गुजरात विधानसभा के चुनावों के बाद स्थिति साफ हो गयी है कि गुजरात फिर नरेन्द्र मोदी की झोली में चला गया है। नरेन्द्र मोदी के विकास कार्यों को और उनकी कार्यशैली को साथ ही भाजपा में उनके बढ़ते कद को देखकर गुजरात की जनता ने उनका साथ दिया है। कांग्रेस की छद्म धर्मनिरपेक्षता औंधे मुंह गिरी है और लोगों ने बता दिया है कि अब उनका विश्वास ऐसी बातों से उठ गया है। वास्तव में गुजरात का चुनाव राष्ट्रवादी विचारधारा को मजबूत करने वाला जनादेश है। इसके बारे में लोगों को सोचने का मौका मिला है कि देश में राष्ट्रवाद की विचारधारा को प्रबल करने वाले लोगों को सम्मानित करना समय की आवश्यकता है। कांग्रेस के राज में राष्ट्रवाद को जिस तरीके से देशविरोधी या साम्प्रदायिक सोच के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया गया उसे लोगों ने नकार दिया है। अब भाजपा के लिए उचित होगा कि वह नरेन्द्र मोदी का सदुपयोग राष्ट्रीय राजनीति में लाकर करे। अगला चुनाव नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी के बीच होना तय है, भाजपा इसी बात को सोचकर आगे बढ़ें। एग्जिट पोल या गुजरात की जनता के निर्णय से प्रफुल्लित न होकर विवेकपूर्ण निर्णय लिया जाए।
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