Categories
देश विदेश

भारत का विभाजन और सिन्ध स्थित माता रानी भटियानी देवी का मंदिर

हमारे देश के विद्यालयों में निर्धारित किए गए पाठ्यक्रम को लेकर यह कहना उचित ही होगा कि इसमें हमारे देश के न तो इतिहास की सही जानकारी दी जाती है और न ही उन तथ्यों को सही ढंग से बताया पढ़ाया जाता है जिनसे बालकों के भीतर अपने देश के प्रति गौरव बहुत उत्पन्न होता हो । कैसी विडंबना है कि हमारे यहां जो भूगोल पढ़ाया जाता है वह भी बालकों को सही जानकारी नहीं दे रहा है।
परिणाम स्वरूप जो लोग पढ़े लिखे हो भी जाते हैं तो उन्हें अपने देश के सही इतिहास का पता नहीं होता और अपने देश की भौगोलिक स्थितियों का पता भी नहीं होता । अपने देश की सीमा रेखाओं के बारे में भी सही जानकारी नहीं होती । हमारे अपने देश की सीमाएं कैसी होनी चाहिए , कहां तक होनी चाहिए और क्यों होनी चाहिए ? – इसको भी लोग नहीं जानते हैं । यह चर्चा ही दुख का विषय है कि हम छात्रों को ऐसी शिक्षा दे रहे हैं जिससे वे नौकर बनें , क्लर्क बनें और पैसा कमाने की मशीन बनें। आदमी नहीं बनें । देशभक्त नहीं बनें । कुल मिलाकर लॉर्ड मैकाले का सपना साकार होता जा रहा है कि हम आज भी अपने बच्चों को बबून ( एक विशेष प्रकार का बंदर इसी से बाबू शब्द बना है ) बनाते जा रहे हैं , जबकि उन्हें एक मानवता प्रेमी मनुष्य और देशभक्त नागरिक बनाने की आवश्यकता पहले है।
अब इस हृदयहीन शिक्षा प्रणाली में व्यापक आमूलचूल परिवर्तन करने का समय आ गया है । यदि इसको हमने अभी भी यथावत जारी रखा तो इसके बहुत गंभीर परिणाम हमको भुगतने पड़ेंगे।
आइए जानते हैं प्राचीन माता रानी भटियानी देवी का मंदिर और पाकिस्तान के एक प्रान्त सिंध के बारे में । एक बात पहले समझ ले हुतात्मा पंडित नाथूराम गोडसे जी की वसीयत के अनुसार उनकी अस्थियों को आज भी पुणे में रखा हुआ है । वे अस्थियां इंतजार कर रही हैं कि कब उनकी वसीयत के अनुसार सिंधु नदी भारत की पताका के नीचे से बहेगी ? क्योंकि तभी उन अस्थियों को सिंधु नदी के पवित्र जल में विसर्जित किया जाए ।

हमें दुख है कि हमारे तत्कालीन 1947 के नेताओं ने धर्म के आधार पर भारत विभाजन को स्वीकार किया । इस विभाजन के जो दस्तावेज बनाए गए थे उनमें अखिल भारत हिंदू महासभा जो कि उस समय हिंदुओं की लीडिंग पार्टी थी ( पार्टी आज भी है ) उसके हस्ताक्षर उन दस्तावेजों पर नहीं लिए गए । मतलब यह कि उस समय के नेताओं ने उस विभाजन को स्वीकार किया । मतलब साफ है कि गांधी और नेहरू एवं जिन्ना के द्वारा सब कुछ किया धरा गया ।
उस समय विभाजन में 23% मुसलमानों को 30% भूमि पाकिस्तान के रूप में दी गई । जब अंग्रेज हिंदू महासभा को हिंदुओं की पार्टी कहा करते थे तो देश के बंटवारे के समय हिंदुओं की उस पार्टी अर्थात देश के बहुमत की पार्टी का मत लिया जाना भी अनिवार्य था , परंतु उसका मत नहीं लिया गया और गांधी व नेहरू को ही हिंदुओं का नेता मानकर देश के साथ धोखा कर दिया गया।
अभी जो हम पाकिस्तान देख रहे हैं उसके अलावा भी एक और पाकिस्तान उनको दिया गया था जिसका नाम था पूर्वी पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश कहलाता है ।
तो बात हो रही है की 30% भूमि पाकिस्तान के रूप में दी गई लेकिन जो मुसलमान विभाजन की बातें कर रहे थे वे पाकिस्तान में नहीं गए बहुत कम संख्या में लोग यहाँ से गए वह संख्या नगण्य थी ।
इन लोगों ने पाकिस्तान ले लिया और यहां के अधिकांश मुसलमान भारत में ही रह गए ।
जो मुसलमान भारत में रह गए उनके रहने से हम आपत्ति नहीं कर रहे हैं । हमारा कहना यह है कि जितनी संख्या में मुसलमान यहां रह गए उनके हिस्से की भूमि तो पाकिस्तान में चली गई । फिर उन लोगों के हिस्से की भूमि उनके भारत में रह गई जनसंख्या के उसी अनुपात में जो पाकिस्तान में चली गई , वह भूमि भारत को वापस मिलनी चाहिए । भारत को वापस लेनी चाहिए और इस प्रकार यह भूमि वापस लेने के हिसाब से न्याय हित मे सिंध को वापस भारत में मिलाने का काम होना चाहिए ।
हिंदू वहां अल्पसंख्यक है कुछ बलूचिस्तानी भी हैं । सिंध के लोग आजादी के लिए आंदोलन कर रहे हैं वे पाकिस्तान के साथ नहीं रहना चाहते हैं भारत का कर्तव्य बनता है जो मुसलमान भारत में रह गए थे उनकी जनसंख्या के हिसाब से उस अनुपात में जो भूमि पाकिस्तान में चली गई उसे वापस लेने के लिए सिंध को भारत में मिलाने का काम करें इस प्रकार सिंधु नदी अपनी पताका के नीचे से भी बहेगी और हुतात्मा पंडित नाथूराम गोडसे जी की अस्थियों को उसमें ससम्मान विसर्जित किया जा सकेगा ।
आइए जानते हैं माता रानी भटियानी देवी के मंदिर के बारे में । अभी हाल में कुछ घटनाएं घटी उन पर गौर करना जरूरी हो जाता है ।
यह मंदिर सिंध में थारपारकर के चाचरो में स्थित है । अभी हाल में ही इस मंदिर को नुकसान पहुंचाने का काम हुआ है । माता रानी भटियानी देवी की मूर्ति को अपवित्र किया गया , कालिख पोती गई और वहां के ग्रंथों को नष्ट किया गया ।
एक बात और सिंध में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर उत्पीड़न की घटनाएं काफी वर्षों से चल रही है वहां हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन का काम भी बेरोकटोक जारी है । हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाने का सिलसिला जारी है ।
पूरा विश्व जानता है कि अभी हाल में ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर पत्थरबाजी की गई थी ।
हमें पीओके लेने के बाद चुप नहीं बैठना चाहिए ।
मैं तो कहूंगा कि अभी से पाकिस्तान को दो टूक कह देना चाहिए कि सिंध पर हमारा हक बनता है , इसलिए सिंध हमारे हवाले करो ।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जम्मू और कश्मीर के अल्पसंख्यक लोगों की अनदेखी किए जाने का इल्जाम भारत पर लगाते रहे हैं उन को चाहिए कि वह अपने देश पाकिस्तान में देखें कि किस प्रकार वहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर उत्पीड़न की घटनाएं दिनोंदिन बढ़ती जा रही है । आए दिन इस प्रकार के समाचार आते रहते हैं इन पर इमरान खान ध्यान न देकर जम्मू-कश्मीर की बात उठाकर अपनी गलतियों को छुपाने का प्रयास करते रहते हैं ।
भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है तो हमें अपने भूगोल को भी ठीक करना ही होगा और इसके लिए जरूरी है कि हम सिंध को भारत में मिलाने का काम शीघ्रातिशीघ्र करें ।
हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि 1945 में जब नेशनल असेंबली के चुनाव संपन्न हुए थे तो उस समय देश के मुसलमानों ने बंटवारे के पक्ष में अपना अधिकतम मत अर्थात कुल मुस्लिम मतों का 93% मत मुस्लिम लीग को देकर पाकिस्तान के बनने पर अपनी मुहर लगाई थी । बात साफ है कि जितने प्रतिशत मुसलमानों ने पाकिस्तान बनने पर अपनी सहमति दी थी उन सब को उस समय पाकिस्तान भेजना ही चाहिए था । क्योंकि उनकी अपनी इच्छा यही थी । यदि ऐसा होता तो आज की अनेकों समस्याएं देश में ना होती ।

धर्म चंद्र पोद्दार
राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष
वीर सावरकर फाउंडेशन
मो न 9934 1679 77

Comment:Cancel reply

Exit mobile version