कर रहा है।
दिनांक 13 मई 2020 से शुरू होकर आने वाले कुछ दिनों तक देश की माननीय वित्त मंत्री महोदया द्वारा इस आर्थिक पैकेज के सम्बंध में विस्तृत घोषणाएँ की जाती रहेंगी। आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए साहसिक आर्थिक सुधारों की प्रतिबद्धता के साथ अब देश का आगे बढ़ना अनिवार्य है। बीते 6 वर्षों में जो आर्थिक सुधार हुए हैं उसके कारण ही संकट के इस समय में भारत की व्यवस्थाएँ अत्यधिक समर्थ रही हैं। आज भारत सरकार, विभिन योजनाओं के अंतर्गत जो भी पैसे धरातल पर भेजती है वो पूरा का पूरा पैसा ग़रीब वर्ग और किसान की जेब में पहुँच रहा है। यह सब जन धन खाता, आधार एवं मोबाइल (JAM) योजना के सफल क्रियान्वयन के कारण सम्भव हुआ है। देश में आर्थिक सुधारों को अब नई ऊँचाई दी जाएगी। ये सुधार कृषि क्षेत्र की पूरी सप्लाई चैन में होंगे ताकि कृषि क्षेत्र को मज़बूती प्रदान की जा सके। देश में कर प्रणाली को सरल बनाया जाएगा। देश में मज़बूत वित्तीय प्रणाली के निर्माण के लिए और भी सुधार होंगे। व्यापार को प्रोत्साहित करेंगे, वित्तीय निवेश को आकर्षित करेंगे और मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाएँगे। आत्मनिर्भरता, आत्म बल और आत्म विश्वास से भी सम्भव है। वैश्विक सप्लाई चैन में भारत को तैयार करने की आज सबसे अधिक आवश्यकता है। आज ये समय की माँग है कि भारत हर स्पर्धा में जीते। आर्थिक पैकेज में अनेक प्रावधान होंगे। आधारिक संरचना बढ़ेगी और उत्पाद की गुणवत्ता भी सुधरेगी।
कोरोना का संकट इतना बड़ा है कि देश में सभी व्यवस्थाएँ प्रभावित हुई हैं। परंतु, इस दौरान देश ने सभी वर्गों की संयम शक्ति का भी दर्शन किया है। विशेष रूप से श्रमिक वर्ग ने इस दौरान बहुत कष्ट झेले हैं, त्याग किया है, तपस्या की है। अब हमारा कर्तव्य है उन्हें ताक़तवर बनाने का। उनके आर्थिक हितों के लिए कुछ बड़े क़दम उठाने का समय है। हर तबके के लिए, चाहे वह ग़रीब हो, श्रमिक हो चाहे असंगठित क्षेत्र में हो अथवा संगठित क्षेत्र में, इन सभी वर्गों के लिए इस आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है।
संकट के इस समय में देश में स्थानीय विनिर्माण, स्थानीय बाज़ार, स्थानीय सप्लाई चैन का महत्व अब देश में सभी नागरिकों को समझ में आया है। इस आपदा में स्थानीय उत्पादों ने हमारी माँग पूरी की है एवं स्थानीय उत्पादों ने ही हमें बचाया है। अतः स्थानीय उत्पादों को आगे बढ़ाने की अब हम सभी भारतीयों की ज़िम्मेदारी है। स्थानीय उत्पादों को हमें ही अब वैश्विक स्तर पर ले जाना होगा। आज हर भारतवासी को अपने स्थानीय उत्पाद के लिए वोकल बनने की ज़रूरत है। अर्थात, न केवल स्थानीय उत्पाद ख़रीदने हैं बल्कि उनका गर्व से प्रचार प्रसार भी करना आवश्यक है। हमारे देश के नागरिक ऐसा कर सकते हैं। क्योंकि, पूर्व में भी जब जब माननीय प्रधान मंत्री महोदय ने देश का आहवान किया है देश की जानता ने उनके आहवान को पूरा किया है। जैसे माननीय प्रधान मंत्री ने खादी ख़रीदने के लिए देश के नागरिकों को कहा था तब बहुत ही कम समय में खादी और हैंडलूम उत्पादों की बिक्री रिकार्ड स्तर पर पहुँच गई थी।
सभी विशेषज्ञ यह बता रहे हैं कि कोरोना वायरस एक लम्बे समय तक हमारे जीवन का हिस्सा बना रहेगा। परंतु, हम ऐसा भी नहीं होने दे सकते कि हमारी ज़िंदगी सिर्फ़ कोरोना वायरस के इर्द-गिर्द बनकर रह जाए। इसलिए लॉकडाउन का चौथा चरण पूरी तरह नए रंग रूप वाला होगा। नए नियमों वाला होगा। राज्यों से जो सुझाव मिल रहे उनके आधार पर लॉकडाउन 4 से जुड़ी जानकारी भी देश के नागरिकों को 18 मई 2020 से पहिले दे दी जाएगी। नियमों का पालन करते हुए कोरोना से लड़ेंगे भी और आगे भी बढ़ेंगे। हमारे यहाँ कहा गया है कि जो हमारे बस में है वही सुख है। आत्मनिर्भरता अहम सुख और संतोष प्रदान करने के साथ साथ हमें सशक्त भी बनाती है। 21वीं सदी भारत की सदी बनाने का हमारा दायित्व देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही पूरा होगा। यह हमारे लिए नूतन पर्व होगा। अब एक नई संकल्प शक्ति नई प्राण शक्ति लेकर आगे बढ़ना होगा। कर्मठता की ऊँचाई हो कौशल की पूँजी हो तो हमें आत्मनिर्भर भारत बनाने से कौन रोक सकता है। हम भारत को आत्म निर्भर बना कर ही दम लेंगे। ऐसा संकल्प हम सभी लेते है।
लेखक भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवर्त उप-महाप्रबंधक हैं।