Categories
देश विदेश

पाकिस्तान के लिये एक और स्ट्राइक आवश्यक है

अवनिन्द्र कुमार सिंह

भारत के एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के बावजूद आतंकी हरकत करके वह अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाहते हैं। ऐसे में अब हमें अपनी रणनीति बदलनी होगी और आतंकवाद का समूल नष्ट करने के लिए संकल्प लेना होगा।
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद बढ़ी मुठभेड़ की घटनाओं ने एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। आर्टिकल 370 हटने पर यह भरोसा था कि अब आतंकी गतिविधियों में कमी आएगी, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है हालाँकि यह सच है कि आतंकियों के अब पसीने छूटने लगे हैं। वैश्विक संकटकाल की आड़ लेकर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तानी सत्ता द्वारा पोषित और संरक्षित आतंकी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ ने जो आघात किया है वह असहनीय है। कश्मीर के हंदवाड़ा में तीन दिन के भीतर आठ जवानों ने अपनी शहादत दी। पहले आतंकियों से लोहा लेते समय कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, लांस नायक दिनेश शर्मा, नायक राजेश कुमार और राज्य पुलिस के सब इंस्पेक्टर शकील काजी शहीद हुए और फिर आतंकियों ने पेट्रोलिंग पार्टी पर हमला बोला, जिसमें सी. चन्द्रशेखर, अश्वनी यादव और संतोष यादव ने अपनी शहादत दी। हमें उनकी शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देना होगा। भारत के एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के बावजूद आतंकी हरकत करके वह अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाहते हैं। ऐसे में अब हमें अपनी रणनीति बदलनी होगी और आतंकवाद का समूल नष्ट करने के लिए संकल्प लेना होगा।
यह कदापि नहीं सोचना होगा कि पाकिस्तान आज नहीं तो कल सुधर जाएगा। उसके दोहरे चरित्र का प्रमाण इस बात से ही मिलता है कि आपदा के इस समय में जब पाकिस्तान दाने-दाने को मुहाल होने की कगार पर है ऐसे में उसने कोरोना की आड़ लेकर इंसानियत के दुश्मन लश्कर ए चीफ हाफिज सईद सहित कई आतंकियों को न केवल जेल से रिहा किया बल्कि भारत में उनके आतंकियों की घुसपैठ में मदद की। जो देश मुश्किल वक्त में भी संघर्ष विराम का उल्लंघन करने में लगा हो उसकी निर्लज्जता का इससे बड़ा प्रमाण और क्या मिलेगा।
वतन के वीरों ने शहादत देकर लश्कर-ए-तैयबा के कुख्यात कमांडर हैदर और उसके साथी को जन्नत की सैर पर भेज दिया। हमारे वीरों ने इस वर्ष कश्मीर में 62 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया है, मगर हमें अपनी तैयारी और भी मजबूत करनी होगी। निःसन्देह आतंकियों को चुन-चुन कर मारने में कसर नहीं छोड़ना चाहिए। लेकिन इस बात पर गौर देना होगा कि यदि दो आतंकियों को ढेर करने में हमारे पांच जवान शहीद हो रहे तो हमारी क्षति ज्यादा है। हमें जवानों के समुचित प्रबन्ध के साथ ही इस प्रकार की तैयारी करनी चाहिए जिससे सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस जवानों को कम से कम क्षति पहुंचे। गौरतलब है कि जवानों कि कम क्षति तभी सम्भव है जब हम उनकी जीवन रक्षा को प्राथमिकता देते हुए सतर्कता के स्तर को बढ़ायें।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version